Mom I am your debtor in Hindi Poems by Tarkeshwer Kumar books and stories PDF | माँ मैं तेरा कर्ज़दार हूँ

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माँ मैं तेरा कर्ज़दार हूँ

माँ, ये जो शब्द हैं ये अपने आप में ही पूरा संसार हैं,
मानो इस शब्द के उच्चारण मात्र से मन्न, जीभा, आत्मा, पवित्र हो जाते हैं, कभी आंखें मूंद के मन्न में माँ को याद कर के एकांत में "माँ" बोल के देखियेगा, आप खुद को एकदम शांत और प्रफुल्लित महसूस करेंगे और एक नए ऊर्जा का संचार होने लगेगा आपके मन्न मस्तिष्क में।
बहुत अनमोल खज़ाना हैं ये जो बड़ी किस्मत से मिलती हैं। माँ पिता सच मे भगवान का स्वरूप हैं, इनकी सेवा करें। दुनियां के सारी माताओं के लिए मैंने एक कविता लिखने की कोशिश की हैं, ज़रा ध्यान से पढियेगा।
किसीने क्या खूब लिखा हैं कि "क्या लिखूं उस माँ के बारे में, जिसने खुद मुझे लिखा हैं"

कविता कुछ इस प्रकार हैं:

काश सोते वक्त पास आती मां,
प्यार की लोरी सुना जाती मां,
पहला चेहरा देखता मां का,
प्यार से सुबहा उठा जाती मां,

नखरे करता उठते वक्त में,
दुलार से चाय दे जाती मां,
जाता फिर स्कूल जब भी में,
काला टीका लगा जाती मां,

मां दो रोटी ही देना खाने में,
चार मिलता जब खाना खाता,
दो रोटी खा भूखा ही रहता,
ये सब कैसे जान लेती मां,

अगर दिल दुखाया कभी मां का,
मांग लो माफी अभी समय हैं,
क्षमा याचना करने से ही पहले,
बच्चों को माफ कर देती मां,

आज सौ रुपए भी कम पड़े,
तुजसे मांगा एक रुपया बड़ा था,
आज सब है मेरे आस पास,
फिर भी लगा जैसे अकेले खड़ा था,

नौ महीने तूने दुख सहा,
जो दुख किसीसे भी नही कहा,
थोड़े दुख से आज टूट जाता हूँ,
तूने इतना दर्द कैसे सहा,

जब मुझे होश नही था दुनिया का,
पाल पोश मुझे बड़ा किया,
देके मुझे संस्कार अनमोल,
दुनिया के सामने खड़ा किया,

मुझको सूखे में सुलाकर,
खुद गीले में सो जाती थी,
मेरे जीवन की बगिया में,
सुख के बीज बो जाती थी,

बीमार जब में हो जाता था,
होश चैन तेरा खो जाता था,
ममता के आंचल स्पर्श से,
मैं चैन की नींद सो जाता था,

सह के दुनिया भर के ग़म,
मेरे जीवन को ढाल दिया,
आज जो भी हु तुजसे ही हुँ,
आखिरकार मुझको पाल दिया,

पर जाने इस कलयुग मेला में,
किस्मत कैसा खेल खेल रहा,
आंखों का तारा राज दुलारा,
देवकी को ही जेल भेज रहा,

चार बेटों को माँ अकेले पालती थी,
आज एक बेटा ना माँ को पाल पाये,
तब एक भी बेटा ना रो पाता था,
आज दिन रात माँ बस रोती जाये,

आज माँ जब वृद्ध हो गयी,
हर पल साथ तेरे रहना चाहे,
कठोर कैसा दिल है निर्दयी,
तू वृद्धाश्रम खुद ही ले जाये,

आज माँ क्यों एकदम अकेली हैं,
बात करने को तुझे ढूंढ रही हैं,
मन में लाख सवाल बसाये,
तेरे रहते अकेलेपन से जूझ रही हैं,

क्या तू सब कुछ भूल गया,
अपने बच्चे तुझे प्यारे हैं,
जिस माँ बाप ने तुझे जन्म दिया
क्या उनसे ज्यादा कोई न्यारे हैं,

पर याद रखना एकदिन आएगा,
एक दिन तू भी वृद्ध हो जाएगा,
जैसा करेगा माँ बाप के साथ,
वैसा तू खुद के साथ भी पाएगा,

पर सब बच्चे एक जैसे नही हैं,
कुछ की सिर्फ माँ ही कश्ती हैं,
सब सपूत नही कलयुगी,
माँ बाप में ही जान बसती हैं,

आज जब में बूढा और वृद्ध हुआ,
जब मुझे ये दुनिया सताती हैं,
कैसे बताऊँ कितना रोता हुँ,
तेरी बहुत याद आ जाती हैं,

समय अभी भी हैं संभल जाओ,
वरना आगे माँ ना कह पाओगे,
आज परिवार के बिना रह नहीं पाते,
एक दिन माँ के बिना ना रह पाओगे,

माँ तेरी क्या वर्णन करुं मैं,
मैं बस तेरा कर्जदार रहूँ,
जीवन भर बस साथ रहों माँ,
तेरे प्यार का बस हकदार रहूँ,

तू है तो भरा मेरा संसार हैं,
जीवन मे खुशियों का संचार हैं,
कह दिया अब कुछ नही कहना,
माँ सदा मेरे पास ही रहना।

आज दिन भर मोबाइल में लगे रहते हो, बस एक बार माँ पिता के पास बैठो,प्यार से आँखों मे झाँको और पूछो के माँ पापा कैसे है आप लोग। उन्हें बहुत अच्छा लगेगा ।