Noukrani ki Beti - 28 in Hindi Human Science by RACHNA ROY books and stories PDF | नौकरानी की बेटी - 28

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नौकरानी की बेटी - 28

आनंदी ने दिल्ली में फिर से अपनी पोस्ट जोय्न कर लिया।
आनंदी के पीएचडी स्कॉलर और गोल्ड मेडलिस्ट होने की खुशी में उसके आफिस में एक शानदार पार्टी रखी गई थी। जिसमें आनंदी और उसकी मां को आमंत्रित किया गया।
आनंदी ने कहा मां परसों आफिस की तरफ से पार्टी है जिसमें मुझे सम्मानित किया जाएगा।

कृष्णा ने कहा हां आनंदी ये बहुत खुशी की बात है हम जरूर जायेंगे।

आनंदी ने ये बात फोन पर रीतू को भी बताया। रीतू सुनकर बहुत खुश हुई।

आनंदी ने कहा चलो मां हम शापिंग मॉल चलें।
फिर दोनों जाकर खरीदारी भी किया।

आनंदी घर आकर सारा सामान रखा और फिर जो साड़ी लाई थी उसे देखने लगी। मां ने कहा आनंदी नीला रंग तेरे ऊपर अच्छा लगेगा।
आनंदी ने कहा हां मां ये कांजीबरम साड़ी है।


फिर आनंदी अपना काम करने लगी।
कुछ विघालय में पैसे भेज दिया और फिर कुछ लाचार औरतों के लिए लघु उद्योग की व्यवस्था करवाई जिससे खुद रोजगार करें और अपना पेट भरे।

आज आनंदी सज संवर कर तैयार हो गई थी। फिर कृष्णा वाई भी तैयार हो कर अपनी गाड़ी से निकल गए।

बहुत ही बड़े से भवन में आयोजित किया गया था।
शहनाई वादन भी बज रहा था धीरे धीरे लोगों की भीड़ होती गई।

आनंदी और उसकी मां अन्दर पहुंच गए तो वहां से उसका आदर सत्कार शुरू हो गया।
आनंदी को गुलाब के फूलों का गुलदस्ता भेंट किया गया और फिर दोनों को स्पेशल सीट पर बैठाया गया।

फिर स्टेज पर कार्यक्रम आयोजित किया गया।
पहले कुछ वक्ता हुआं और फिर आनंदी के बारे में बताया गया और उसके पीएचडी आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से करने की बात और शोध में गोल्ड मेडल प्राप्त होने की बात कही गई।

फिर आनंदी को संबोधित करते हुए उसे स्टेज पर बुलाया गया।

आनंदी स्टेज पर पहुंच गई और फिर कुछ शब्द बोलने को कहा गया फिर आनंदी ने अपना जीवनी थोड़ा सा व्यक्त किया।
फिर आनंदी को माल्यार्पण किया गया और एक शाॅल , एक घड़ी दिया गया।
फिर तालियों की गूंज से पुरा भवन गुंज उठा।।

और फिर आनंदी को डा आनंदी से सम्बोधित किया गया था।

फिर सब लोग डिनर करने गए जहां बहुत कुछ आइटम थे।
सब खाना खाने लगे।
आनंदी और उसकी मां भी खाना खाने लगे।
फिर आनंदी का पीए शर्मा जी ने आनंदी के सारे तोहफों को उनके गाड़ी में रख दिया।

फिर आनंदी और उसकी मां गाड़ी में बैठ गए और फिर वापस घर आ गए।
आनंदी ने घर आकर रीतू को फोन पर सब कुछ बताया।
रीतू भी सुनकर खुश हुईं।

आनंदी ने अपने आफिस से मिले हुए गुलाब के गुलदस्ते सजा दिए और घड़ी,शालॅ को अलमारी में रख दिया।
आनंदी ने लैपटॉप पर कुछ काम भी किया और देखा कि युनिवर्सिटी में उसका शोध को प्रकाशित किया जाएगा अगले महीने।

फिर आनंदी सो गई।
सुबह को सैर करने के बाद वापस आ कर तैयार हो कर नाश्ता करने बैठ गई।
टोस्ट, जूस,उबले हुए अंडे कृष्णा ने परोस दिया और खुद भी लेकर बैठ गई।
फिर आनंदी आफिस के लिए निकल गई।
आफिस में जाकर ही आनंदी का काम शुरू हो गया।
नये नये फाइल को देख कर दंग रह गई थी कि बहुत कुछ गलत हो रहा है सभी को बुलाया और एक बोर्ड मीटिंग बुलाई गई।

