shandesha - 1 in Hindi Moral Stories by Vikash Dhyani books and stories PDF | सन्देशा - 1

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सन्देशा - 1

सन्देशा

अरे सुनती हो कितना समय हो गया है उठ भी जाओ अब धूप सर पे चढने को है और महारानी अभी तक सो रही है।

बगल के घर से - अम्मा आप ही ने चढ़ा रखा है सर पे वरना हम भी तो है घर का सारा काम , बच्चे सब अकेले ही देखना पड़ता है और एक तुम्हारी बहु घर से दफ्तर और दफ्तर से घर बस यही लगा रहता है।

हा जिज्जी सोचलो कही सारी उम्र काम करते करते ही न निकल जाय। बगल से अम्मा की हमउम्र ।

कमला बिस्तर अंगड़ाई लेती हुए अम्मा चाय ठंडी हो गई है थोडा गरम करके दे दोगी।

अम्मा- अभी ला रही हु , कमरे में पहुचकर खिड़की का पर्दा हटाते हुए बहुरिया इन पड़ोसियों की बातों को दिल से मत लगा लेना ये तो ऐसे ही है।

कमला- जमाई लेते हुए अरे अम्मा सुनता ही कोण है इनको।

अम्मा- अच्छा आज तो दफ्तर से छुट्टी है ना बहुरिया।

कमला- हा अम्मा। कही सैर पर चलेंगे ठीक है।

अम्मा - लेकिन अभी तो ढेर सारा काम पड़ा है उसका क्या

कमला- क्या काम है अम्मा।

अम्मा- अरे कपडे लते, बर्तन , रसोई।

कमला - अच्छा ठीक है जल्दी से खत्म करके चलते है।

अम्मा- चाय गरम करके लेके कमरे में, अरे अब कहा चल दी अभी फिर चाय ठंडी हो जायेगी।

कमला- टॉयलेट रूम से अरे अम्मा लाओ यही ले आओ यही पिलेंगे

अम्मा- अरे दिमाग न ठिकाने पे है लगता आजकल तेरा कुछ भी बकती रहती है।चाय पे कटोरा रख के अम्मा रसोई में चली गई।

कमला- हाथ धोने के बाद चाय कप के साथ अखबार लेके बहार बरामदे में बैठ के अखबार पढ़ रही थी की इतने में डाकिया आया

डाकिया- कमला शर्मा आपका ही नाम है ??

कमला- जी हमारा ही नाम है बताइये क्या है।

डाकिया - चिट्टी है आपकी लीजिये , यहाँ पर साइन कर दीजिये।

कमला ने चिठ्ठी खोली तो उसे पढ़के मानो जैसे कोई गहरे पानी के तालाब में डुबो रहा हो और सांस रुकने लगी हो। एaस लगा रहा था मानो सब एक पल में खत्म हो गया हो कमला पूरी तरह से अपने होस हवास खो चुकी थी। लिखा था की कमांडर हरीश शर्मा की एक दुर्घटना में शहीद हो गए है। देश उन की कुर्बानी को कभी नहीं भूलेगा उन्होंने अपनी जान की बाजी लगाकर अपने बाकी साथियो को बचाया और अकेले ही आंतकियो को मार गिराया लेकिन उस घटना में वो शहीद हो गए । बम फटने से उनका शरीर पूरी तरह से जल गया अतः आपको केवल ये ख़त भेजकर सुचना दी जा रहे है । ये खबर पाते ही कमला होश खो बैठी मानो जीने का मकशद ही ख़तम हो गया हो। वो समझ ही नहीं पा रही थी अचानक ये क्या हो गया सब मानो खत्म होने वाला है। साँसे धीमी होती जा रही है और आँखो में कोहरा सा छा रहा है। कमला जोर से कुर्सी पे बैठी मनो की शरीर से प्राण ही निकल गए हो।

कुछ देर बाद उसे वो लम्हा याद आ गया जब हरीश घर से निकल रहा था ।

हरीश- कमला का माथा चूमा । कमला झट से उठी देखा तो हरीश वर्दी पहने तैयार खड़ा था मानो अभी जंग के मैदान में जाना हो।

कमला- अरे ये क्या है इतनी रात को वर्दी पहन के कहा को निकले हो, उठ के बिस्तर पर बैठते हुए, ये फौजी भी ना बस इनको बन्दूक और वर्दी के सिवा कुछ नही दीखता ।

