BOYS school WASHROOM - 14 in Hindi Moral Stories by Akash Saxena "Ansh" books and stories PDF | BOYS school WASHROOM - 14

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BOYS school WASHROOM - 14

"यश अपने पैसे अपने पास रख विहान मेरे भी तो भाई जैसा ही है, आइसक्रीम मैंने ली है तो पैसे भी मे ही दे देता हूँ"हर्षित यश की आँखों मे आंखे डालकर बोला और उसके बाजू मे खड़ा विशाल हँसने लगा….ये सुनकर विहान ने आइसक्रीम फ़ेंक दी….


"अपनी औकाद मे रह समझा ना" यश हर्षित के करीब होते हुए बोला…


विशाल यश को पीछे करते हुए-"आराम से मिस्टर हेड बॉय, ये आपका स्कूल नहीं है।"


यश ने गुस्से मे आकर विशाल को धक्का दे दिया और वो गिर गया-"दोबारा मुझे छूने की हिम्मत भी मत करना"....."ये लो भैया आपके आइसक्रीम के पचास रूपये….चल विहान!" यश वहां से जाने लगा।


हर्षित ने पीछे से जाकर यश का कॉलर पकड़कर धक्का दे दिया और इधर विशाल भी पीछे से आ गया यश को मरने के लिए लेकिन विहान उसके बीच मे आ गया….हर्षित ज़रा सा मुस्कुराया और विहान से बोला-"साले तुझे अपनी पैंट तो ठीक से बंद करनी आती नहीं और तू मुझे रोकेगा...चल हट साइड मे "हर्षित ने उसे भी एक तरफ़ धकेल दिया जिससे वो गिर गया।


यश ये देखकर बौखला उठा….वो वैसे ही पिछले कई दिनों से गुस्से मे था और इन सब बातों को लेकर भरा हुआ था तो उसने बिना कुछ सोचे समझे भरे बाज़ार मे हर्षित के गाल पर एक ज़ोरदार थप्पड़ जड़ दिया….और फिर उसका कालर पकड़ कर अपनी तरफ़ ज़ोर से खींचते हुए उस से बोला सुन अभी तो सिर्फ स्कूल से निकलवाया है और अगर मेरे भाई को ज़िन्दगी मे दोबारा कभी भी हाथ लगाया ना तो तुझे इस दुनिया से निकाल दूंगा……


(यश पर गुस्सा इतना हावी था की उसने गौर ही नहीं किया की उनके आस पास लोगों की काफी भीड़ जमा हो चुकी है और लोग उनकी वीडियो निकाल रहे है, लोगों को आता ही क्या है अब सिर्फ वीडियो बनाना किसी ने भी आगे बढ़कर बीच बचाव नहीं कराया)


यश ने हर्षित को पीछे धकेल दिया….उसे विशाल ने बस गिरने से बचा ही लिया।


इधर



"अवि ये बच्चे अभी तक आये क्यों नहीं?...चलो ना हम लेकर आते है।"


"देर तो काफी हो चुकी है यश को मैसेज करें….अब तक तो आ ही जाना चाहिए था दोनों को…..चलो फिर हम ही चलकर देखते है।"


अविनाश और प्रज्ञा चिंता मे लम्बे लम्बे कदम रखते हुए वापस लौटने लगे।


दूसरी तरफ़



यश ने विहान के कपड़े साफ करते हुए उस से पूछा की उसे कहीं लगी तो नहीं। तो उसने बिना कुछ बोले बस यश का हाथ पकड़ लिया और यश से चलने के लिए कहा। यश और विहान भीड़ मे से होते हुए आगे जाने लगे वो भीड़ से जैसे ही निकले…..विशाल फिर उनके सामने आ गया….


"विशाल देख अब बहुत हो गया तुम दोनों का...तुम्हें लड़ना है तो लड़ लेना लेकिन अभी ये जगह नहीं अब तू भी जा और हमें भी जाआ……….."


यश और कुछ कहता की उस से पहले ही हर्षित ने पीछे से आकर यश के सर पर बड़ी ज़ोर से हॉकी स्टिक दे मारी…..

यश कुछ पल के लिए खड़ा रहा, उसके सामने सब घूमने लगा और उसकी गर्दन से होती हुयी खून की एक लकीर उसके कपड़ो पर गिरने लगी और वो वहीं गिर पड़ा…..विहान ये देखकर चीख पड़ा….


