Milan pur - 3 in Hindi Fiction Stories by Mehul Pasaya books and stories PDF | मिलन पुर - 3

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मिलन पुर - 3

ओके चलो वैसे टाइम देखलो की सब स्टोर खुलने का वक़्त हुआ या नहीं वरना ऐसे ही फालतू में घूमना पड़ेगा और कुछ मिलेगा भी नहीं

अरे कोई नी वेट कर लेंगे और क्या

ठीक है फिर

वैसे कल वाली गाड़ी मेने बदल दी क्यू की उस गाड़ी में ब्रेक नहीं थे तो सोचा क्या पता किसी की ठूक ना जाए

अरे फ़ॉर व्हीलर है भाई कुछ नहीं होगा वैसे एट लीस्ट ब्रेक तो है ना भाई

हा भाई ब्रेक है तुम फिकर ना करो ओके

अरे भाई भाई आगे देखो

ओह नो यार इतनी स्पीड में गाड़ी को कैसे रोक

अरे ब्रेक मारो धीरे धीरे कम ऑन

ओके रुक जाओ ओ ओ ओ ओ

माया माया तुम ठीक हो ना उठो जल्दी

हा ठीक हूं। और तुम देख कर गाड़ी नहीं चला सकता क्या। तुम

अरे माया क्या हुआ माया। कोन हो तुम और ये माया तुम्हे देख कर बेहोश क्यू हो गए

क्यू की हमारी शादी हो चुकी है ओलरेडी पर अभी इस सवाल का जवाब देना जरूरी नहीं है पहले इसे हॉस्पिटल ले चलते है ओके कॉम ऑन हरी उप

हा हा चलो जल्दी वरना कुछ भी हो सकता है

कुच देर बाद...

अनिल भाई सुनो तो वैसे ये ठीक तो हो जायेगी ना

अरे हा भाई फिक्र मत करो ठीक हो जायेगी

रुको मम्मी का फोन है.

अरे बेटा कहा हो तुम और इतनी सुबह सुबह कहा गए हो

अरे नही मम्मी वो ना आज एक अर्जेंट काम था तो सीधा रेडी हो मर चला आया

ठीक है लेकिन संभाल कर आना

हा मम्मी आप फिक्र मत करो मे आ जाऊंगा और अब मे फोन रखता हू

मे यहा कैसे कैसे आई और मुझे क्या हूअ था

अरे अरे उठिए मत आप बेहोश हुए थे तो आप को हॉस्पिटाल मे लाया गया है डोंट वरि आप फिक्र मत करिये आपको सही सलामत घर भेज देंगे

और वो कोन है जो फोन मे बात कर रहे है

जी वो दरअसल वही है जिसको देख कर आप बेहोश हो गए थे

उसको मेरे पास बुलाओ मुझे उसको देखना है

अरे रिशब भाई सुनो तो ज़रा यहा आओ

हा बोलो क्या हुआ

मेने बुलाया है आपको

जी अब आपकी तबियत कैसी है सब ठीक है ना

जी ठीक है लेकिन आप इतने दिन बाद मिले हो थे कहा इतने दिन

कुच नही बस घर और क्या अब तो मम्मी भी अकेली घर का काम करती है जब से तुम गई हो मेरी छोडो मम्मी का जो साथिदार था वो चला गया हो ऐसा लगता है

कोई बात नही मे मम्मी जी की हैल्प कर दूंगी क्यू की इतनी देर तक तो मुझे पता नही था

कमाल है यार रिशब भाई तुम लोगो के इस रिश्ते के बारे मे तो मुझे पता ही नही था

तो अब पता लग गया ना अब क्या चाहिए

ये सब छोडो और मुझे मम्मी जी के पास ले चलो बहुत दिन हो गए उसको देखा तक नही

हा चलो वैसे भी हम दोनो की लडाई के बिच मे हमने मम्मी के बारे मे तो सोचा ही नही

पढ्ना जारी रखे...