Leave in lockdown aur padoshi aatma - 2 in Hindi Moral Stories by Jitendra Shivhare books and stories PDF | लिव इन लॉकडाउन और पड़ोसी आत्मा - 2

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लिव इन लॉकडाउन और पड़ोसी आत्मा - 2

लिव इन लॉकडाउन और पड़ोसी आत्मा

जितेन्द्र शिवहरे

(2)

धरम अपने घरवालों से फोन पर बात कर रहा था। यह देखकर टीना ने भी पिता विश्वनाथ को अपनी खैरियत की जानकारी दे दी।

धरम अखबार पढने में व्यस्त हो गया। अखबार पढने के बाद उसकी खाना बनाने की योजना थी। टीना नहाने चली गयी। धरम टीना के बाथरूम से बाहर आने की प्रतिक्षा कर रहा था।

"टीना! जल्दी बाहर आओ। मुझे फ्रेश होने जाना है" धरम ने टीना से कहा।

"अरे अभी तो मैंने नहाना शुरू ही किया है। अभी नहीं आ सकती" टीना बोली।

"बाद में नहा लेना। इमरजेन्सी है। बाहर निकलो" धरम बोला।

"मैंने कपड़े निकाल दिये है! अब क्या बिना कपड़ो के ही बाहर आ जाऊं" टीना गुस्से में बोली।

"नहीं नहीं! कपडे पहन लो। मगर जरा जल्दी करो" धरम ने टीना से कहा।

कुछ देर बाद टीना बाहर निकलकर आई।

धरम तुरंत बाथरूम में गया। यह देखकर टीना की हंसी छुट गयी।

"जब रोक नहीं सकते तब सुबह उठकर पहले यही काम करना चाहिए न!" टीना बालों को संभालते हुये बोली। वह दबी आवाज़ में हंस रही थी।

"जल्दी उठने से पेट साफ नहीं होता। उसके लिए पेट में प्रेशर भी बनना चाहिये" धरम बाथरूम के अंदर से ही बोला।

"सुनो! अब बाथरूम में हो तो नहा भी लेना। मैं कुछ देर और वेट कर लुंगी" टीना ने धरम से कहा।

"ठीक है। एक काम करना, कबर्ड में मेरा टावेल रखा है निकाल देना जरा।"

"ओके" कहते हुये टीना कबर्ड में से टावेल निकालने लगी।

धरम नहा चूका था। उसने टीना को टावेल के लिए आवाज़ लगायी। टीना फिर से मसखरी पर उतर आई।

"धरम! टावेल नहीं मिल रहा है" टीना बोली।

"अरे! ठीक से देखो! वही पर रखा है" धरम बोला।

"नहीं है! अपना टुपट्टा दे दूं क्या?" टीना मज़ाक करते हुये बोली।

"नहीं टुपट्टा नहीं! कोई शाॅल या चादर हो तो वही दे दो" धरम ने टावेल के बदले में विकल्प सुझाये।

"नहीं यहां ऐसा कुछ नहीं है! तुम ही बाहर आकर देख दो" टीना मंद-मंद मुस्कराते हुये कहने लगी। टावेल उसके हाथ में था। वह धरम से झुठ बोल रही थी।

"ठीक है। तुम अंदर कमरे में जाओ। मैं ढुंढता हूं" धरम ने कहा।

"ठीक है! मैं दुसरे कमरे में जा रही हूं। तुम इत्मीनान से बाहर आकर टाॅवेल ढुंढ लो" टीना ने कहा। वह पैरों के चलने की आहट करने लगी। ताकी धरम को यह लगे की वह अंदर कमरे में जा चूकी है और वह बेफिक्र होकर बाहर आ सके। जबकी टीना अब भी बाथरूम के बाहर ही खड़ी थी। टावेल हाथ में लेकर।

धरम बाथरूम का द्वार खोलकर बाहर आया ही था की टीना की हंसी छुट गयी। टीना वही खड़ी होकर धरम के अर्ध नग्न बाहर आने पर जोर-जोर से हंस रही थी।

"फिर मज़ाक! रूको तुम्हें अभी मज़ा चखाता हूं" धरम ने टीना के हाथ से टावेल लेकर कहा। उसने टावेल अपनी कमर पर बांध लिया और टीना को पकड़ने दौड़ पड़ा। टीना उससे बचते-बचाते यहां वहां भागने लगी। मगर टीना को धरम ने पकड़ ही लिया। धरम ने पीछे से उसे कमर के बल उठाया ही था कि उसकी कमर में बंधा टावेल छुट गया। धरम ने टीना को नीचा रखा और पुनः अपना टावेल बांधने लगा। टीना खिलखिला के हंस रही थी। धरम को ये अपना मज़ाक लगा। वह पुनः टीना को पकड़ने दौड़ा। मगर टीना अब धरम की कमजोरी जान चूकी थी। उसने मौका पाकर धरम का टावेल खींच लिया। टावेल फिर एक बार नीचे गिर चूका था। धरम टावेल को संभालते हुये बाथरूम में चला गया। वह समझ गया था कि इस टावेल के साथ वह टीना से मुकाबला नहीं कर सकता।

