Noukrani ki Beti - 22 in Hindi Human Science by RACHNA ROY books and stories PDF | नौकरानी की बेटी - 22

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नौकरानी की बेटी - 22

आज आनंदी केरल पहुंच गई थी एक नई उम्मीद नई मंजिल के साथ।

आई एस टापर्स आनंदी को पहले जीवन का सबसे बड़ा दिन आज ही लग रहा था क्योंकि उसको पहली सैलरी मिलने जा रहा था।
आनंदी के एकाउंट में ट्रांसफर हो गया था

आनंदी ने सबसे पहले रीतू को फोन करके सब बताया। रीतू बोली आनंदी बहुत बढ़िया।

आनंदी ने कहा दीदी हम बहुत मिस कर रहे हैं।
रीतू ने कहा हां आनंदी।
फिर आनंदी ने केरल में भी अपना सारा काम बखूबी से कर दिखाया।

आनंदी रात को डिनर के बाद पढ़ाई भी किया करती थी।



र आनंदी ने आॅन लाइन से सबके लिए बहुत ही अच्छे-अच्छे तोहफा खरीदे और सबको भेज दिया।

अनु मैम,अमर सर, राजू दादा, रीतू दीदी और शैलेश सर को भी तोहफा भेज दिया।
उसके बाद आनंदी ने अपनी मां के लिए भी बहुत कुछ मंगवा लिया।

दूसरे दिन सुबह आनंदी को रिपोर्टिंग करना पड़ा।

पहले दिन सबने अपना, अपना परिचय दिया। आनंदी ने सब कुछ अपने बारे में बताया ,तो आनंदी की बारी आ गई।आनंदी की बात से वहां उपस्थित सभी लोग बहुत प्रभावित हुए।


सबने मिलकर आनंदी को बधाई दिया। और जो चीफ थे उन्होंने ने कहा कि आनंदी इतनी ईमानदार अफसर है कि अगर वो चाहती तो वो नहीं बता सकती थी कि वह एक नौकरानी की बेटी है और उसकी रीतू दी की वजह से आज इस मुकाम तक पहुंच पाई।

तालियों की गूंज से पुरा केरल झूम उठा।

आनंदी ने कहा कि मैं अपनी सफलता का श्रेय सिर्फ रीतू दी को देना चाहती हुं।


फिर सबके साथ लंच हुआ और फिर आनंदी घर वापस आ गई। आनंदी ने सब कुछ अपनी मां को बताया।

कृष्णा ने कहा बेटा मैं यहां तो एकदम उब जाती हुं, तुझे तो यहां हेल्पर की जरूरत नहीं थी।

आनंदी ने कहा क्या मां कभी तो आराम कर लो। ये सब तो मुझे मेरे पोस्ट के हिसाब से मिला है। तुम कभी ,कभी इनकी मदद कर दिया करो।

फिर आनंदी लैपटॉप पर काम करने लगी।
इसी तरह आनंदी का केरल में एक हफ्ते बीत गए।

एक दिन रीतू दीदी का विडियो कालिंग आ गया। रीतू बोली अरे आनंदी तूने ये सब क्या भेजा है।

आनंदी ने कहा दीदी आप को अच्छा लगा।
रीतू ने कहा हां गुड़िया पर अभी क्यों किया।

आनंदी ने कहा दीदी मेरे जिंदगी की सबसे बड़ा दिन था और उसको आपके साथ मैं ना सेलिब्रेट
करूं ऐसा कैसे? इसी लिए मैंने आप दोनों के लिए गोल्ड रिंग दिया।

रीतू ने कहा थैंक यू आनंदी फोर लवली गिफ्ट।
शैलेश ने कहा हां आनंदी, हम-दोनों ने पहना भी है।

आनंदी ने कहा दीदी मेरी पसंद आपके जैसी है।
रीतू ने कहा हां, अरे वाह तेरा घर बहुत बड़ा है।

फिर कुछ देर बाद ही राजू का फोन आया और बोला आनंदी तेरा गिफ्ट बहुत ही अच्छा लगा।
पार्टी वेयर डिजाइनिंग सूट। और पापा का डिजिटल कैमरा भी बहुत पसंद आया उनको।
सच आनंदी तुझे हम सबका पसंद ना पसंद कितना पता है हां, और हमने तेरी कभी कद्र नहीं किया। और पता है तुझे मम्मी को यकीन नहीं हो रहा है कि तू इतना महंगा सामान भेज सकती है।

आनंदी ने कहा दादा आप ये सब बोल कर मुझे शर्मिन्दा कर रहे हो।

राजू बोला अच्छा ले मैम बात करेंगी।

अनु ने कहा आनंदी तुने आज मेरी आंखें खोल दीं। बहुत ही खूबसूरत बनारसी साड़ी और वो लैक्मे का मेकअप बाक्स वो भी हाई फाई वाला। तुझे सब याद था और तूने पुरा किया।

रीतू ने भी बताया तूने उनलोगो को क्या दिया है।

आनंदी ने कहा मैम मैंने ऐसा कुछ भी नहीं किया है बस अपनी दिल की इच्छा जताई है।

कृष्णा भी ये सुनकर गर्व से बोली आनंदी आज तूने एक अच्छा काम किया है।

फिर कुछ देर बाद आनंदी के घर भी सारा पार्सल आ गया।

आनंदी ने सब कुछ बैड रूम में ले जाकर रखा और खोलने लगी और फिर उसने पुकारा मां ओ मां।
कृष्णा बोली हां आती हुं।

आनंदी ने कहा मां अपनी आंखें बंद करो और फिर एक सोने का हार आनंदी ने अपनी मां के गले में डाल दिया।

