Rahashy - 2 in Hindi Motivational Stories by अमिता वात्य books and stories PDF | रहस्य - 2

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रहस्य - 2

तभी गुस्से मे पापा की कही बात अचानक दिमाग मे आकर अटक गई "15साल से इसे अपनी आँखों के सामने झेल रहा था , तुमसे बरदाश्त नही हुआ जो उस हराम की इस दूसरी निशानी को भी सम्भाल कर रखा है।
कौन किसे झेल रहा था ? मुझे ? पापा मेरी बात कर रहे थे और हराम कौन था ? आज मुझे सब सवालों के जवाब चाहिए थे मैने सुबकती माँ का कंधा छुआ ।वो पल्लू से आँसू पोछती हुई उठी ।छोटी थी तो माँ पुचकार कर गोद मे भर लेती थी , काश मै छोटी होती , काश ये सम़झ ना पाती ।
" माँ बताओ बात क्या है ? मै भूमिका बनाने की स्थिति , उम्र और मूड मे बिल्कुल भी नही थी ।

" कौन सी बात " ??

माँ आज भी मुझे बच्ची ही समझती है ।

माँ आप जानती हो !

" कैसे बताऊ , तू समझेगी माँ की बात ?"

"बिल्कुल समझूगी "

शादी के बाद तेरे पिता और मुझमे बहुत ही प्यार था और इतना ही प्यार था मुझे बाँसुरी से , टी वी पर भगवान कृष्ण पर के एक सीरीयल देखते देखते बाँसुरी की दीवानी हो गई थी मै ।
पर अफसोस मायके मे किसी ने मुझे बजाने या सीखने नही दिया और ना ही किसी ने सोचा , तुम्हारे पापा ने मेरी चाहत समझा और पूरा भी किया ।
तुम्हारे जन्म से पहले शौर्य मुझे बासुरी सीखाने आने लगा
मै पूरी लगन और मेहनत से अपने प्यार को पाने मे डूब गई पर उस गुरु के भेष मे छिपे हैवान को ना पहचान सकी ,धीरे धीरे मै बाँसुरी मे परफेक्ट होने लगी , एक दिन उसने बाँसुरी सिखाते हुए मेरे होठों को छुआ , मै अंगार महसूस कर भौचक्की रह गई , सामने तुम्हारे पापा थै , अवाक मै और बेशर्म मुस्कान के साथ शौर्य , मै सदमे मे थी , जिसे तुम्हारे पापा ने सहमति समझा वो गुस्से मे दरवाजा जोर से पिटते कर निकल गये , उनके जाने के बाद मुझे होश आया , मैने एक थप्पड़ उसे लगा दिया , वो मुझे भुगत लेने की धमकी देता हुआ चला गया , जिसे मैने सिर्फ एक कोरी धमकी समझा ,उसने मेरा जीवन खाली कर दिया, उसके बाद से तुम्हारे पापा कटे कटे से रहने लगे, सम्बंध थे पर होकर भी नही थे , इस घटना के पाँच दिन बाद मुझे तुम्हारे आने की आहट का अहसास हुआ , मै सातवें आसमान पर थी कि अब सब.कुछ ठीक हो जायेगा , मै शाम को तैयार होकर उनका इंतजार कर रही थी , ये आये ,मुझे देखा ।मैने इनका हाथ पकड कर तुम्हारे आने की आहट सुनाई !
इतना कहते कहते माँ हाफँने लगी, मैने उनकी पीठ सहलाई।
तो वो आगे बोली " वो पहली बार था जब तुम्हारे पापा ने मुझ पर पहली बार हाथ उठाया था , उनके बोले शब्द आज तक मेरे कानों मे पिघले शीशे की तरह चुभते है ,तो उस हराम ने सच कहा था तू उसका पाप लिऐ मुझे पिता बनने का अहसास दिलाना चाहती है , इतनी पिटाई के बाद मै सफाई देने की स्थिति मे नही थी ,या मै सफाई देना ही नहीं चाहती थी , खुद की मर्दानगी पर सवाल ना उठे इसलिए अलग नही हुये पर समाज की नजर मे ,मेरे पास बस दो ही सहारे बचे थे एक मेरे बचपन का प्यार और तू ।
इतना कह कर माँ चुप हो गई , मै तब तक सोच चुकी थी कि क्या करना है , 2 हफ्ते बाद पापा को एक जगह आमंत्रित किया गया , मै भी साथ मे गई , सामने स्टेज पर माँ थी , पापा की मुटिठया कसने लगी मैने उन कसी हुई मुट्ठी मे एक रिपोर्ट जबरदस्ती पकडा थी , जिसमे मेरी दोस्त नीलम के पापा ने बहुत मदद की थी ।
पापा और मेरी डीएनए रिपोर्ट , पापा ने रिपोर्ट देखा , मुझे देखा , माँ की तरफ देखा , आँसुओं की धार निकली जिसमे मुझे भिगाने की कोशिश की गई थी , पर बचपन से माँ के आँसुओं मे भीगती अब मै और भीगना नही चाहती थी , उनका हाथ झटका और खडी होकर स्टेच पर माँ परफार्म करती माँ के लिए ताली बजाने लगी, माँ भी रो रही थी , पर आज पहली बार वो रोते हुये अच्छी लग रही थी , जिस बात के उस रोज मै पश्चाताप मे मै जल रही थी आज उस निर्णय पर गर्व कर रही थी ।

" हा माँ तुम्हारी बाँँसुरी बजाती हुई वीडियो उस दिन मैने ही फेसबुक पर डाली थी , वही से पापा के सामने तुम्हारे बाँसुरी बजाने का राज खुला था ।