आनंदी ने अपने सहकर्मियों और उसके अंडर काम करने वाली टीम को सारी बात बताई और सभी को एक एक जिम्मेदारी दे दिया और दो महीने में पुरा करने को कहा।

सभी अपने अपने काम पर लग गए।।

आनंदी का एक सपना था कि वो एक एनजीओ खोलें जहां पर सब तरह के अनाथ बच्चों को सहारा दे और फिर सभी को शिक्षित करें।
उन्हें इस काविल बनाये की वो भी आगे किसी का सहारा बने और उसे शिक्षा प्रदान करें।
आनंदी ने एक अभियान चलाया की सभी को अल्पसंख्यकों को शिक्षित होना होगा और इसके लिए सभी को एक मत होना होगा।

ये अभियान बहुत जल्दी ही सभी देशों में फ़ैल गया और इसी बीच आनंदी की पोस्टिंग हो गई।
उसका लेटर आ गया था।

आनंदी की पोस्टिंग अब इन्दौर में हो गई थी अगले महीने ही उसको जाना था।इस बार भी आनंदी को उच्च कोटि का पद प्राप्त हुआ था और उसकी सेलैरी भी और अच्छी होने वाला था।
आनंदी ने ये खबर सबसे पहले रीतू को फोन पर दिया।
रीतू भी बहुत खुश हो गई। और फिर बोली वाह आनंदी बहुत अच्छी जगह पर पोस्टेड हुआं।।
और हां एक एनजीओ भी खोल रही हैं तू।।
आशीर्वाद दिजिए दी कि जैसा सोचा है वैसा कर पाऊं। ये आनंदी ने कहा।।

रीतू ने कहा हां क्यों नहीं कर पायेगी।।

आनंदी ने कहा हां जाने से पहले ये काम करके जाना चाहतीं हुं और सभी जगह पर एक एक शाखाएं खोलने का निर्णय लिया है।
रीतू ने कहा हां ज़रूर ये सुनकर गर्व महसूस हो रहा है।

फिर आनंदी और कृष्णा खाना खा कर सो गए।

दूसरे दिन से ही आनंदी ने पुरी जानकारी लेनी शुरू किया और उसका ये प्रयास सफल हो गया।
उसने बहुत जल्दी ही एक एनजीओ खोल लिया जिसका नाम समर्पण रखा था आज आनंदी के सफल प्रयास से समर्पण एनजीओ का उद्घाटन है। और आनंदी ने अपनी मां के हाथों अपने नये एनजीओ का उद्घाटन करवाया।

आनंदी ने अपने सभी आफिस के दोस्तों को भी बुलाया था।
उस एनजीओ के लिए आनंदी एक पुरी टीम रखा और आनंदी ने ही इन्टरव्यू लिया और फिर उनमें से युवाओं को ही चुना और फिर आनंदी ने कहा कि मुझे किसी तरह का कोई शिकायत नहीं चाहिए। मेरे समर्पण का नाम सार्थक होना चाहिए।।
फिर धीरे-धीरे समर्पण में बहुत सारे बच्चों को सहारा दिया गया जिनके परिवार में कोई नहीं है, कोई अनाथ है।
समर्पण में बच्चों को सारी सुविधाएं उपलब्ध कराई गई और उनको पढ़ाई-लिखाई करने का मौका भी दिया गया।
एक महीना बीत गया और अब आनंदी को इन्दौर के लिए एक नया सफर शुरू करना होगा।।


आनंदी ने कहा मां सारी पैकिंग हो गई।
कृष्णा ने कहा हां आनंदी सब कुछ हो गया।
आनंदी ने कहा परसों ही हमलोगो को निकलना होगा और जाने से पहले मुझे अपने एनजीओ की टीम को सारी चीज़ें समझानी होगी।

आनंदी ने सभी को घर पर बुलाया और बोली कि अब मुझे इन्दौर जाना होगा और जाने से पहले मैं तुम सभी को कुछ बताना चाहतीं हुं।

टीम लीडर नताशा को मैं सब कुछ समझा दिया है मुझे यकीन है कि तुम लोग मेरे समर्पण को कभी मरने नहीं दोगे।
अनाथ, बेसहारा बच्चों को सहारा देने का प्रयास करोंगे।
मैं मोनिटरिंग करूंगी और फाइनेंस पुरी तरह से दुंगी बस देखना की कोई तकलीफ़ में ना हो।