कृष्णा ने कहा अरे ये क्या हैं।

कृष्णा चौक गई और बोली ये सब क्यों।

आनंदी ने कहा देखो मां तुझे हमेशा से इसका शौक था पर कभी तूने कहा नहीं।

और आगे देखें ये सब तेरे लिए साड़ियां ।
कृष्णा ने कहा अरे बाबा इतना सारा।

आनंदी ने कहा हां अब तू आई ए एस आनंदी की मां है।

फिर दोनों रोने लगे। आनंदी ने कहा मां अब मुझे बहुत सारा काम करना होगा।

फिर आनंदी लैपटॉप पर काम करने लगी।

फिर इसी तरह से आनंदी का केरल में एक महीना बीत गया और अब वो अपने कोलोनी के रूके हुए कार्य को पुरा करवाने में लग गई और वो सफल भी हो गई।

एक दिन आनंदी किसी काम से आउटर साइड जा रही थी जहां पर उसने एक बस्ती देखा वहां के बच्चों को देखते ही उसके आंखो में आंसु आ गए वो उसी दिन फैसला लिया कि अब इस पर काम करेंगी और फिर इन बच्चों को एक नई दिशा दिखाने का प्रयास करेंगी।

आनंदी के पीए ने कहा कि ये काम बहुत ही चुनौतीपूर्ण होने वाला है।

आनंदी ने कहा शर्मा जी मुझे उन मासूम बच्चों को एक नार्मल लाइफ देना है।

फिर आनंदी कार्यालय पहुंचकर ही अपने सचिव से बात किया और फिर दुसरे दिन ही वहां पहुंच कर अपनी बात समझाने की कोशिश किया पर वहां के लोग ने मना कर दिया।

आनंदी मायूस हो कर लौट आई और फिर उसने सारी बात रीतू को बताई।

रीतू ने आनंदी तू बहुत नेक काम करने जा रही हो इसके लिए सबसे पहले तुम्हें उनको विश्वास दिलाना होगा और उनके साथ रहना होगा।
आनंदी ने कहा थैंक यू दी।


फिर आनंदी दूसरे दिन सुबह वहां पहुंच कर
वहां के एक, एक लोगों से मिल कर उनको समझाया और सभी महिलाओं को भी उत्साहित करती रही।

आनंदी ने हार नहीं मानी और वहां मिडिया तक पहुंच गई और आनंदी ने बड़े गर्व के साथ कहा कि हां ये मेरे लिए चुनौतीपूर्ण काम है पर मैं हिम्मत नहीं हारूंगी।


पूरे केरल में आई एस अफसर आनंदी की ये कभी ना हराने वाली कोशिश रंग लाई।
अब सारे बस्ती वाले आनंदी के साथ थे और फिर वहां का काम शुरू हो गया। आनंदी ने ये कर दिखाया।

आनंदी इतनी व्यस्तता में भी वहां जाकर काम देखा करती थी और फिर एक दिन आनंदी का सपना पूरा हो गया।


एक उजरी हुई बस्ती अब एक इमारत का रूप ले चुकी थी।
पुरी तरह की सुविधाएं वहां पर दी गई थी।सब लोगों ने आनंदी को फुलों का माला पहनाया और ताली बजाकर खुशी जाहिर किया।

आनंदी ने सबको तहेदिल से शुक्रिया अदा किया और फिर बोली कि अब यहां का कोई भी बच्चा अनपढ़ नहीं रहेगा। सभी को निःशुल्क सरकारी स्कूलों में दाखिला मिल जाएगा और किताब, कांपी, और बाकी सब सामान आनंदी की तरफ से मिलेगा।

और जल्दी ही वहां की महिलाओं को इज्जत की रोटी मिलेगी। बहुत ही जल्दी एक कुटीर उद्योग से जुड़े काम करवाने की व्यवस्था करवाई जाएगी।

फिर बहुत जल्दी ही एक कारखाना खोला गया और वहां पापड़, नमकीन,अचार बनाने काम शुरू करवाया गया और उनको दुकान पर बेच कर जो मुनाफा हुआ वो उन सभी महिलाओं को दे दिया गया।


फिर आनंदी हर रोज की तरह काम से सीधे घर लौट कर सुकून से बैठ कर खाना खा लेती।

आई एस अफसर आनंदी की कामयाबी के चर्चे अखबारों, टीवी चैनल में, सोशल मीडिया पर और सब जगह जगह होने लगी।


अब घर पर ही शाम को लोगों का आना-जाना लगा रहता था सभी अपने समस्या लेकर आ जाते थे और आनंदी बहुत खुश हो कर सबके समस्या का समाधान करने की कोशिश में लगी रहती थी।

रात को डिनर करने के बाद वह स्टडी रूम में जाकर पढ़ाई भी करती रहती थी।


इसी तरह आनंदी अपने दम पर चर्चित हो गई थी बहुत सारे समस्याओं का समाधान उसने बहुत ही अच्छे से किया।

आज पांच साल बीत गए हैं। आनंदी की पोस्टिंग अब राजस्थान में हो गई एक और भी ऊंचे पद के साथ और अधिक सैलरी पैकेज के साथ।


लंदन में रीतू को एक बेटी हुई है आनंदी बहुत ही खुश हैं और उसने फोन पर बोला रीतू दीदी अब मैं लंदन आ रही हुं। पीएचडी करने के लिए।

रीतू ने कहा हां आनंदी जरूर आना।

आनंदी ने कहा दीदी मुझे सरकार की तरफ से ये सुविधा उपलब्ध होगी चार साल की अवकाश और आगे पढ़ने की सुविधा।

रीतू ने कहा हां आनंदी जरूर हम लोग तेरा इंतजार करेंगे। यहां पर बस तेरी और कृष्णा वाई की कमी है, बाकी सब यहां पर है। मम्मी पापा राजू,।

क्रमशः।।