Neem Tree (Part 12) in Hindi Short Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | नीम का पेड़ (भाग 12)

Featured Books
  • THIEF BECOME A PRESEDENT - PART 5

    भाग 5 (मजेदार मोड़): एक सनकी हसीना का आगमन टिमडेबिट ने सब सच...

  • बेवफा - 44

    ### एपिसोड 44: नई सुबह की ओरसमीरा की ज़िन्दगी में सबकुछ बदल...

  • सर्वथा मौलिक चिंतन

    भूमिका मित्रों उपनिषद कहता है सर्व खल्विदं बृम्ह,सबकुछ परमात...

  • Zom-Bai - 1

    EPISODE #1Episode#1 First Blood"लेफ्ट राईट, लेफ्ट राईट लेफ्ट...

  • शोहरत का घमंड - 155

    सोमवार का दिन........अरुण वकील को जेल ले कर आ जाता है और सार...

Categories
Share

नीम का पेड़ (भाग 12)

38--विश्वास
मम्मी पापा तो कॉलेज जाएंगे नही फीस जमा कराने।जीजाजी करा आएंगे।"
राजवीर पुलिस में दरोगा थे।उनके दो बच्चे थे।बेटी रूपा और बेटा रमेश।राजवीर ने शादी के बाद घर के किसी भी काम से वास्ता नही रखा था।वह हर महीने वेतन मिलने पर पत्नी कमला को पकड़ा देते।उन्होंने घर और बच्चों की जिम्मेदारी पत्नी पर डाल रखी थी।
राजवीर ने कभी भी बच्चों के स्कूल की तरफ झांककर भी नही देखा था।बच्चे स्कूल जाने लायक हुए तब कमला ने ही उन्हें स्कूल में भर्ती कराया था।बच्चे छोटे थे तब कमला ही हर महीने फीस जमा कराने के लिए स्कूल जाती थी।बच्चे बड़े और समझदार हुए तब खुद फीस लेकर जाने लगे।
रमेश ने इन्टर पास कर ली थी।उसका इंजिनीरिंग कालेज में एड्मिसन हो गया था।दो लाख रु फीस जमा करानी थी।इतने सारे रु घर से कालेज ले जाने के लिए बड़े आदमी की जरूरत थी।इसलिए रमेश ने मां से कहा था।
"नरेश को फीस जमा कराने नही भेजूंगी"
"क्यों मां?"रमेश ने पूछा था।
"नई रिश्तेदारी है।रकम बड़ी है।कैसे विश्वास कर लूं?"
रूपा की नरेश से एक महीने पहले ही शादी हुई थी।इसलिए कमला को दामाद पर विश्वास नही था।और वह दो लाख रु उसे देना नही चाहती थी।माँ की बात सुनकर रुपए बोली,"माँ जब नरेश पर विश्वास नही है,तो बेटी की पूरी जिंदगी क्यो उसके हवाले कर दी?"
बेटी की बात ने कमला को सोचने पर मजबूर कर दिया।
39--सही या गलत
"क्या बात है शीला?बहुत परेशान लग रही हो?"रीना, शीला का उतरा हुआ चेहरा देखकर बोली।
"मैं फेल हो गयी।"
शीला की पांच साल पहले कैलाश से शादी हुई थी।कैलाश जुआरी,शराबी और ऐय्याश किस्म का आदमी था।वह शीला का मानसिक,शारीरिक हर तरह से उत्पीड़न करता था।पति के अत्याचार सहते हुए शीला इतनी परेशान हो गयी कि एक दिन मायके चली आयी।वह माँ बाप पर बोझ बनना नही चाहती थीं।उसने अपने पैरों पर खड़े होने के लिए नर्सिंग के कोर्स में एडमिशन ले लिया।
"अग्रवाल सर् से सम्बन्ध बना ले।वह तुझे परीक्षा में ही पास नही करा देंगे।तेरी नौकरी भी लगवा देंगे।"शीला की परेशानी का कारण जानकर रीना बोली।
"सम्बन्ध।कैसे सम्बन्ध?"रीना की बात सुनकर शीला बोली।
"तू औरत है।मर्द से सम्बन्ध का मतलब नही समझती,"रीना बोली,"मुझे ही देख।अग्रवाल सर् से सम्बन्ध बनाने पर नर्स की ट्रेनिंग ही पास नही कि मेडिकल कालेज में नर्स भी हूँ।"
"पराये मर्द से सम्बन्ध?"रीना की बात का मतलब समझ मे आने पर शीला बोली थी।
"अपने मर्द से सम्बन्ध बनाने पर तुझे क्या मिला?जुल्म,अत्याचार और परित्यक्ता का लेबल," रीना, शीला को समझाते हुए बोली,"पराये मर्द के साथ सोने से भविष्य सँवरता है,तो इसमें क्या बुराई है?
रीना की बात सुनकर शीला सोचने लगी।पराये मर्द से सम्बन्ध जोड़ना सही है या गलत।
40--तमंचा
केशव मंदिर में पुजारी था।मकान बेचने को लेकर उसका पत्नी से झगड़ा हो गया।केशव मकान बेचना चाहता था।मोना को मकान उसके पिता ने खरीद कर दिया था और उसके नाम ही था।वह मकान बेचने के लिए तैयार नही थी।पत्नी के ना कहने पर वह गुस्से में इतना उतेजित हो गया कि बक्शे में रखा तमंचा निकाल लाया और पत्नी को गोली मार दी।

अखबार में छपे समाचार को पढ़कर मैं सोचने लगा।पुजारी के घर मे तमंचे का क्या काम?कहीं पुजारी की आड़ में