राहुल ने कहा हां दीदी हम लोग मिलकर पुरी कोशिश करेंगे।
आनंदी ने कहा गुड। और तुम लोगों की सैलरी
टाइम टू टाइम मिल जायेगा।
और पुजा एकाउंट में कोई भी डिले मत करना और अगर कोई भी हमारे समर्पण के साथ जुड़ना चाहता है, डोनेशन देना चाहता हो तो अच्छी बात है एक करेंगे तो सभी करेंगे।उन बच्चों का उज्जवल भविष्य मुझे दिख रहा है।।
मैं अकेले नहीं कर पाऊंगी मुझे तुम सबका साथ चाहिए।
फिर सभी नाश्ता करके चले गए।
कृष्णा ने कहा आनंदी मुझे यकीन है कि तुम जरूर कामयाब होगी।
आनंदी ने कहा हां मां मैं चाहती हूं कोई तकलीफ़ में ना रहे बस।
फिर आनंदी ख़ाना खा कर सो गई।
बस एक दिन बाद ही आनंदी को इन्दौर के लिए निकलना है।

सुबह डेली रूटीन के बाद नाश्ता करके आनंदी जल्दी तैयार हो कर निकल गई।
अपने आफिस में बोर्ड मिटिग होने वाला था।
सभी उपस्थित थे और फिर शुरू हुआ मिटिग।
मुद्दा था कोरपरेट कम्पनी कैसे काम करती है।।

फिर सभी ने अपना अपना पावर प्लांट प्रेजेन्टेशन दिया। आनंदी ने भी अपनी सारी जानकारी दी।
और अन्त में आनंदी एक बार फिर से सबसे आगे बढ़ गई उसका प्रेजेन्टेशन ही सर्वोत्तम माना गया और फिर वो नियम कोरपरेट कम्पनी को चलाने के लिए सर्वोपरि होने वाला था।
सभी ने आनंदी को बहुत बधाई दिया।
आईएएस अफसर डाॅ आनंदी ने सबको धन्यवाद कहा।।

फिर आनंदी घर वापस आ गई और वो बहुत थक गई थी।

फिर खाना खा कर सो गई।
कल आनंदी की छुट्टी थी क्योंकि उसे परसों ही इन्दौर की फ्लाइट थी।।

दूसरे दिन सुबह आनंदी जल्दी ही उठकर लैपटॉप पर इन्दौर के बारे में जानकारी ले रही थी।
उसने सोचा कि अब समर्पण एनजीओ का हर एक देश में ब्रान्च खोलेगी।
इन्दौर जाकर भी ये करने की ठान ली थी।

इसी तरह चाय और नाश्ता करने के बाद फिर कई घंटे तक रीतू से फोन पर बातचीत किया और फिर शाम को निकल गई सैर करने।।

आनंदी मन में सोचने लगी कि जैसा सोचा वैसा होगा कि नहीं।।
तभी उसने एक छोटी सी बच्ची को देखा जो अकेली खड़ी रो रही थी तभी आनंदी उसके पास जाकर देखा और पुछा कि तुम यहां अकेली कैसे?
उस बच्ची ने कहा कि मै गुम हो गई हुं। कोई भी नहीं है।।
आनंदी ने जल्दी से उसे उठा लिया और फिर समर्पण एनजीओ में फोन करके राहुल को बुलाया।
आनंदी ने वहां के एक पास के पुलिस अधीक्षक के साथ बात करके उस बच्ची का फोटो सारे पुलिस स्टेशन में दर्ज करवाया गया था।
आनंदी ने उस बच्ची को अपने घर लेकर आ गई।
कृष्णा वाई ने उसे दूध और टोस्ट खाने को दिया।
सुबह होते ही पता चला कि उस बच्ची का इस दुनिया में कोई भी नहीं है।उसे सब अपने ले जाकर बाल मजदूरी करवाते थे।
आनंदी ने बहुत ही दुःख व्यक्त किया और फिर पुजा को बुला कर उस बच्ची को उसे सौंप दिया और कहा कि समर्पण में इसका नाम लिख देना।
ये अपना नाम नहीं बता सकती है तो आज से इसका नाम अन्वेशा है।आनंदी ने कहा।

आनंदी की सुबह 5.35 की फ्लाइट थी।
आनंदी उसी के बारे में सोच रही थी कि इतनी छोटी उम्र में अनाथ हो तो क्या होता है।।
फिर रात को आनंदी और कृष्णा निकल गए एयरपोर्ट। एक घंटे बाद उनका फ्लाइट था।