(मामला गंभीर होता देख भीड़ मे से किसी ने पुलिस को कॉल कर दिया)


"मुझे थप्पड़ मरेगा तू...अब मार…..मार ना थप्पड़….ज़रा सी बात का तूने बवाल बना दिया और मुझे और मेरे दोस्तों को स्कूल से निकलवा दिया अब तू स्कूल जाकर दिखा….और तेरा ये भाई"उसने विहान के बाल पकड़ कर उसे अपनी तरफ़ घसीट लिया।…. "ये...इसका देख अब मे क्या हाल करता हूँ".....यश दर्द से करहा रहा था और उसकी आँखे के सामने सब ओझल होने लगा था उसे बस विहान के चीखने की आवाज़ सुनाई दे रही थी


और एक हलकी हलकी आवाज़ जो धीरे धीरे तेज़ होती जाने रही थी…"हर्षित! हर्षित! हर्षित!" विशाल उसे बुला रहा था….और फिर उसने हर्षित को पकड़ कर ज़ोर से हिलाया…"कहाँ खो गया हर्षित वो दोनों जाने रहे हैँ...होश मे आ"

हर्षित अचानक से-हाँ क्या हुआ?


"हुआ तो बहुत कुछ गया तू क्या सोच रहा था,वो देख वो दोनों भाग लिए"


हर्षित पलट कर यश को पीछे से घूरते हुए बोला "नहीं! कुछ नहीं अब देख इन दोनों का क्या हाल करता हूँ" वो तुरंत भागकर गया और जाकर कहीं से हॉकी स्टिक ले आया…."चल विशाल अब बताते हैँ इसे की हम कौन है"


विशाल ने पीछे से जाकर यश को आवाज़ दी "अबे ओये डरपोक भाग कहाँ रहा है अब"

यश वही रुक गया….हर्षित और विशाल दोनों आगे बढ़कर उसके करीब पहुंचे"कहाँ भाग रहा है" बोलते हुए दोनों ने ज़मीन पर हॉकी पटकना शुरू कर दी….यश धीरे से पीछे मुड़ा की दूसरी तरफ़ से आवाज़ आयी

"यश"......"विहान"

(विहान तुरंत यश का हाथ छोड़कर अविनाश की गोद मे लपक गया)


" कहाँ रह गए थे तुम लोग तुमने अपने पापा को कब का मैसेज कर दिया था आखिर कर क्या रहे थे तुम दोनों….सब ठीक तो है ना"


"हाँ यश, बेटा इतना टाइम कैसे...हमें काफी दूर से लौट कर आना पड़ा...कोई परेशानी है क्या बेटा? …… और ये दोनों कौन है?"


"अरे बस बस बस….मुझे बोलने तो दीजिये आप दोनों। कोई परेशानी नहीं है हमे पापा वो विहु बस आइसक्रीम खा रहा था तो बस।"


"क्या...विहु मैंने मना किया था ना की मम्मा से पूछे बगैर आइसक्रीम नहीं"


"सॉरी मम्मा"


"हाँ तो वो आइसक्रीम खा रहा था और फिर मुझे ये दोनों मिल गए"


विहान-पापा ये दोना ना….


विहान की बात को बीच मे ही काटकर…"पापा वो...ये दोनों मेरे क्लासमेट हैँ, तो बस हम लोग बात कर रहे थे एक्साम्स को लेकर….'है ना दोस्तों' यश ने दोनों को अजीब सा इशारा करते हुए कहा।


हर्षित-"हाँ हाँ!...हाँ अंकल वो हम बात कर रहे थे"

विशाल-"एक्साम्स को ले कर...बात कर रहे थे...एक्साम्स आ रहे ना तो टेंशन हो रही है.."


अविनाश-हाँ बेटा एक्साम्स तो आ रहे हैँ लेकिन टेंशन लेने की कोई बात नहीं सब अच्छे से पढ़ाई करो और अच्छे अच्छे नंबर लाओ।


हर्षित यश को देखता है -हाँ अंकल अब तो पढ़ाई भी अच्छे से होगी और (आवाज़ दबाते हुए)लड़ाई भी…..अच्छा तो हम चलते है अब।


विशाल-हाँ अंकल आप को भी लेट हो रहा होगा ना।


अवि-ठीक है बच्चों, एन्जॉय करना।


और सब अपने अपने रास्ते जाने लगे….


तभी प्रज्ञा ने अचानक मुड़ते हुए कहा-एक सेकंड रुको ज़रा तुम दोनों….