Real Incidents - 7 in Hindi Moral Stories by Anil Patel_Bunny books and stories PDF | Real Incidents - Incident 7: इस प्यार को क्या नाम दूं?

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Real Incidents - Incident 7: इस प्यार को क्या नाम दूं?

सूचना: इस सीरीज की सारी कहानी सच्ची घटना पर आधारित है, पर पूरी कथा सच्ची नहीं है। इसमें लेखक की कुछ कल्पनाओं का सहारा भी लिया गया है। इन सभी कहानी का मकसद केवल मनोरंजन है। लेखक का इस कहानी से किसी का दिल दुःखाने का मकसद बिल्कुल नहीं है।

मैरिज हॉल में शादी की तैयारी जोरों-शोरों से हो रही थी। दो परिवार आज एक होने जा रहे थे। अरेंज मैरिज का भी अपना अलग ही महत्व है। ये बिल्कुल अनजान लोगों को भी एक कर देता है। सिर्फ पति-पत्नी ही नहीं बल्कि दो परिवार भी इससे जुड़ जाते है। चारों तरफ खुशी का माहौल था। क्या बच्चे क्या बूढ़े? सभी लोग इस पल को एन्जॉय कर रहे थे। इन लोगों को कहां पता था कि आगे क्या होने वाला था।
“हम लोग बारात लेकर आ गए समधी जी कहाँ है?” दूल्हे के पिताजी ने पूछा।
“वो कुछ सामान लेने गए है। ऐन वक्त पर उन्हें कुछ याद आ गया, घर पर और कोई नहीं था तो वो खुद ही लेने चले गए।” दुल्हन की माँ ने कहा।
“ये क्या बात हुई? किसी और को भेज देते। कम से कम बारातियों के स्वागत तक तो रुक जाते।” दूल्हे के पिताजी ने कहा।
“माफ़ी चाहती हूं, बस कुछ देर रुक जाइए वो आते ही होंगे!” दुल्हन की माँ ने कहा।
“हद हो गई। इतने सारे बाराती को लेकर हम इंतज़ार करें? कोई बात नहीं 5 मिनट रुक जाते है।” दूल्हे के पिता जी ने कहा, “अरे दूल्हे की माँ किधर है?” दूल्हे के पिता जी ने पूछा।

वहां से कुछ ही दूरी पर रेलवे स्टेशन पर,
“हम कुछ गलत तो नहीं कर रहे ना?”
“बिल्कुल नहीं, तुम साथ हो तो मुझे किसी बात का डर नहीं है। आगे जो भी होगा देखा जाएगा।”
“पर क्या समाज हमें और हमारे रिश्ते को एक्सेप्ट कर पाएगा? और समाज की बात जाने दो क्या हमारे परिवार वाले हमें और हमारे इस रिश्ते को मंजूर करेंगे?”
“अब मुझे उन लोगों की कोई परवाह नहीं है! जो होगा सो देखा जाएगा!”
“ट्रेन आ गई! क्या हम सचमुच जा रहे है?”
“एक बार अपने दिल पर हाथ रखकर सोचो फिर बोलो। तुम्हारे पास 2 मिनट का वक्त , 2 मिनट के बाद ट्रेन चल पड़ेगी।”
कुछ देर सोचने के बाद,
“जो होगा देखा जाएगा। मैं तुम्हारे साथ आ रही हूं।” इतना कहकर वो दोनों ट्रेन में चढ़ गए।
इस तरह से होने वाले समधी और समधिन जी अपने नए सफ़र पर चल दिए। उधर दूसरी तरफ शादी के मंडप में मातम सा माहौल हो गया जब उन लोगों को सच्चाई का पता चला। अगले दिन अखबार और टीवी के समाचारों में उन्हीं दोनों की खबरें थी। सारी जगहों से दोनों परिवारों की बदनामी होने लगी। लोग सभी को उलटा सीधा बोलकर निकल जाते थे। इस घटना से व्यथित होकर समधिन जी ने अपने परिवार में फोन किया और ऐसा करने के लिए माफी मांगी, पर उनके परिवार वालों ने साफ़ लफ़्ज़ों में उनसे बात करने के लिए मना कर दिया और कहा कि वो उन सब लोगों के लिए मर चुकी है। दूसरी तरफ समधी जी ने भी अपने परिवार की चिंता में फोन किया, उन्होंने उनको एक आखिरी मौका दिया कि वो अगर वापस आ जाएंगे तो वो उन्हें माफ़ कर देंगे।
“तुम अगर जाना चाहते हो तो जा सकते हो, तुम पर कोई फोर्स नहीं है।”
“ये क्या बोल रही हो तुम? मुझे बस उनकी फिक्र थी इसलिए उनको फोन किया था। मुझे वापस से उस ज़िंदगी में नहीं जाना है। मेरी जगह अगर तुम होती तो क्या तुम चली जाती?”
“मुझे भी सिर्फ उन लोगों की फिक्र हो गई थी इसलिए उनसे बात कर ली। पर अब मुझे उस दुनिया में वापस नहीं जाना है। कुछ दिन लगेंगे उन सब को भूलने में पर एक दिन हम उन्हें भूल ही जाएंगे।”
“काश ये हिम्मत 30 साल पहले कर ली होती… पर खैर आज हम साथ है। शायद कुदरत को यही मंजूर था। जमाना चाहे जो भी सोचे हमने अपने प्यार को इस मुकाम पर लाकर खड़ा कर दिया है कि अब कोई कुछ नहीं कर सकता। हम अब अपनी बाकी की ज़िंदगी ख़ुशी-ख़ुशी बिता लेंगे।”
“हां अब मुझे भी कोई परवाह नहीं जो ज़िंदगी हम नहीं जी पाए वो ज़िंदगी अब हम जिएंगे।”

30 साल पहले दोनों एक दूसरे से सच्चा प्यार करते थे पर किसी कारणवश इन दोनों की शादी नहीं हो पाई थी। कुदरत का करिश्मा कहो या कुछ और 30 साल के बाद दोनों की संतान की अरेंज मैरिज फिक्स हो गई। दोनों समधी और समधिन जी एक दूसरे को पहचान गए और उनका प्यार फिर से जिंदा हो गया। आखिरकार उन लोगों ने समाज की चिंता ना करते हुए अपनी बाकी की ज़िंदगी एक दूसरे के साथ बिताने के लिए ये कदम उठा ही लिया। सही किया या गलत ये तय करने वाला मैं कौन होता हूँ? मैं बस इतना कहूंगा कि जो जैसी ज़िंदगी जीता है उसी को अपनी ज़िंदगी चुनने का हक होना चाहिए।
आगे आप सब अपनी राय या विशेष टिप्पणी अवश्य दे।

सच्ची घटना पर आधारित।
Incident 7 समाप्त 🙏

✍ Anil Patel (Bunny)