किसी तरह से आनंदी हवाई जहाज पर बैठ गई। कृष्णा ने कहा आनंदी तुम उसके बारे में सोच रही हो ना? आनंदी ने कहा हां मां, मुझे उस बच्ची का भविष्य दिख रहा है उसकी क्या गलती।। मैंने एक फैसला किया है मां।।उसे मैं अपनाऊंगी।।अपना नाम दुंगी मां। शायद भगवान ने इसी मकसद से मुझे यहां भेजा है।
इन्दौर जाकर ही मैं एक दो दिन बाद ही कैसे भी करके अन्वेशा को अनाथ नहीं होने दुंगी मां।।
कृष्णा ने कहा बेटा मैं एक मां हुं उस बच्ची को देख कर तेरा बचपना याद आ गया।
आनंदी ने कहा अन्वेशा को मैं खुब पढ़ाऊंगी और एक ज़िम्मेदार नागरिक, सम्मान भारत में चलने के काबिल करूंगी।।
मुझे खुद के लिए नहीं अन्वेशा के लिए जीना होगा।
मैं शादी नहीं करूंगी पर अन्वेशा को एक नया जीवन दुंगी।
फिर 7.10 पर ही आनंदी और कृष्णा इन्दौर हवाई अड्डे पर उतर गए।
फिर वहां से आफिस से गाड़ी आ गई और आनंदी, कृष्णा बैठ गए।
नरीमन एनक्लेव में आपका स्वागत है मैडम।। ये अंकित ने कहा।।
आनंदी ने कहा अच्छा अंकित ये नरीमन एन्क्लेव है।
अंकित ने कहा हां मैम यहां आपका अपार्टमेंट है।
आनंदी ने कहा ओके।
फिर आनंदी और कृष्णा उतर गए।
और फिर अंकित ने ही उनको कमरे तक पहुंचा दिया और बोला कल 8 बजे मैं आऊंगा आपको लेने।।
आनंदी ने कहा ओके अंकित थैंक यू।
फिर आनंदी और कृष्णा फे्श होने चले गए।
फिर आनंदी को हाऊस होल्ड कर्मचारी मिल गया।
फिर आनंदी और कृष्णा नाश्ता करके आराम करने लगे।
आनंदी ने पुजा को फोन करके अन्वेशा के लिए पुछा तो पुजा ने कहा वो आपको ढुंढ रही थी।
आनंदी ने कहा अच्छा ठीक है।
फिर आनंदी ने रीतू को फोन करके सारी बातें बताई और अपने लिए हुए फैसले के बारे में भी बताया।

रीतू ने सुनकर तेरा फैसला सर आंखों पर।।

आनंदी ने कहा हां दीदी आपने हमेशा से मुझे उत्साहित करती है।।
फिर आनंदी सो गई।
शाम को चाय और नाश्ता करने के बाद आनंदी ने लैपटॉप पर ही सब कुछ करना शुरू कर दिया।
सबसे पहले स्थानीय पुलिस अधीक्षक को एक मेल कर दिया जिसमें सारी बात लिख दिया उसके बाद एडोपट करने के लिए जो जो जरूरी है वो सब किया।
फिर मेजिस्ट्रेट आफिस में भी अपना एक लेटर मेल दिया।।
आनंदी दूसरे दिन एक नई सुबह के साथ इन्दौर में अपना पहला दिन आफिस में जाकर बहुत ही अच्छे से बिता।।
आनंदी का देखा हुआ सपना रंग लाया उसका पुलिस अधीक्षक की तरफ से हामी लेटर आया कि आप बहुत ही अच्छा काम करने जा रही है मैं आपके साथ हुं।। उसका इस दुनिया में कोई नहीं है इसलिए ज्यादा मुश्किल नहीं होगा उसको एडोपट करना।।
आनंदी ये पढ़ कर फुली नहीं समाई।
फिर मेजिस्ट्रेट आफिस से भी लेटर आ गया और लेटर साकारात्मक था।
इन्दौर में आए आज एक महीने हो गए थे।
अब आनंदी को अन्वेशा को लेने जाना था।
सारे दास्तां वेज के साथ आनंदी निकल गई दिल्ली।।
कृष्णा ने कहा आनंदी सफल हो कर आना।
आनंदी ने कहा हां मां आशीर्वाद दो।
क्रमशः