Aatmhatya in Hindi Drama by Satender_tiwari_brokenwordS books and stories PDF | आत्महत्या

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आत्महत्या

रोहन office से घर आता है और काफी खुश था । आज नौकरी का पहला दिन था । घर आया तो खुश था और माँ ने पूछा , कैसा रहा पहला दिन?

"बहुत अच्छा था माँ , office में सभी लोग अच्छे हैं, और सभी ने अच्छा स्वागत किया । " रोहन ने बताया।

और फिर वो सिलसिला शुरू हो गया ,घर से office, आफिस से घर। दिन बीतते गए , रोहन भी अपने काम में काफी व्यस्त हो गया था।

जैसे जैसे रोहन आफिस में पुराना होने लगा वैसे वैसे काम भी बढ़ने लगा और काम का बोझ भी। जो रोहन रात 9 बजे से पहले घर आ जाता था , अब 9 बजे तक आफिस में ही रहता था , काम खत्म ही नही होता था।

काम का दबाव रोहन की निजी जिंदगी में भी दिखने लगा था स्वभाव में भी चिड़चिड़ापन आने लगा था। रोहन कोशिश तो करता कि काम समय पर पूरा करले लेकिन नही कर पा रहा था। कई बार काम को लेकर बॉस की सुननी भी पड़ी थी।

साल पूरा हो गया , और appraisal का समय था। किसी की तनख्वाह बड़ी तो किसी का प्रमोशन हुआ। रोहन का भी 500 रुपये बढ़ा , लेकिन यह बहुत ही कम था। दूसरे लोगों को 1500 रुपये से भी ज्यादा तन्ख्वाह बढ़ी थी ।

रोहन काफी आहत हुआ था और परेशान भी था। काम का दबाव और परिवार को वक़्त न दे पाना रोहन के लिए मुश्किल हो चला था। रोहन किसी को कह भी न पाता था कि काम बहुत है। और घरवाले शिकायत करते थे कि उसे परिवार की कोई चिंता ही नही है।

यही सब सोचता हुआ रोहन एक दिन घर की छत पर टहल रहा था। इतना परेशान था कि सोचा कि छत से कूद जाऊं , और फिर वो कूद ही गया ।

घर वालों का रो रो कर बुरा हाल था। कि तभी रोहन का सपना टूट जाता है। और फिर वो सोचता है कि इस तरह आत्महत्या करने से क्या मिलेगा। परिवार वालों को ही तकलीफ होगी और लोग रोहन को ही कायर बोलेंगे।

एक छोटा सा ख़्वाब रोहन की आंखे खोल देता है , और रोहन भी अपने काम मे ज्यादा दिल लगाने लगा।

कुछ ही दिनों में रोहन ने पाया ,कि उसका काम अब सुनियोजित तरीके से हो रहा है। रोहन काम के बारे में घर पर भी बताने लगा। और घर वालों को भी रोहन की बातें समझ मे आने लगी और वो भी उसका हौसला बढ़ाने लगे।।

एक साल और बीता फिर appriasal आया , इस बार रोहन को प्रमोशन दिया गया। उसके काम मे सुधार को देखकर ये फैसला लिया गया। जल्द ही रोहन की शादी हो जाती है और इस नई जिंदगी का रोहन दिल से स्वागत करता है।

वो अपनी पत्नी को भी आत्महत्या वाले ख़्वाब के बारे में बताता है। ये सब सुनकर उसकी पत्नी उसे गले लगा लेती है और उसके हौसले को बढ़ाते हुए कहती है, कि अब मैं आपकी ज़िंदगी हूँ , इसे खत्म करने का कोई हक़ नहीं है आपको।

रोहन भी पत्नी को गले लगाकर , फिर ऐसे ख्यालों के बारे में नहीं सोचेगा बोलता है।


आज रोहन बूढ़ा हो गया, और हमेशा उस ख़्वाब को धन्यवास देता है जिसने उसकी जिंदगी बदल दी।