हरीश - कमला का मुँह दबा दिया और चुप हो जाने को कहा । चुप रहो आराम से बोलो माँ उठ जायेगी।

कमला- हँसते हुए तो क्या हुआ । उनको भी पता है की हमारी शादी हुई है और वैसे भी उनका बेटा साल भर में तो एक बार घर आता है वो क्या अपनी बीवी से बात भी नही कर सकता।

हरीश - उसके चेहरे पे हाथ फेरते हुए अरे पगली वो तो इसी वजह से बैचैन बैठी होगी की कही चला न जाए । हा उसे मेरे आने की ख़ुशी सबसे ज्यादा होती है पर अगले ही पल बैचैन हो जाती है की फिर वापस चला जायेगा।

कमला थोड़ी भावुक हो गई वो समझ नही प् रही थी की हरीश ये सब इतनी रात को वर्दी पहन के क्यों बोल रहा है। उसने तुरंत घडी की तरफ देखा तो 4 बज रहे थे।

हरीश - कमला मुझे जाना होगा। हेडक्वार्टर से बुलावा आया है जाना होगा।

हरीश फौजी होने के साथ इंजीनियर भी था सेना में भर्ती होने के बाद वह बंगलुरु में 3 साल की ट्रेनिंग की थी जिसमे सबसे स्पेशल बम को डिफ्यूस करना था । ट्रेनिंग के दौरान सब हरीश की तारीफ करते थे उसने जल्द ही इस काम में महारत हासिल कर ली थी।

कमला हरीश से ये क्या बात हुई अभी तो तुम्हारी छुटिया बाकी है ना तो फिर एकदम से कैसे ।।

हरीश - देखो वह मेरी जरुरत है इसलिए बुलाया है।

कमला - सही से बताओ क्या बात है क्यों बुलाया है तुम्हे क्या हो रहा है वहा

हरीश - बात ये की हो सकता है खबर मिली है पर पक्की खबर नही है बॉर्डर के पास वाले गांव में कुछ आतंकवादी घुस थे और अब उन्हें पकड़ लिया गया है लेकिन उनके पास बम है जो उन्होंने गांव में कही छुपा दिए है ।और वो सायद टाइम बम हो जिसे शायद में ढूंढ सकता हु । इसीलिये बुलाया है।

कमला डरी हुई थी हरीश उसका हौशला बढ़ाते हुए अच्छा कम्मू तो तू अब ऐसा करेगी तो माँ का ध्यान कोन रखेगा । तुझे ही इस घर को संभालना है और मेरे आने वाले बच्चे को भी।

कमला माँ बनने वाली थी। इस बात सबसे ज्यादा ख़ुशी अम्मा को थी। उनका बेटा तो अब कभी कभी घर आता है । लेकिन अपने पोते/पोती को वो फिर से एक माँ की तरह पालना चाहती है।

कमला- तुम न बस बात मत करो मेरे से चुपचाप चले जाओ । तुम्हारे होने या न होने से क्या फर्क पड़ता है वैसे भी हमको तो अकेले ही रहना है ना।

हरीश- तुम शादी से पहले से सब जानती थी की फौज की नोकरी कैसे होती है।

कमला- तो छोड़ दो , हम कर लेंगे आपस में जो भी होगा चला लेंगे।और मुझे तुम्हारी जरुरत भी अभी सबसे ज्यादा है। और इस समय तो तुम्हारा मेरे साथ होना बहुत जरुरी है और तुम हो की छुट्टी से 20 दिन पहले ही जा रहे हो। कमला की बातें सुनकर अम्मा उठ गई और तुरंत उसके कमरे में आई और देखा तो हरीश वर्दी पहने तैयार था।

अम्मा- अरे तू ऐसे क्यों तैयार होके बैठ है क्या बात है सब ठीक है ना अम्मा कमला के पास आके बैठ गई अम्मा को लग गया था की हारीश का बुलावा आया है। अम्मा जानती थी ये सब बातें क्योकि हरीश के पिता भी फौजी थे।

यहाँ बात थी जिसके लिए हरिश अम्मा को बिना मिले जाना चाहता था । लेकिन ऐसा हो न सका continue..........