shayari - 11 in Hindi Love Stories by pradeep Kumar Tripathi books and stories PDF | शायरी - 11

Featured Books
  • संभोग से समाधि - 6

      सौंदर्य: देह से आत्मा तक   — 𝓐𝓰𝔂𝓪𝓣 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓷𝓲 सौंदर्य का अनुभव...

  • इश्क और अश्क - 56

    सीन: वर्धांन और गरुड़ शोभितवर्धांन गरुड़ लोक पहुंचता है।गरुड...

  • आखिरी आवाज

    श्रुति को हमेशा से पुरानी चीज़ों का शौक था — किताबें, कैमरे,...

  • जेमस्टोन - भाग 2

    Page 12  अमन: अमर, ये सब क्या हो रहा है? ये लोग कौन हैं? और...

  • वो खोफनाक रात - 6

    पिछली कहानी में पढ़ा कि अनीशा लक्षिता और लावन्या को कॉल करके...

Categories
Share

शायरी - 11

ऐ दिल तु मुझे प्रेम के बंधनों में मत उल्हजा, ये जिससे हो जाता है वही छोड़ जाता है।।

अजीब मुसीबत है रूठे हुए को मनाना भी
मान जाए तो छोड़ता हिं नहीं और न माने तो छूटता ही नहीं।।

ये एक कमी उन्हें भी रुलाती होगी ,
इश्क़ उन्हें भी होता होगा याद उन्हें भी आती होगी।।
हम ही यहां तड़पते है ऐसा नहीं होता होगा,
वो भी किसी की बांहों में तड़प तड़प के सिसकती होगी।।
एक यही वाक्या उनके साथ न होता होगा,
मैं हांथ पकड़ने की इजाजत लेता वहां तो खुद बांहों में जाती होगी।।
हम क्या जाने अब उनका क्या क्या होता होगा,
हम कंधे से दुपट्टा न खिसकने देते खुद जोड़ा उतार कर जाती होगी।।
अब हम क्यों कहे कि क्या होता होगा,
प्यार नहीं था सायद हमसे इसलिए सज धज कर डोली में जाती होगी।।
अब तो हमें क्या पता दिल में उसके क्या होगा,
शायद मेरा प्यार भरा हो या उसके दिलबर का नशा होगा।।
दिल उसका भी तो मेरे बिन रोता होगा,
शायद उसकी कहानियों में उसका दिल भी बहल गया होगा।।
आते ही पूछूंगा उससे क्या हुआ होगा,
पहली थोड़ा शर्म आएगी फिर धीरे-धीरे बोलेगी जो भी वहां हुआ होगा।।


साकी तू नशे में हैैै और मैं पीता नहींीी,
तू इशके बिना रहता नहीं मैं उसके बिन जीता नहीं।।

तुझको नशा है इस नशीली बोतलों और जाम का,
मुझको नासा है चश्मे के पीछे छुपे दो नैनो के पैगाम का।।

जलता रहा सारा शहर और ऑधियो का दौर था।
तू तब भी कहीं और थी और मैं भी कहीं और था।।

तुझे मेरी जिद देखनी थी देख
बर्बाद हो जाऊंगा या तबाह कर दूंगा।।

सब को खुश करते करते इस मकाम तक आगये, की जिंदगी तमसा बन कर देखती है मुझे।
मेरी खुशी के लिए सब ने इतना कुछ किया, दिल के ज़ख्म सूखने न पाए पीठ पर दे कर चले गए।।
अब मैं भी तमसा देखूंगा जिंदगी से बहुत दूर जा कर, आए देखे जख्म न दे सके तो कंधे पर उठा कर चल दिए।।

बहुत गुस्सा हूं कि मैं जिंदा क्यों हूं,
बहुत प्यार आ रहा मैं मर क्यों नहीं जाता।।
इलाज है मेरे अपने चाहने वाले सब,
पर चाहते हैं ये मर ही क्यों नहीं जाता।।

वो आए है मेरी जिंदगी का मुकदमा लड़ने,
जब मैं जिंदा था तो वो फीस मगाते थे।।

अब क्या यहां जीना भी और जिंदा रहना भी,
एक दिन मरने के लिए छोड़ो इतना इंतजार करना भी।।

जिंदगी तू कितनी बड़ी बोझ है, ना हो तो देख ले मेरे सर के बाल तक चले गए।।

कोई आए कोई जाए तो क्या होगा अगर तू चली जाए तो क्या होगा।
तेरे जाने के बाद तेरे गम में रोना ये जिंदगी ही चली जाए तो क्या होगा।।

ऐ जिंदगी तू कितनी कर्ज दार है किस किस की,
एक चुकाता हूं तो दूसरे पर बांकी रह जाता है।।

चलो इसी बहाने वो मुझसे मिलने मेरे घर तक आई।
अगर मौत ही वजह थी उसके आने की तो मुझे पहले क्यों नहीं आई।।

मुझे अब कुछ नहीं मेरी जिद ही मुझको चाहिए,
अगर है जिंदगी फलसफा तो मुझे मौत ही चाहिए।।

अगर ये है किसीको मंजूर तभी मेरी कब्र पर आइए।
जिंदगी प्यारी अगर हो तो यहां से प्लीज जाइए।।