Adhuri havas - 17 in Hindi Horror Stories by Baalak lakhani books and stories PDF | अधूरी हवस - 17

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अधूरी हवस - 17


किसी भी प्रेम का जन्म होता है, बाहरी आकर्षण से, वासनाओ से पर जब हम प्रेम की गहराई में उतरते चले जाते है, तब धीरे-धीरे समस्त वासनाये तिरोहित होने लगती है, और हम आत्मीय रूप से इतने सम्पूर्ण हो जाते है की फिर कोई चाह, आकांक्षा, वासना के लिए स्थान ही नही रह जाता।

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मिताली राज को खुलासा करती है वोह अपनी सारी जिंदगी राज के साथ ही बिताना चाहती है,अब पढ़ेंगे आगे कहानी मे

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मिताली : जब कोई और रास्ता ही निकाल रहे हो तो मेरे पास कोई विकल्प ही नहीं बचता.

राज : जब एक रास्ता बंध होता है, तो और कई रास्ते खुले होते हैं, पर हम उस रास्ते को जान बूझकर देखते ही नहीं, तुम भी वहीं कर रही हो.

मिताली : मे एक लड़की होकर इतने सारे रास्ते आपके लिए खोल रही हू, हर राह पर मे आपका साथ देने के लिए तैय्यार हू तो आप मुह क्यू मोड़ रहे हो?

राज : तुम अपनी आत्मा से पूछो के क्या ये रास्ता ठीक है?

मिताली : मेरी रूह एक ही उतर दिए जा रही है, आपके साथ ही मेरी बसर हो और किसीके साथ मेरा रिश्ता जुड़ा तो, जो मे हू वोह नहीं रहूंगी सिर्फ मेरी लाश ही रहेंगी उनके साथ, मेरी रूह तो आप हो और आपके पास रहेगी मेरी रूह, जब रूह ही कही और हो तो उस रिश्ते का कोई मोल ही नहीं रहेता.

राज : मुजे एसी गहरी बाते समज नहीं आती है, और मे तुम्हें वहीं बात कहे रहा हू की तुम जो सोच रही हो वोह बात नहीं हो सकती मतलब नहीं हो सकतीं. हर किसीके जीवन मे एक फेसला करने का वक्त आता है, जो होता बहोत ही कठिन है, पर कठिनाइयों से लड़ते हुवे हमे आगे बढ़ना चाइये,

मिताली : सारी कठिनाइयां मे खुद सहे लुंगी आपके सामने कभी उफ्फ तक नहीं करूंगी, अगर मेरी परिवार की याद भी आए तो भी मे उसे याद भी नहीं करूंगी, उनके याद आने की नौबत ही नहीं आएगी, आप जो मेरे साथ होंगे, मेरे सारे रिश्ते नाते सब आप मे ही है,आज तक जिन रिश्तों मे बड़ी हुई हू वोह सारे रिश्ते मुजे आप मे ही अनुभव कर रही हू तो, आप खुद एक ही पूरा परिवार हो ए बात आपके भेजे मे क्यू नहीं जाती?
(रोते हुवे गुस्से मे)

राज : सब बात समज भी रहा हू और हालात क्या होंगे वोह बात को भी समझ रहा हू पर तुम नहीं देख पा रही हो जो मे देख पा रहा हू.

मिताली : तो पूरी बात से मुजे अवगत कराये, मे क्या भूल रही हू वोह समाए आप, नहीं समझायेंगे तो समझ केसे सकूंगी.

राज : आज नहीं तुम्हें अभी स्वस्थ्य होना होगा, तुम कल से, सोई नहीं हो तुम्हें आराम की जरूरत है, तुम्हें पहेले ठीक होना होगा, फिर हम फेसला करेंगे पर ऎसे नहीं, तुम बेफिक्र रहो मे हमारे सब के लिए सही फेसला करूंगा.

मिताली : पक्का ना आप जल्द ही फेसला लेंगे?

राज : हा पक्का वाला प्रॉमिस.
(कहेके राज मिताली के माथे को चूमता हे)

केसे भी करके राज मिताली को समझाकर मना लेता हे और साथ मे वादा भी ले लेता है कि वोह खुद को कोई हानि नहीं पहुंचाएगी
, मिताली भी मान जाति हे और वचन देती है,

बाद मे राज मिताली को उसके गाव छोड़ने जाता है, मिताली को वहा छोड़ कर आकाश और राज वहा से निकल आते हे घंटों तक राज कुछ बात नहीं करता, आकाश के कितना पूछने पर भी वोह चुप सा किसी बड़ी सोच मे ही लगता है, आकाश बात को भांप लेता है, होटल देख कर वहा कार को रोक देता है,

फ्रेश होके कॉफी का ओडर करते हैं, फिर राज कहेता हे मिताली किसी भी बात को समझने के लिए तैय्यार नहीं है, उसे कौनसी भाषा में बात करके दिमाग मे बात घुसाऊ कोई रास्ता ही नहीं दिख रहा,

भाई आपको ऎसा नहीं लगता के आपको उसकी कुछ इच्छायें पूरी करनी चाहिए?
मेरी बात आप समझ तो रहे हो ना मे किस तरफ इशारा कर रहा हू?