धरम मन ही मन टीना को परेशान करने की योजना सोच रहा था। आज सुबह उसने धरम की बहुत खींचाई की थी। अब जब तक वह टीना को मज़ा नहीं चखा देता उसे शांति नहीं मिलेगी। उसे मौके की तलाश थी। वह जल्दी ही धरम को मिल गया।

"धरम तुम्हारे अंडर गार्मेंट अभी भी बाथरूम में ही रखे है" टीना ने धरम को इत्तला दी। धरम की यह आदत थी। नहाने के बाद वह अपने कपड़े आदि बाथरूम में ही छोड़ दिया करता था। उसके घर धोबी यह काम करता था।

"ओहहह! साॅरी। भूल ही गया" धरम सोफे से उठते हुये बोला।

"वैसे अग़र तुम चाहो तो तुम्हारे कपड़े मैं धो सकती हूं" टीना धरम से बोली।

"नो ठेंक्यू!" धरम ने चिड़ते हुये कहा।

टीना अभी भी मुस्कुरा रही थी। धरम को छेड़ने में उसे मज़ा आने लगा था। वह नये-नये तरीके ढुंढकर धरम को परेशान किया करती।

दोपहर का खाना खाने के बाद दोनों टीवी देख रहे थे। टीवी पर कामोत्तेजित सीन चले रहे थे। फिल्म में नायक अपनी नायिका के अंगों को स्पर्श कर वहां चूम रहा था। टीना बड़ी सहज होकर ये चित्रहार देख रही थी। मगर धरम सहज नहीं था। उसने टीवी का रिमोर्ट हाथ में उठाकर चैनल चेंज कर दिया। कुछ देर बाद उस चैनल पर भी ऐसे ही कामोत्तेजक सीन आने लगे। धरम ने पुनः चैनल बदल दिया। अब तिसरी बार भी जब यही सीन टीवी पर आये तब गुस्से में धरम ने टीवी ही बंद कर दी। यह सब देखकर टीना के मन की हो गयी। वह फिर हंस पड़ी।

"धरम! टीवी क्यों बंद कर दिया। कितने अच्छे-अच्छे रोमैंटिक सीन आ रहे थे। लाओ रिमोट दो मैं चालु करती हूं" टीना ने धरम से कहा।

"नहीं! रहने दो। टीवी मत चालू करो" धरम ने टीना से कहा।

"मैं समझ गयी! की तुम टीवी क्यों नहीं चालु करने दे रहे" टीना ने कहा।

"क्या समझ गयी तुम" धरम ने टीना से पुछा।

"यही की जब एक खुबसूरत लड़की एक जवान लड़के साथ हो, वो भी अकेले में और तब ऐसे सेक्सी सीन दिखाए जाये जो उस लड़का का खुद पर काबू नहीं रहता" टीना ने धरम को चिढ़ाते हुये कहा।

"क्यों! बेकाबू लड़का ही होगा, लड़की नहीं हो सकती क्या?" धरम ने टीना से कहा।

"नहीं! लड़की बेकाबू नहीं हो सकती क्योंकि उसमें लड़को से ज्यादा से सहनशक्ति होती है" टीना ने धरम से कहा।

दोनों आमने-सामने सोफे पर बैठेकर यह बहस कर रहे थे।

"मैं नहीं मानता। मैं एक लड़का हूं और मुझे अपनी सहनशीलता पता है।" धरम ने कहा।

"ठीक है। तो शर्त लगाते है। अगर तुम जीते तो आज रात का खाना मैं बनाऊंगी। और अगर मैं जीती तो तुम खाना बनाओगे" टीना ने धरम से कहा।

"मतलब दोनों हो सूरतों में खाना मुझे ही बनाना होगा न" धरम ने कहा।

"क्या कहा" टीना ने धरम से पुछा। उसे धरम की ये गोल-मोल बात समझ नहीं आई। धरम जानता था कि टीना खाना बनाना शुरू तो चर देती है मगर खाना पुरा नहीं बना पाती। धरम को ही खाना पुरा बनाना पड़ता था।

"कुछ नहीं! मेरा मतलब है कि मुझे मंजुर है। लेकिन करना क्या है" धरम ने टीना से पुछा।

"जो करना है वो मुझे करना है, तुम्हें बस अपने आप पर नियंत्रण रखना है" टीना ने कहा।

ये कहते हुये टीना अंदर बेडरूम में चली गयी। धरम सोच ही रहा था कि आखिर टीना करने क्या वाली है? कुछ देर बाद टीना हाॅल में दाखिल हुई। वह बहुत छोटे कपड़े पहने हुये थी। बहुत छोटा लोअर पैंट और अपर में लाल रंग का टाॅप। टीना को देखकर धरम चौंक गया। उसने अपनी गौरी टांग धरम के सीने पर रख दी। टीना ने अपने बालों को जूंड़े से आजाद कर दिया। वह अपने हाथों से अपने पैरों को नीचे से उपर जाते हुये छू रही थी। धरम से दुर होकर वह सीडी प्लेयर की ओर पहूंच गयी। कुछ सोचकर उसने सांग प्लेयर ऑन कर दिया था।

'टीप टीप बरसा पानी! पानी ने आग लगायी!

