Towards the Light – Memoirs in Hindi Motivational Stories by Pranava Bharti books and stories PDF | उजाले की ओर –संस्मरण

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उजाले की ओर –संस्मरण

नमस्कार

स्नेही मित्रो

इस जीवन में ब्रह्मांड ने सबके लिए खाने-पीने की व्यवस्था की है पर इसके लिए हमें मेहनत करने की ज़रुरत होती है | हम मेहनत भी करते हैं तो कई बार हमें इतना नहीं मिल पता जिससे हम बहुत अच्छी प्रकार अपना व परिवार का पेट भर सकें | मनुष्य के हाथ-पैरों के साथ, मस्तिष्क का वरदान बहुत बड़ी व कीमती बात है जिससे यदि हम अपने बारे में तो सोचें ही अपने समाज के बारे में। दूसरे लोगों के बारे में भी सोचें तो हम मानव कहलाएंगे |

इसी बात का उदाहरण देते हुए मैं आपके सामने एक युवा लड़के की बात रखती हूँ जो हमें बहुत कुछ सोचने के लिए विवश करती है | यह बात उस युवक के शब्दों में ही ---

"मैं गुजरात की सड़कों पर घूम रहा था कि मैंने एक बूढ़ी औरत को ₹10 में खाकरा और चिप्स बेचते देखा।

मैंने सुझाव दिया “क्यों न आप भी चाय बेचना शुरू कर दें? लोग इसे खाकरा के साथ लेना पसंद करेंगे और आपकी बिक्री बढ़ जाएगी !"

"मुझे यह बात कहनी बहुत अच्छी लगी, मुझे लगा कि मैं उस वृद्धा की सहायता कर रहा हूँ ! यही मैंने अपने कॉलेज में सीखा था "विभिन्न स्रोतों से पैसा कमाएं"

लेकिन मैं चौंक गया जब उसने मुझसे कहा “भैया, मेरे बाजू में एक चाय वाला है। अगर मैं चाय बेचूंगी तो वो क्या करेगा ?! उसका पूरा घर बस चाय के भरोसे चलता है !"

"मैं हक्का-बक्का रह गया !! आज, मुझे पता चला कि यह वह बाजार नहीं है, जहाँ लोग सोचते हैं: यह व्यवसाय शुरू करें, अपने ब्रांड को कई उत्पादों तक फैलाये और ज़्यादा से ज़्यादा धन पैदा करें !

ये लोग जानते हैं कि सह-अस्तित्व के लिए हमें सभी की जरूरतों को पूरा करने की ज़रूरत है न कि अपना पेट भरने में स्वार्थी होने की! एक सड़क उद्यमी जानता है कि उसके लिए क्या और कितना पर्याप्त है !!

यदि हम शांति व समझदारी से सोचेंगे तो अपने भारत की सोच पर गर्व करेंगे | यही हमारा भारत है, जहाँ मुनाफ़े से पहले मानवता आती है!

सच। इस छोटी सी बात से कितनी सारी बातें ,सोच हमारे सामने आईं और उस वृद्धा के समक्ष नमन करने की इच्छा मन में जागृत हुई |

मित्रो !

अगली बार फिर किसी ऐसी सोच के साथ जो हमें कुछ सोचने के लिए बाध्य करे |

सस्नेह

आपकी मित्र

डॉ.प्रणव भारती