Vo Pehli Baarish - 11 in Hindi Fiction Stories by Daanu books and stories PDF | वो पहली बारिश - भाग 11

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वो पहली बारिश - भाग 11

"हाय.. तुम्हें मेरे साथ काम करना था ना?", अपने डेस्क पे बैठी, लाल कॉलर वाली टी–शर्ट और ब्लू जींस पहने निया को, उसके पीछे बैठे ध्रुव का मैसेज आता है।

"हां करना तो था..", कुछ देर का समय लेकर निया ध्रुव को रिप्लाई करती है।

वो कॉफी लेने के लिए उठी ही होती है,की पीछे से आते हुए ध्रुव धीरे से बोला, "मुझे हमारा प्रोजेक्ट – 1 मिल गया है।"

"आ.. हा.. तो डरा क्यों रहे हो मुझे?" निया ने पीछे मुड़ते हुए बोला।

"ब्लू हार्ट कैफे.. पहुंच जाना आज शाम में, ६:०० बजे तक।" ये बोलते ही, ध्रुव साइड से निकल गया।

"ठीक है।", निया धीरे से जवाब देती है।

**********************
शाम के 5:30 बज रहे थे, जब निया देखती है, की ध्रुव पहले ही ऑफिस से निकल चुका है। निया भी उसी समय ऑफिस से निकल जाती है।

ऑफिस से बस थोड़ी ही दूर पे स्थित ब्लू हार्ट कैफे में जाते हुए निया को अपना आखिरी बार अंकित से वहां मिलना याद आ रहा ही होता है, की इतने में उसका फोन बजता है। फोन उसकी सहेली सिमरन का था।

"कैसी है तू?", सामने से आवाज़ आती है।

"मैं.. ठीक हूं, तू बता?" निया हल्का मुस्करा के जवाब देती है।

"मैंने सोचा, पता नहीं तुझे पता भी है या नहीं, और कैसे बताऊ तुझे।"

"क्या बोले जा रही है.. साफ़ साफ़ बता।"

"मैं.. वो तुझे बता रही थी, की अंकित बाहर जा रहा है, उसकी टीम से उसे और एक और जने को बाहर भेजने के लिए सिलेक्ट किया है। कल उसकी फ्लाइट है, फिर पता नहीं कब मौका मिलेगा तुझे उससे मिलने का।"

"पर उसका तो.. उसने कुछ बोला तो नहीं था.. सच कह रही है क्या तू? पक्का पता है तुझे?"

"हां.. पक्का पता है मुझे, और तुझे मैं इसलिए बता रही हूं, ताकी तू अपना क्लोजर ले पाए, सब ख़त्म कर पाए उसके साथ।"

"अच्छा.. तुझे उसका एड्रेस पता है?"

"हह.. हां, मैं तुझे पता करके दिला सकती हूं।"

"ठीक है, मैं वेट कर रही हूं।", बस से उतर कर, बस स्टॉप पे बैठी निया सिमरन को बोलती है।

कुछ देर वहां बैठे रहने के बाद जब सिमरन का कॉल है, तो वो निया को बताती है की उसने अंकित का पूरा एड्रेस मैसेज कर दिया है। और साथ ही वो निया को वहां तक कैसे जाए ये समझाती है, और बोलती है की आज के बाद इस बारे में ज्यादा ना सोचे।

निया ओके बोल कर उसका फोन काटती ही है, की वो देखती है की ध्रुव के कई मैसेज आए हुए थे।

"हाय.. हमारा प्रोजेक्ट है, प्रोजेक्ट अहाना। तुम्हारी तरह वो भी पहली बारिश का शिकार हुई थी इस बार।"
"हेय. टाइम ज्यादा लगेगा क्या?"
"आ रही हो या नहीं?", कुछ सेकंड पहले आया हुआ ये आखिरी मैसेज निया पढ़ती है तो उसका ध्यान फ़ोन में दिख रहे टाइम पे जाता है। 6:45 बज गए थे। अब तक तो शुरू कर दिया होगा उसने अपना काम, उसे फोन करु या नहीं?

