Mahila Purusho me takraav kyo ? - 17 in Hindi Human Science by Captain Dharnidhar books and stories PDF | महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 17 - कजरी की कहानी - 3

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महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 17 - कजरी की कहानी - 3

केतकी और कजरी एक सोफे पर और अभय इनके सामने वाले सोफे पर बैठा है । कजरी ने दोनों से कहा आपकी जोड़ी परफेक्ट है ना , सवाल पूछ लिया तो दोनों असहज हो गये थे । केतकी के पापा जब अभय से मिलकर चले गये तो कजरी ने फिर से वही सवाल कर बात शुरू कर दी..केतकी और अभय आपस में ही.. जब तेज आवाज मे बोलने लगे तो कजरी ने उन्हे रोका और कहा कि अंकल सुन लेंगे तुम दोनो मुझसे कहो क्या बात है ?
अभय बोला अपनी प्यारी सहेली से ही आप पूछ लीजिए ..अभय यह कह कर चुप हो गया और फर्श को देखने लगा ..
कजरी केतकी की तरफ देखकर बोली हां.. केतकी तुम बताओ ? केतकी बोली ..देखो कजरी मैने कुछ इनसे मांग की है यदि वे पूरी नही होगी तो .. कोई उम्मीद मुझसे अभय न करे .. कजरी बोली मांग क्या की है वह बताओ । केतकी बोली यही कि तुम हमारे साथ मुम्बई में रहो ताकि मै अपने पापा की बिजनेस मे हेल्प कर सकूं । यदि इसको पापा के साथ रहने मे परेशानी है तो नया मकान बनवा लो ताकि मैं इसके पास जब यह छुट्टी आये तब आजाया करूंगी । इनके माता पिता भी वहां आकर रह लेंगे ।
कजरी बोली ..यार केतकी जैसे तुम अपने पापा से प्यार करती हो वैसे ही जीजू भी करते हैं । देखो यह सामाजिक व्यवस्था है पत्नी को ससुराल में ही रहना चाहिए ।
केतकी बोली मै नही मानती इस व्यवस्था को पत्नी ही क्यों अपना घर छोड़े पति क्यों नही । अभय बोला मैं मेरे पापा का एक ही बेटा हूँ उनको कैसे धोखा दूं । वैसे भी साल में तीन महिने की छुट्टी मिलती है उसमे भी दो महिना ही छुट्टी मिलती है । सभी शान्त हो गये ..कजरी अपने नाक पर अंगुली रखकर सांस खैचते हुए
बोली ..जीजू आप ही कुछ हल निकालो ..केतकी बड़ी जिद्दी है ..कजरी जी आप भी मुझसे ही कह रही है कि मै ही हल निकालूं ।
कुछ देर तक अभय सोचता रहा फिर बोला .. यह हो सकता है केतकी अपने पापा के साथ मे रहे और जब मै छुट्टी आऊं तब घर आ जाये ..हालाकि इसके लिए भी मम्मी पापा को मनाने मे मुझे मशक्कत करनी पड़ेगी । केतकी बोली जब सर्विस पूरी हो जायेगी तब .. अभय बोला इतना आगे का मत सोचो ..उस समय परिस्थिति जैसी बनेगी वह उसी समय सोचेंगे ..
केतकी बोली मुझे पांच मिनट दीजिए प्लीज मैं बताती हूँ ..यह कह कर टेबिल रखी सेव उठाकर चाकू से उसको छीलने लगी और एक प्लेट मे उसके पीस रखकर अभय की तरफ बढाते हुए बोली.. डन ..मुझे मंजूर है । इससे मै अपने पापा के काम मे हाथ भी बटा पाऊंगी। पापा की तरफ से मेरी टेंशन खत्म हो जायेगी । अब तुम बताओ तुम्हारी कोई ..अभय केतकी आंखो मे देखते हुए बोला.. केतकी बस मेरे मम्मी पापा का हमेशा मान सम्मान का ध्यान रखना ..ठीक है यह तो मेरा फर्ज है अभय, तुम इसकी चिंता मत करो.. जैसे मेरे मम्मी पापा.. वैसे ही तुम्हारे मम्मी पापा .. केतकी अभय को देखर मुस्कुराने लगी ..
कजरी गंभीर होकर बोली देखो केतकी मै एनजीओ चलाती हूँ मेरे पास कई तरह के केस आये ..मैने उनमे यही पाया किसी मे आपसी तालमेल नही था तो सहनशीलता का अभाव दोनो मे था .किसी एक मे स्वतंत्रता की चाह , या किसी का पति /पत्नी के रिश्तेदारों को मान न देना ,या पत्नी की तुलना या पति की तुलना किसी कामयाब से करके देखा जाना, एक दूसरे पर शक करना , मै आपको सावधान करती हूँ शर्तों से प्यार कम होता है तुम दोनों हमेशा यही देखते न रहो कि पत्नी ने शर्त तोड़ दी पति ने शर्त तोड़ दी .. केतकी खिलखिलाकर हंस देती है ..हम दोनो समझदार हैं ऐसा कुछ नही होगा .. हम मैनेज कर लेंगे.. कजरी बोली अच्छी बात है ..खैर मै आपके लिए दुआ करूंगी आपकी जोड़ी सलामत रहे । इनकी आपस मे बात चल ही रही थी कि गेट के बाहर से बड़ी मीठी आवाज आती है जीजू क्या मै अंदर आ सकती हूँ ।