परी लोक में रानी परी दूर-दूर तक मशहूर थीं। उन्हें परियों के गुरु रोसाव ने थैंक्यू शक्ति दी थी और जादुई तूलिका भी। वह जो चाहतीं, सबकी भलाई में वह कर सकती थीं। वह इसका भरपूर उपयोग करती थीं, इसीलिए उनके राज्य में सब खुशहाल थे। गुरु रोसाव ने उन्हें एक जादुई क्रिस्टल भी दिया था। उसमें इतनी रोशनी थी कि सारे संसार की आंखें चौंधिया जाएं। उन्होंने कहा था कि एक दिन वह क्रिस्टल परी लोक को बचाएगा, इसीलिए उस क्रिस्टल को रानी परी ने खास बॉक्स में बंद कर दिया था, जिस पर परी लोक का ड्रैगन योद्धा नागेरा हमेशा बैठा रहता।
रानी परी के राज्य से हमेशा हंसने-खिलखिलाने, गाने-बजाने की आवाजें आती रहतीं। रात के सन्नाटे में तो इतनी तेज हो जातीं कि वहां आसमान के ठीक नीचे धरती पर एक चुड़ैल और उसके भाई की नींद डिस्टर्ब हो जाती थी। हर बार वो दाने उगी मोटी नाक वाली चुड़ैल बहन अपने भाई को डंडे से मारकर जगाती कि वह कुछ करे, पर वह आलसी बड़े कान वाला राक्षस ‘कल खाऊंगा’ कह कर फिर सो जाता।
अब उन परियों की खुशी उस चुड़ैल को खलने लगी थी। उस दिन उस चुड़ैल ने सोचा कि आज एक परी को धर ही लिया जाए। रात में चुड़ैल ने एक उल्लू को अपने डंडे पर बांध दिया और कुछ मंत्र पढ़ा। डंडा लंबा होने लगा और उल्लू को बादलों के पार पहुंचा दिया। जो कुछ उल्लू को दिख रहा था, वह सब उस चुड़ैल को भी दिख रहा था। उसे एक नन्ही परी जोर-जोर से ताली बजाती दिखी।
चुड़ैल ने खरखराती आवाज में कहा, ‘अब तो इसी को खाऊंगी।’ उसने मन ही मन कहा। उसने अपने भाई को जोर का डंडा मारा। बड़े कान वाले उस थुलथुल राक्षस ने जैसे ही कहा, हाय... चुड़़ैल ने उसके मुंह में दो चम्मच काले जादू वाला सूप डाल दिया।
उसे पीेते ही वह लाल-लाल आंखों से बोला, `बहन बता तुझे कौन परेशान कर रहा है? आज उसे खा डालता हूं।'
‘ज्यादा बातें ना बना। जा ऊपर जाकर एक चुहिया जैसी छोटी परी है, उसे उठा ला। फिर परी लोक में हंसी खत्म हो जाएगी।’ वह फटाफट चल पड़ा परी लोक। उसके पहुंचते ही कुछ देर के लिए अफरातफरी छा गई वहां। जब खुशियों की आवाजें नीचे आनी बंद हो गईं तो चुड़ैल को बड़ा अच्छा लगा। वह रिलैक्स हुई ही थी कि फिर हंसी-खुशी का माहौल हो गया था।
दरअसल परी रानी ने उस राक्षस की लाल आंखों में सीधा देखते हुए थैंक्यू का मंत्र अपनी मीठी आवाज में गा दिया था। फिर क्या था वह राक्षस भाई तुरंत एक मोटे गधे में बदल गया। वह परी रानी के पैरों में लोटने लगा। अब वह सारी नन्ही परियों को अपनी पीठ पर बिठा कर उन्हें तेजी से बाग की सैर करा रहा था, जोर-जोर से खुशी में रेंक रहा था और जमकर परी लोक का केक खा रहा था। वह अपना गुस्सा भूल गया था और यहां खुश था।
खुशी की आवाजें दोबारा चुड़ैल को सुनाई दीं, तो उसने फिर उल्लू को पकड़ डंडे पर बांधकर बादलों के पार पहुंचा दिया। वहां अपने भाई का यह हाल देखा तो गुस्से से बिलबिला गई। परियों को नया प्यारा दोस्त मिला था। एक और जश्न हो रहा था। अचानक वहीं खड़ी परी रानी पर नजर जाते ही वह चुड़ैल दंग रह गई। उस परी की शक्ल तो कई बार उसके जादुई शीशे ने दिखाई थी और कहा था कि उसके पास एक क्रिस्टल है जो अगर उसे मिल जाए तो वह पूरी दुनिया की मालकिन होगी।
अब चुड़ैल का इंटरेस्ट उस क्रिस्टल में था।
‘कहां छिपाया होगा इस हीरोइन ने वह क्रिस्टल’ उसने मन ही मन सोचा। वह चल पड़ी अपनी झाड़ू पर परी लोक की ओर। बहुत जल्द उसने सब पता लगा लिया। पर उसे नागेरा से लड़ाई करनी थी।