आग लगी तो दिल में दिल को तेरी याद आई!' यह गीत बज उठा था। टीना एक अच्छी डांसर थी। उसके नृत्य पर कामदेव की कृपा बरस रही थी। अपने होठों से उसने धरम के गाल पर लिपस्टिक का निशान बना दिया। टीना का नृत्य धरम को पसंद आ रहा था। वह भी टीना के साथ डांस करने लगा। टीना धरम की बाहों में खेल रही थी। वह धरम को छुकर दूर चली जाती। धरम उसे पकड़ने की कोशिश करते हुये उसके पीछे-पीछे जाता। अठखेलियां कर रही टीना को धरम ने पकड़ ही लिया। टीना को लगा की अब धरम उसे नहीं छोड़ेगा। अब ये शर्त वही जीतेगी। मगर ये क्या? धरम ने अपने हाथों से टीना को दुर किया। उसके बाद टीना के गाल पर एक जोरदार थप्पड़ जड़ दिया। टीना धड़ाम से सोफे पर जा बैठी।

सांग बंद हो चूका था। धरम ने प्लेयर ऑफ कर दिया।

"अब बताओ कौन जीता" धरम ने टीना से कहा।

"तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे थप्पड़ मारने की" टीना गुर्रा रही थी।

"साॅरी! मगर मेरे पास कोई ओर रास्ता नहीं था" धरम ने टीना से कहा।

"इसका मतलब की शर्त जीतने के लिए तुम कुछ भी करोगे" टीना खड़ी होकर धरम से बोली।

"तुम्हें जो सही लगा वो तुमने किया, मुझे उस समय जो सही लगा, वो मैंने किया। इसमें इतना नाराज़ होने की क्या बात है" धरम ने टीना से कहा।

"तुम्हें थप्पड़ पड़ेगा जब पता चलेगा। कितना दर्द होता है" टीना की आंखें भर आयी थी। शायद आज पहली बार उसे किसी ने थप्पड़ मारा था।

"आई एम साॅरी टीना। मुझे इतनी जोर से थप्पड़ नहीं मारना चाहिये था। तुम चाहों तो मुझे थप्पड़ मारकर बदला ले सकती हो" धरम ने टीना कहा। उसने अपना गाल टीन के आगे कर दिया।

"पक्का! थप्पड़ मारूं! मुझे दौबारा तो नहीं मारोगे न" टीना ने मासूमियत से पुछा।

"नहीं मारूंगा" धरम बोला।

टीना ने अपनी हथेलीयां रंगड़ी। वह धरम को थप्पड़ मारने की तैयारी कर रही थी। उसने धरम को अपनी आंखें बंद करने को कहा। धरम ने अपनी आंखें बंद कर ली।

टीना ने जो कदम उठाया वो आश्चर्यजनक था। उसने धरम को थप्पड़ मारने के बजाये उसके गाल पर किस कर दिया और अंदर बेडरूम में कपड़े चेंज करने भाग गयी। धरम मुस्कुरा दिया। उसने तेज़ आवाज़ में पुछा कि ये तो बता दो की शर्त में कौन जीता। टीना ने कहा की शर्त धरम ही जीता है और शाम का खाना भी वही बनायेगा।

धरम टीवी पर मुवी देखने लगा। टीना साड़ी पहनने की कोशिश कर रही थी। महिलाओं में यह चैलेंज बड़ा प्रसिद्ध हो रहा था। लॉकडाउन में बहुत सी महिलाएं घर में विभिन्न तरह की साड़ी पहनकर उसकी पिक्चर सोशल मिडीयां पर अपलोड कर रहीं थी। धरम की बहन श्वेता ने अपनी होने वाली भाभी टीना को भी साड़ी पहनने का चैलेंज दिया था। जब बहुत देर तक टीना बेडरूम से बाहर नहीं आई तब धरम ने उसे आवाज़ लगाकर बाहर बुलाया। टीना कुछ देर बाद हाॅल में आई। वह अपने हाथों से साड़ी पकड़े हुयी थी। टीना ने बेतरतीब तरीके से साड़ी लपेट रखी थी। धरम यह देखकर हंस पड़ा। उसने पुछा की यह सब माजरा क्या है। तब टीना ने धरम को बताता की उसकी बहन श्वेता के कहने पर वह साड़ी पहनने की कोशिश कर रही है। दोनों के बीच फोन पर इस संबंध में चर्चा हुई थी। टीना के लिए यह चैंलेज था। धरम आश्चर्य में था की टीना के पास साड़ी कहां से आई? क्योंकी टीना साड़ी पहनती नहीं थी। सो वो तो अपने साथ साड़ी लायी नहीं होगी! उसने टीना से साड़ी के विषय में पुछा। टीना ने बताया की ये साड़ी उसे धरम के बैग से ही मिली थी। श्वेता ने इस बारे में उसे बताया था। जब धरम टीना के साथ लीव इन में रहने आ रहा था तब श्वेता ने चूपके से उसके बैग के सबसे नीचे कुछ साड़ीयां रख दी थी। अगर टीना का कभी मन हुआ तो उन्हें पहन लेगी अन्यथा कोई बात नहीं।