निया अभी अपनी बेकार की उलझन में ही होती है, की उसका अचानक उसका फोन बजा और उसके हाथ से फिसला। वो तो शुक्र है, की फोन को लेकर उसके रिफ्लेक्सेस अच्छे थे, और वो गिरने से बच गया।

"हाय.. कहां हो तुम? ठीक हो ना, पहुंची नहीं अभी तक यहां और मैसेज का जवाब भी नहीं दे रही कुछ।", निया के फोन उठाते ही सामने से ध्रुव सवाल करता है।

"हां.. मैं ठीक हूं, पर मैं आज नहीं आ पाऊंगी।", निया जवाब देती है।

"क्यों.. क्या हुआ? काम ज्यादा है?"

"नहीं.. बस मन नहीं है।"

"ओह.. ठीक है।" ये बोलते ही ध्रुव फोन काट देता है।

निया हिम्मत करके वहां से उठ कर दूसरी तरफ़ बढ़कर बस के लिए इंतजार करती है।

***********************
कुछ देर बाद, ध्रुव जब वापस घर पहुंचता है, तो देखता है, की उनकी बिल्डिंग के अंदर जाने वाले रास्ते पे निया मुंह नीचे करके बैठी थी।
पहले से ही नाराज़ ध्रुव, जब उसे अनदेखा कर अपने घर जाने का विचार करके वहां से निकल रहा होता है, तो पता नहीं क्या सोच कर, पीछे मुड़ कर वो वापस आ जाता है, और निया जिस थल्ली पे बैठी थी, उसके सामने घुटने मोड़ कर बैठ गया।

"निया.. क्या हुआ है तुम्हें?", वो धीरे से उसके कंधे पे हाथ रखते हुए बोला।

"पहली बारिश.. ये पहली बारिश बहुत बेकार है।", निया उठते हुए बोली।

"क्या हुआ?"

"तुम्हें ना.. हमे ना.. इस पहली बारिश के खिलाफ़ मोर्चा उठाना चाहिए। होनी ही नहीं चाहिए पहली बारिश।

हम चलेंगे.. यूएन चलेंगे.. वहां उठाएंगे ये मुद्दा। सब की सुख शांति के लिए।", निया आगे बोली।

खुद को हंसने से रोकते हुए ध्रुव, निया की अटपटी बात पे, उसे कहता है, "मुझे लगता है, की तुम्हें थोड़ा आराम करना चाहिए। चलो मैं भी ऊपर ही जा रहा हूं, साथ चलते है।"

"नहीं, मैं बिल्कुल ठीक हूं। मुझे यही रहना है। सब मुझसे जाने को क्यों कहते है।", आंखों तक आए आंसू के साथ निया बोली,और अचानक ही उसने उसका सिर सामने बैठे ध्रुव के कंधे पे रख दिया।

अपने अचानक से तेज़ धड़कते हुए दिल को संभालते हुए, ध्रुव बोला, "निया.. क्या हुआ?"

"मुझे लगता है, सो गई है ये।", पीछे से आई रिया बोली।
"हह??"

"ये कुछ दिनों से बस 2-3 घंटे ही सो रही है, तो ये तो होना ही था।", रिया ने समझाया, और ध्रुव की मदद से निया को पीछे कर, बैग में लाई हुई बोटल से हल्का पानी छिड़का।

"आ..", निया ने अचानक से बोला।

"रिया.?", ध्रुव रिया को बड़ी आखों से देखते हुए बोला।
"तो यही सोते रहने दू फिर इसे?", रिया ध्रुव को बोलती है।

"निया.. चल घर चल.. और अब ये नौटंकी बंद कर।", एक दम से नींद से उठी निया को रिया ने हाथ देते हुए बोला। और बिना कुछ बोले, निया भी उसके साथ चल दी।