उसने एक सुंदर चिड़िया का रूप धरा और नागेरा के पास पहुंच गई। उसने नागेरा की बहादुरी की खूब तारीफ की, पर नागेरा समझदार था। वह समझ गया कुछ गड़बड़ है। उसने तुरंत उस चिड़िया को अपनी पूंछ में दबा लिया। जैसे ही चुड़ैल का दम घुटा वह पतली मधुमक्खी बनकर उसे डंक मारने लगी। तब नागेरा ने उस पर अपने मुंह से आग उगलकर जलाने की कोशिश की। तब उस चुड़ैल ने अपना जादुई डंडा घुमाया और काले बादलों को पूरे परी लोक के ऊपर बुला लिया।
परी लोक में बारिश होने लगी। इतनी कि नागेरा के अंदर जादुई आग का स्रोत भी ठंडा हो गया। परी लोक में पानी ही पानी भर गया। परी रानी ने यह सब देखा तो अपनी जादुई तूलिका उठाई और फटाफट जादुई कैनवास पर परीलोक से पृथ्वी पर बहते झरने का चित्र बना दिया। देखते ही देखने परी लोक में भरा हुआ सारा पानी उस झरने के रास्ते पृथ्वी के पहाड़ों पर पहुंच गया और फिर परी लोक में सब सूखा हो गया।
तब आसमान में उड़ती हुई उस चुड़ैल ने सफेद बादलों पर काला रंग लगा दिया। परी लोक ही नहीं, सारे संसार में अंधेरा छा गया। इसका इलाज तो परी रानी के पास भी नहीं था। अगर वह कैनवस पर सूरज बनातीं, तो कैनवस ही नहीं पूरा परी लोक जलकर खाक हो जाता, दीये के चित्र से कोई संसार को रोशनी कैसे दे? अब क्या किया जाए?
गुरु रोसाव ने परी रानी को क्रिस्टल की याद दिलाई। अब तो उस क्रिस्टल को निकालना ही था। लेकिन चुड़ैल उस पर आंखे गड़ाए बैठी थी। परी रानी ने जादुई तूलिका से एक और कैनवस पर क्रिस्टल बना दिया। वह थोड़ा-बहुत चमक रहा था। चुड़ैल ने उसे असली समझा और चली उसे पकड़ने और खुद पकड़ी गई, क्योंकि बहादुर और बुद्धिमान नागेरा चौकन्ना था, सो उसने उसे पकड़ लिया था।
अब परी रानी ने असली क्रिस्टल निकाला। उसके आते ही सारे संसार में उजियाला फैल गया। उस क्रिस्टल की एक खासियत यह भी थी कि वह सबके आरपार देख सकता था। परी रानी ने देखा कि उस चुड़ैल के दिल वाली जगह पर दिल है ही नहीं। ‘ओह तो इसीलिए यह इतनी क्रूर और गुस्सैल है। क्यों ना हम इसमें कुछ मीठा भर दें?’ उनके राज्य में रहने वाली मधुमक्खी परियां ये जानकर उत्साह से चिल्ला उठीं, ‘शहद..।’ बस फिर क्या था। एक चमचमाते घड़े में खूब सारा मीठा-मीठा शहद लाया गया। उसमे परी रानी ने थैंक्यू मंत्र मिलाया और बढ़ चले चुड़ैल की ओर।
‘देखो मैं काट लूंगी। मैं एक-एक परी को देख लूंगी।’ वगैरह-वगैरह वह चुड़ैल चिल्ला रही थी। पर कहते हैं ना हम जो दूसरों के साथ करेंगे, हमें वैसा ही मिलेगा। हुआ यूं कि जिस तरह उसने अपने भाई के मुंह में वह जादुई सूप डाला था, कुछ उसी अंदाज में नागेरा की पूंछ के नीचे दबी उस चुड़ैल ने जैसे ही चिल्लाने के लिए मुंह खोला, शहद की मटकी उसके मुंह में उड़ेल दी गई। घड़े से शहद की आखिरी बूंद जैसे ही उसके दिल में पहुंची, वह परी रानी की तरफ मुड़ी और उसके मुंह से अपने आप निकला, ‘थैंंक्यू’...। गुरु रोसाव मुस्कुरा पड़े। मधुमक्खी परियां हाई फाइव करके खुशी में चिल्ला उठीं, ‘हुर्रा...’। वह चुड़ैल अब बदल गई थी। गधा बन चुके उसके भाई ने बादलों को चाट-चाट कर काला रंग साफ करना शुरू कर दिया था।
परी रानी ने नागेरा की पीठ पर हाथ रखकर थैंक्यू मंत्र बोला तो उसमें आग उगलने की शक्ति वापस आ गई। परी लोक में फिर वही हंसी-खुशी गूंजने लगी। अब इस शोर से किसी को परेशानी हो, तो हो। इस बार उससे लड़ने के लिए नागेरा ही नहीं, परी लोक की नई योद्धा चुड़ैल परी भी थी।