धरम सबकुछ समझ गया था। उसने टीना से कहा की वह उसे साड़ी पहना देगा। साड़ी पहनते हुये देख टीना भी साड़ी पहनना सीख जायेगी। धरम ने टीना के बदन पर लिपटी साड़ी अपने हाथों में ली। साड़ी का एक सिरा उसने टीना की कमर में पेटीकोट के अंदर धंसा दिया। जिससे की साड़ी स्थिर हो सके। उसके बाद साड़ी को टीना की कमर की गोलाकार में सटाकर पेटीकोट में धंसा दिया। साड़ी का दुसरा सिरा धरम ने टीना के कन्धे पर रख दिया। साड़ी के बीच के हिस्सें को एक के ऊपर एक पट्टी नुमा आकार देकर धरम ने टीना की नाभी के कुछ नीचे पेटीकोट में धंसा दिया।

"आऊच!" टीना की चीख निकल गयी।

"क्या हुआ?" धरम ने टीना से पुछा।

"ओहहह! तुम्हारे हाथ कितने सख़्त है। मेरे पेट की स्कीन में खरोंच आ गयी" टीना ने धरम को बताया।

"साॅरी!" धरम ने माफी मांगी।

"ये लो! हो गयी तुम साड़ी पहनकर एक दम तैयार" टीना के सिर पर साड़ी का पल्लु ढकते हुये धरम बोला।

"वाॅव! मैं कितनी अच्छी लग रही हूं साड़ी में" टीना आईने में स्वयं को देखकर बोली।

"सच में! इस साड़ी में तुम बहुत सुन्दर लग रही हो टीना" धरम ने टीना की तारीफ करते हुये कहा।

"थैंक्यू!" टीना के चेहरे पर शरम के भाव उभर आये थे।

"क्या तुम्हें साड़ी पंसद है" टीना ने धरम से पुछा।

"हां बहुत!" धरम ने जवाब दिया।

"तो पहनते क्यों नहीं" टीना ने मसखरी शुरू कर दी।

"मुझे लड़कीयों को साड़ी में देखना अच्छा लगता है खुद पहनना पसंद नहीं है समझी" धरम टीना को समझताते हुये बोला।

