Noukrani ki Beti - 47 in Hindi Human Science by RACHNA ROY books and stories PDF | नौकरानी की बेटी - 47

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नौकरानी की बेटी - 47



फिर सभी घर वापस आ गए और फिर सारा शापिंग का सामान एक अलमारी में रख दिया।



अन्वेशा ने कहा हां मां कल देखना, मैं तो सोने जा रही हुं।


आनंदी ने कहा हां सभी सोने चले।



दूसरे दिन सुबह आनंदी और अन्वेशा। तैयार हो कर नीचे पहुंच गए और नाश्ता करने लगे।


आनंदी ने कहा अन्वेशा और कुछ सामान छूट गया क्या?




अन्वेशा ने कहा हां, कुछ देर बाद ही आनंदी ने बताया कि रीतू दी की एयर टिकट २६तारिख की हुई है।


अन्वेशा ने कहा हां मां मुझे पता है।



चलो कुछ शापिंग करने चले।
आनंदी ने कहा हां चलते हैं।
कृष्णा ने कहा आज मैं नहीं जाऊंगी पैरों में दर्द है मुझे।।


आनंदी ने कहा हां मां टहला करो।
कृष्णा ने कहा अब बुढ़ापे में ये सब नहीं भाता है।


अन्वेशा ने कहा क्या नानी?
आनंदी ने कहा शादी इंडिया में जाकर होगा।


अन्वेशा ने कहा हां चेतन भी बोले है।



आनंदी और अन्वेशा शापिंग के लिए निकल गए।

आनंदी ने कहा देखो जो जो जरूरी है खरीद लो आज।
अन्वेशा ने कहा हां-हां।।



फिर और खरीदारी करने के बाद घर लौट आए।

फिर आराम से सारा सामान देखने बैठ गए।



चेतन भी पहले से आकर नानी के साथ समय बिता रहा था।



कृष्णा ने कहा पता है आनंदी ये चेतन ने मेरे पैरों को मालिश कर दिया और बहुत राहत हुआं।



आनंदी ने कहा अच्छा बहुत ही खुश हुई मैंने कि चेतन ने आपका ख्याल रखा।

अन्वेशा ने कहा अरे वाह नानी अब चेतन ही सब कुछ हो गया आपका।




फिर सभी ने मिलकर पहले अन्वेशा की सगाई के लिए जो जो सामान खरीदा वो सब दिखाया और फिर डिनर करने बैठ गए।

चेतन ने सभी को गाना गा कर सुनाया।
आनंदी ने कहा चेतन बहुत ही अच्छी आवाज है ।
चेतन बोला थैंक यू मैम।।

फिर चेतन चला गया।



फिर देखते देखते रीतू, शैलेश और शना आ गए।
आनंदी ने कहा दीदी आईये सारी सगाई की अंगूठी से लेकर सब कुछ दिखाती हुं।



अन्वेशा के रुम में सब पहुंच गए और फिर अन्वेशा ने ही सारी चीज़ें दिखाई और साथ ही रीतू मासी,मौसा,शना का गिफ्ट भी दे दिया।

रीतू ने कहा ओह माई गॉड क्या खरीदारी की है।

फिर सभी खाना खाने बैठ गए।


सगाई की सारी व्यवस्थाएं हो गई थी।
होटल प्लाजा में सब कुछ तैयारी चल रही थी।

अन्वेशा के हाथों में मेहंदी लग चुकी थी।



माहौल बहुत ही खूबसूरत सा था। कुछ अन्वेशा की दोस्त नाच रहे थे।
अच्छे अच्छे पकवान बन रहे थे।
शना भी मेहंदी लगा रही थी।
चेतन का अपना कोई नहीं था पर इतना अच्छा परिवार उसे मिला था कि वो भी नाच गा रहा था।


फिर आनंदी अपने सारे समर्पण एनजीओ के दोस्तों को बुलाया था।

सगाई रात को होने वाली थी।


सभी ने बहुत ही इन्जाय किया और फिर सब खाना खाने बैठ गए।


शाम को वियुटी पार्लर से दो लेडी आकर अन्वेशा को तैयार करने लगी।



फिर रीतू,शना को भी पार्लर से आई महिला ने सजा दिया।
फिर एक एक गाड़ी निकलने लगी।
फिर अन्वेशा और चेतन एक साथ नीचे उतर रहे थे।


आनंदी उनको ही देखे जा रही थी।

फिर सभी होटल में पहुंच गए।



अन्वेशा और चेतन स्टेज पर बैठ गए।



क्रमशः