"आई नो। मैं तो मज़ाक कर रही थी। सच में, आज तुम्हारी बदौलत मैंने साड़ी का चैलेंज जीत लिया। रूको मैं श्वेता को इसकी पिक्चर भेजती हूं।" टीना ने मोबाइल से सेल्फी लेते हुये कहा। उसने धरम के साथ भी पिक्चर क्लिक की। श्वेता ने टीना को साड़ी में देखकर बधाई दी। सोशल मिडिया पर उसे ढेर सारी लाइक मिल रही थी। पीटर ने भी उसे लाइक किया था। पीटर को सोशल मिडिया पर सक्रीय देखकर उसने पीटर से चैंटिंग शुरू की। वह जानना चाहती थी कि पीटर इतने दिनों से कहा था। टीना ने पीटर को कितने फोन लगाये। मगर पीटर ने एक का भी जवाब नहीं दिया। पीटर ने बताया की उसके रहवासी इलाके में कोरोना फैल गया है। वह पुरी तरह से लॉकडाउन में है। कहीं आना-जाना नहीं हो रहा। उसका मोबाइल खराब हो चूका था। एक अन्य मोबाइल की व्यवस्था उसने जैसे-तैसे की। तब जाकर वह चैंटिंग कर रहा है। टीना ने पीटर से फोन पर बात करने की इच्छा जाहिर की। मगर पीटर ने कहा की वह शाम में टीना को खुद फोन करेगा। टीना की खुशी का ठीकाना नहीं था। आज कितने दिनों बाद उसने पीटर से बात की थी। वह शाम होने की बड़ी बेसब्री से प्रतिक्षा कर रही थी। वह इतनी प्रसन्न थी की उसने धरम को पीटर के विषय में सबकुछ बता दिया। पीटर और टीना काॅलेज टाइम से ही एक-दुसरे को पसंद करते थे। दोनों शादी करना चाहते थे। मगर विश्वनाथ के विरोध के कारण वह पीटर से शादी नहीं कर पा रही थी। उसने पीटर को कितनी ही बार कहा था कि वह भारत आकर एक बार विश्वनाथ से मिल ले। हो सकता है टीना के पिता पीटर से मिलने के बाद अपनी राय बदल ले और दोनों को खुशी-खुशी शादी करने की सहमती दे दे। मगर पीटर हमेशा कोई न कोई न बहाना बनाकर इण्डिया आने का इरादा कैसंल कर देता। धरम को पीटर के विषय में जानकर निराशा हुई। क्योंकी टीना अब भी पीटर से ही प्रेम करती थी। शाम होने लगी थी। टीना अब भी मोबाइल पर नज़र गड़ाये हुये थी। मगर फोन था की बजने को तैयार ही नहीं था। धरम ने कहा कि वह स्वयं पीटर को फोन लगा ले। टीना सहमत थी। उसने पीटर के मोबाइल पर फोन किया। मगर उसका फोन अब बंद आ रहा था। उसके मन में संदेह के बीज अंकुरित हो रहे थे। उसके पास स्वीटी का भी नम्बर था। टीना ने स्वीटी को फोन लगाया। हाय हॅलो के बाद टीना ने उससे पीटर के विषय में पुछा। स्वीटी गोल-मोल जवाब देना लगी। बहुत पुछने पर भी स्वीटी ने पीटर से संबंधित कोई सटीक न्यूज नहीं दी। टीना को डर भी लगने लगा था। बुरे-बुरे ख़याल उसके मन में आ रहे थे। सब कुछ ठीक होता हो तो वो पहली हो फ्लाइट पकड़कर अमेरिका चली जाती। मगर ऐसा वह चाहकर भी नहीं कर पा रही थी। उसकी आंखें भीग चूकी थी। धरम ने उसके कंधे पर हाथ रखा। वह टीना को हिम्मत देने लगा। धरम की सहानुभूति से टीना भावनाओं में बह गयी। वह धरम के गले लगकर सुबकने लगी। धरम उसके सिर को सहला रहा था। उसने टीना से कहा कि जल्दी ही सबकुछ ठीक हो जायेगा। अमेरिका में उसके भी जान-पहचान के कुछ लोग है। वह उनसे मदद लेगा। हो सकता है पीटर के संबंध में उन्हें कोई सटीक जानकारी मिल जाये। टीना को सुनकर सांत्वना मिली। धरम उसके लिए पीटर को खोजने का प्रयास कर रहा था। धरम ने टीना के सामने ही अनेक फोन लगाये। अपने निजी जान-पहचान के अमरीकी लोगों को उसने पीटर की फोटो सेन्ड कर उसके विषय में जानकारी उपलब्ध कराने की प्रार्थना की।

"आओ धरम। खाना तैयार है" टीना ने फोन पर व्यस्त धरम से कहा।

"अरे! तुमने अकेले ही खाना बना लिया" धरम ने पुछा। वह उठकर डायनिंग टेबल पर आया।

"हां पुरा एक महिना हो गया है एक साथ रहते हुये हमें। मैंने खाना बनाना सीख लिया है" टीना ने कहा।

"वेरी गुड, मैं अभी हाथ धो कर आता हूँ" धरम ने टीना से कहा। वह बाथरूम में चला गया।

"तुम भी बैठो" धरम ने टीना से कहा।

"नहीं! तुम खाओ। मुझे भुख नहीं है" टीना ने धरम से कहा।

"अरे वाह! भुख कैसे नहीं है। थोड़ा तो खाना ही पड़ेगा धरम ने जिद की।

"जिद मत करो धरम! मुझे भुख नहीं है। तुम खा लो" कहते हुये टीना बालकनी में चली गयी।

टीना को दुःखी देखकर धरम से रहा नहीं गया। वह जानता था कि पीटर की गुमशुदगी से टीना परेशान है। वह भी खाना छोड़कर बालकनी में आ गया।

"आसमान में ये सितारें देख रही हो" धरम ने आसमान की तरफ सिर ऊंचा कर टीना से पुछा। वह टीना के बगल में आकर खड़ा हो गया था। टीना अपने हाथ बालकनी की दिवार पर रखकर कुछ झुकी हुई खड़ी थी। धरम ने भी उसी की तरह अपने हाथ बालकनी की दीवार पर रख दिये। दोनों आसमान की तरफ देख रहे थे।

"टीना! वहां सेकेड़ों तारे रोज़ जलते-बुझते है। किसी की रोशनी कम है तो किसी की ज्यादा। आसमान में चाँद के आ जाने पर भी वह टिमटिमाना नहीं भूलते। चांद जब आसमान में दिखाई नहीं देता तब भी वे चमकते है। इसका मतलब जानती हो?" धरम ने टीना से पुछा।

"हां! तुम्हारे साथ रहते हुये इतना भी समझ न सकी तो मुझसे बड़ी बुद्धु कोई दुसरी नहीं होगी" टीना ने धरम से कहा।

"मुझे तुमसे यही उम्मीद थी। परिस्थिति कैसी भी हो मगर हमे जीना नहीं छोड़ना चाहिये। आओ खाना खाते है।" धरम ने टिना से कहा।

"ओके।" टीना ने धरम कहा। उसने धरम का हाथ पकड़ लिया। दोनों साथ में डायनिंग टेबल पर के पास आकर बैठ गये।

"वाॅव! आज की सब्जी की तो बहुत टेस्टी बनी है" धरम ने अपनी उंगलियाँ चाटते हुये कहा।

"क्या सचमुच!" टीना ने आश्चर्य जाहिर किया।

"हां हां खां के देखो।" धरम ने टीना से कहा।

"मुझे तो इतनी अच्छी नहीं लगी।" टीना ने कहा।

"अच्छा देखूं तो! तुम्हारी सब्जी टेस्टी क्यों नहीं है" धरम ने मज़ाक में कहा। सब्जी तो एक ही प्रकार की बनी थी। धरम ने टीना का हाथ पकड़कर उसमें रोटी का एक कोर रखा। फिर उसमें सब्जी लगाकर अपने मुंह में खा लिया। टीना धरम की शरारत समझ गयी। उसके मायुस चेहरे पर मुस्कुराहट तैर गयी।

धरम ने रोटी का अगला को टीना को अपने हाथों से खिलाया। धरम के इस स्नेह के लिए टीना के पास कोई शब्द नहीं थे। उसे उस रात भोजन करने के बाद यह विश्वास हो गया कि सब्जी सिर्फ मिर्च-मसालों से ही टेस्टी नहीं बनती। बनाने वाले के हाथों का प्यार और समर्पण से भी सादी सब्जी भी स्वादिष्ट पकवान की तरह स्वाद देती है।

टीना चाहती थी की धरम आज उसके साथ बेड पर ही सोये। मगर धरम ये नहीं चाहता था। उसने पुरे एक महिने तक टीना के साथ एक ही घर में रहकर भी शारीरिक रिश्ता कायम नहीं किया था।

"धरम हम दोनों लीव इन में रह रहे है। अगर हम-तुम आपस में कुछ न भी करे तब भी दुनिया वालों को कैसे भरोसा दिलायेंगे की हम दोनों पवित्र है" टीना ने धरम से कहा।

"टीना। मैं अगर दुनिया की परवाह करता तो यहाँ तुम्हारे साथ कभी नहीं आता। मुझे अपने उसूलों के साथ जीने ही खुशी मिलती है" धरम ने कहा। वह सोफे पर बैठा था। जबकी टीना बैड पर बैठी हुई धरम को आमंत्रण दे रही थी। धरम ने टीना से यह भी कहा कि यह तो बहुत ही अच्छा हुआ कि उसे पीटर के बारे में समय रहते पता चल गया। यदि वह टीना से शारीरिक संबंध बना लेता तब टीना पीटर को क्या जवाब देती? टीना आज मायुस थी इसलिए धरम उसके साथ बिस्तर शेयर करने को पहली बार राजी हुआ। मगर धरम ने ये भी कहा कि वह टीना का मनोबल बढ़ाने के लिए उसके साथ सो रहा है। वह टीना से शारीरिक रिश्ता नहीं बनायेगा। टीना सहमत हो गयी। टीना धरम के सीने पर सिर रखकर सोने लगी। उसे भरोसा था कि आज रात वह और धरम एक हो ही जायेंगे। आखिर एक जवान लड़की के शरीर से सटकर सो रहा धरम खुद पर नियंत्रण कब तक रख सकेगा? रात गहराती जा रही थी। धरम की आखों से निंद गायब थी। टीना के शरीर का स्पर्श उसे दिवाना बना रहा था। उस पर टीना के बदन से आ रही खुशबू उसे मदमस्त बनाने के लिए काफी थी। यही हाल टीना का भी था। उसने धरम को कभी बताया नहीं की वह और पीटर अमेरिका में लीव इन में रहे थे। तब दोनों के बीच बहुत बार शारीरिक संबंध बने। इसी दौरान टीना और पीटर अधिक पास आये। टीना का मानना था कि आदमी और औरत के बीच शारीरिक संबंध बन जाने के बाद ही दोनों की एक-दुसरे के प्रति सही राय सामने आती है। पति-पत्नी का व्यवहार शादी के पहले कुछ ओर होता है तथा शादी के बाद कुछ ओर। पति अपनी पत्नी से संभोग उपरांत उतना प्यार नहीं करता जितना वह शादी के पहले करता था। यही बात पत्नी पर भी लागू होती है। पीटर और टीना लीव इन में रहने बाद भी एक-दुसरे से प्रसन्न थे। इसलिए वह पीटर से ही शादी करना चाहती थी।

रात के दो बज रहे थे। धरम ने टीना को खुद से अलग किया। टीना आंखें बंद कर सोने का नाटक कर रही थी। उसका बदन जल रहा था। जिसे बुझाया जाना आवश्यक था। मगर धरम था की अब भी स्वयं पर नियंत्रण रखने की कोशिश पर कोशिश किये जा रहा था। वह उठकर फ्रीज के पास गया। पानी की बाॅटल निकालकर पुरी बोतल गटक गया। थोड़ा पानी हाथ में भरकर उसने अपने चेहर पर भी मारा। यकीनन वह भी सो नहीं पा रहा था। धरम का दिल उसे टीना के पास और पास जाने की वकालत कर रहा था। मगर उसका दिमाग अब भी ऐसा करने से उसे रोक रहा था। टीना ने अधमीची आंखो से देखा धरम की ओर देखा। वह नर्वस था। टीना समझ चूकी थी धरम 'क्या करे क्या न करे' वाली स्थिति में था। अब टीना ने ही कुछ करने की ठानी। धरम सोफे पर ही लेट गया था। टिना धरम के पास आई और उसके सीने पर अपना सिर रख दिया। वह धरम के सीने पर हाथों की उंगलियाँ घुमा रही थी। धरम पुनः बैचेन हो उठा। टीना अब धरम के चेहरे के सामने खुद का मुंह ले आयी। वह धरम को चूमना चाहती थी। धरम शांत था। टीना के होठ कांप रहे थे। धरम ने उसके दोनों कन्धे अपनी मजबुत बाजुओं से पकड़ वही रोक दिये। वह टीना को आगे बढ़ने से रोकना चाहता था। मगर बांध में छिद्र हो चूका था। पानी का बहाव बहुत अधिक था। बांध तेज़ बहाव को कब तक रोक सकेगा यह कहा नहीं जा सकता था। धरम के बाजुओं की पकड़ कूछ हल्की हो चूकी थी। टीना अपनी पहली जंग जीत चूकी थी। उसने धरम के गालों को अपने होठों से चुम लिया। धरम की सहनशक्ति जवाब दे चूकी थी। टीना का मखमली स्पर्श उसे बैचेन कर गया। अगला हमला धरम की तरफ से था। वह भी जोरदार। धरम ने टीना को अपने हाथों से कसकर पकड़ लिया। वह टीना को अपने दोनों हाथों से मसल रहा था। टीना ने धरम के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। धरम ने उसे बाहों से उठाकर बैड पर पटक दिया। उसके बाद धरम नहीं रूका। दोनों चरमसुख का आनंद लुट रहे थे। कहते है हर सफ़र की मंजिल होती है। इस सफ़र की भी मंजिल आ चूकी थी। टीना खुश थी। धरम न चाहते हुये भी खुश था।

सुबह हो चूकी थी। धरम ने आखें खोलकर टीना को देखना चाहा। टीना मगर बैड पर नहीं थी। वह फ्रेश होने बाथरूम गयी हुई थी।

"धरम! ये लो तुम अखबार पढ़ो। मैं चाय बनाती हूं" टीना ने धरम को अखबार देते हुये कहा।

"टीना! अग़र बुरा न लगे तो एक बात कहूं" धरम ने टीना पुछा।

"हां हां बोलो ना" टीना ने धरम से कहा। वह उसके कुछ करीब आ गयी थी।

"क्यों ना किचन में जाने पहले तुम और मैं नहा ले!" धरम ने कहा। टीना धरम का इशारा समझ चूकी थी।

"मैं समझ गयी। मैं पहले नहाऊंगी उसके बाद ही किचन में जाकर चाय बनाऊंगी, ठीक है" टीना ने सहजता से कहा।

"थैंक्यू टीना" धरम ने टीना का आभार व्यक्त किया।

टीना स्नान करने बाथरूम में चली गयी। धरम अखबार पढ़ने में व्यस्त हो गया।

टीना चाय नाश्ता बना चूकी थी। उसे धरम की प्रतिक्षा थी जो बालकनी में कसरत कर रहा था। धरम बिना शर्ट पहनकर व्यायाम कर रहा था। उसकी बाॅडी देखकर टीना ठण्डी आंह भर रही थी। धरम ने नोट किया की अंदर हाॅल से टीना उसी को घूर रही थी। वह कुछ असहज हो गया। धरम ने शर्ट पहनी और टीना से नज़र बचाते हुये सीधे बाथरूम में नहाने चला गया।

"धरम! कुछ मदद चाहिए तो मैं अंदर आ सकती हूं" टीना ने बाहर से ही धरम को कहा।

"क्या मतलब" धरम भी बाथरूम से चिल्लाया।

"मतलब ये कि पीठ में साबुन लगानी हो तो मैं लगा देती हूं" टीना धरम से बोली।

"नहीं! इसकी कोई जरूरत नहीं है" धरम ने टीना से कहा।

"अरे! मेरी बात मानो। अब शर्माने की जरूरत नहीं है, गर्मी के दिन है! पीठ भी अच्छी तरह से साफ होनी चाहिए " टीना ने धरम से कहा।

"एक शर्त पर तुम मेरी पीठ में साबुन लगा सकती हो" धरम ने टीना से कहा।

"कौन-सी शर्त" टीना ने पुछा।

"यही की तुम्हें भी अपनी पीठ पर मेरे हाथों साबुन लगवाना होगा" धरम ने नेहले पर देहला फेंक दिया। टीना शरमा गयी। वह चूप थी। मगर कुछ देर बाद बोली

"ठीक है जैसा तुम कहो। मैं अंदर आ जाऊँ?" टिना ने धरम से पुछा।

"साॅरी! आज तो मैं नहा चूका। अब कल तुम्हें ये सौभाग्य मिलेगा! ठीक है" धरम ने बाथरूम का द्वार खोलते हुये कहा।

"ठीक है बच्चू! बकरे की मां आखिर कब तक खैर मनायेगी। कल ऐसा साबुन मलूंगी न! की तुम भी मुझे याद रखोगे" टीना धीमी आवाज़ में बोली।

टीना के मोबाइल पर स्वीटी के ढेरो मिसकाॅल थे। चाय-नाश्ते के बाद जब उसने अपना मोबाइल चेक किया तब उसे यह पता चला। उसने तुरंत स्वीटी को फोन किया। स्वीटी ने फोन उठाया। टीना ने सबसे पहले उसका हाल-चाल पूछा। वह जानना चाहती की अमेरिका में लॉकडाउन की ताजा स्थिति क्या है? स्वीटी की आवाज़ में पहले जैसे बात नहीं थी। हर समय अपना ईगो नाक पर रखने वालो यह वह स्वीटी नहीं थी। टीना का दिल बैठा जा रहा था। उसे कुछ अनहोनी की आशंका हो रही थी। यही सत्य था। स्वीटी कोरोना पाॅजिटीव थी। वह अपने घर में ही क्वारेन्टाइन थी। जब टीना ने पीटर के विषय में जानना चाहा तो स्वीटी की आंखों से आसूं बह निकले। वह रोने लगी थी। उसके मुंह से शब्द नहीं निकल रहे थे। वह चाहते हुये भी टीना को सच बताने का हिम्मत नहीं कर पा रही थी। जब टीना ने अधिक जोर दिया तब उसे बताना पड़ा। स्वीटी ने बताया की पीटर को कोरोना पाॅजिटीव होने के बाद गंभीर हालात में हाॅस्पीटल में भर्ती किया गया था। वह मौत से लड़ रहा था। मगर पीटर जिन्दगी की जंग हार गया। आज सुबह ही उसने दम तोड़ दिया। आखिरी समय में कोई उसके पास नहीं था। टीना जब भारत लौटी तब स्वीटी और पीटर ने फिर से मिलना-जुलना शुरू कर दिया था। यहां तक की दोनों साथ-साथ रहने लगे थे। लीव इन में। कौन जाने किसे कोरोना संक्रमण ने पहले से आक्रांत किया था। पीटर आखरी समय में टीना से माफी मांगना चाहता था। ये बात उसने ही स्वीटी को बतायी थी। पीटर ने बताया था कि टीना और पीटर का साथ उसके जीवन की सबसे अच्छी यादें थी। मगर ईश्वर को उन दोनों का मिलना मंजुर नहीं था। इसलिए वह दुनिया छोड़कर जा रहा है। टीना को अपने पिता के कहे अनुसार शादी कर लेनी चाहिये। सबकुछ भुलकर जीवन में यदि वह आगे बढ़ेगी तब पीटर की आत्मा को शांति मिलेगी। स्वीटी रोते हुये यह सब बता रही थी। टीना की आखों से झर्र-झर्र आसूअं बह रहे थे। यह धरम की ही ताकत थी की इतना बड़ा दुःख आने पर भी टीना उसे सह लेने के योग्य बन सकी थी। धरम ने उसे अपने सीने से लगा लिया। पीटर को अपने पास बुलाकर ईश्वर ने टीना के पास धरम को भेजा था। ताकी टीना अकेली न रहे। वह फूट-फूट कर रो रही थी। पीटर उसका पहला प्यार था। आखीरी समय में वह उसे देख भी न सकी, ये उसका दुर्भाग्य था। इस घटना के बाद वह मौन गयी। उसकी हंसी कहीं खो गयी थी। दिन भर चहकने वाली, मस्ती मज़ाक करने वाली टीना आज गुमसुम थी। धरम टीना की इस स्थिती को देख नहीं पा रहा था। वह चाहता था कि टीना पीटर का दुःख भूलकर अब आगे की ओर देखे। मगर टीना के लिए यह इतना आसान नहीं था।