आप इस रिश्ते मे पहेली बार एक मर्यादा मे रहे हैं, वर्ना मुजे लगता है कि उसी की वजह से उसकी छटपटाहट बढ़ती जा रही है, आपको सीमा लांघ लेनी चाहिए थी, आपका एही रवैया उसको ज्यादा उत्तेजित करता है आपके प्रति क्या आपको ये समझ नहीं आ रहा?

समझ तो आ रहा है, पर मेरा ज़मीर मुजे इजाजत नहीं देता, मेरे दिमाग ने कई बार फेसला किया, पर उसकी पास जाता हू और उसकी आँखों मे आँखे डाल कर देखता हू तो मे जो सोचा होता है वोह सब भूल जाता हू.

तो फिर तो आपको उसको अपना ने को सिवा कोई रास्ता नहीं है. आज उसकी हालत देख कर तो मे भी डर गया था.

हाँ मे भी पर अब वक़्त डरने का नहीं पर डर भगाने का वक़्त आ गया है सबका, करते हैं अब जो मुजे मंजूर हो, होगा वहीं अब हम चाहेंगे, सब बदलेंगे सारे रिश्ते बदलेंगे, थे जितने बुरे उससे ज्यादा अब हमे बुरे सब समझेंगे, हमे कई लोगों के दिल मे अब हमे छुरा भोंकना होगा,

इतना कहेके वहा से उठ जाता है और अपने शहर जाने की और निकल पड़ते हैं, रास्ते मे मिताली से भी फोन पर बाते होती रहती है,

दोनों मे बातों का सिलसिला रोज जारी ही था, पर मिताली की बातों मे अब जिद ज्यादा नजर आती थी, प्यार की जिद साथ की जिद
आप ने कहा है मुजे आप कुछ ना कुछ रास्ता निकालेंगे, लड़ाई भी हो जाती थी कभी कभी इस बात पर फिर एक दिन तो मिताली ने अपना आपा ही खो दिया.

मिताली : देखो आप कहते हो पर कुछ करते नहीं हो, लेकिन अब बस मुजे आप साफ साफ बतायेंगे की आप के दिमाग मे आखिरकार चल क्या रहा है,?

राज : कुछ तो नहीं चल रहा, मे रास्ता ढूंढने की हर तरह से कोशिश कर रहा हू पर कोई रास्ता सूझता ही नहीं.

मिताली : अब कोई रास्ता ढूंढने की कहा जरूरत है, जो करना हे वही करना है.

राज : ऎसे नहीं होता तुम अभी भी छोटे बच्चे की भाँति ही सोच रही हो.

मिताली : तीन दिन के बाद मेरे परिवार वाले उन लोगों के घर जाने वाले हे, उनके पहेले आप को मुजे लेके जाना हे.

राज : ये नहीं हो सकता, वेसे भी मे शादी शुदा हू, और दूसरी शादी करना गुनाह हे हमारे देश मे, ए बात तो तुम अच्छी तरह से जानती हो.

मिताली : में वोह कुछ नहीं जानती मुजे आपके साथ ही अपनी जिंदगी गुजर नी हे.
हम कहीं भाग जाएंगे.

राज : सब को छोड़ कर? फिर क्या करेंगे वहा, प्यार से ही पेट नहीं भरेगा और काम धंधा भी जरूरी है. और कितने दिन छुपाते भागते रहेंगे हम दोनों, हम तीनों के घर वाले पुलिस मे रपट लिखा देंगे तो पुलिस भी ढूंढने हमारे पीछे पडी होंगी. ऎसे गुनाह की जिंदगी मे तुम्हें देना नहीं चाहता.

मिताली : मुजे मंजूर हे सारी मुसीबतें आप साथ होंगे तो मे सारी मुसीबतों का सामना कर लुंगी.

राज : कहना बहोत आसान है, पर जब गुज़रती है, तो तेल निकल जाता है अच्छों अच्छों का.

मिताली : मतलब सीधा हे कि आप मुजे शादी करने को ही कहते हैं,गोल गोल बात क्यू कर रहे हो सीधे मुह से क्यू नहीं कहते. मुजसे जान छुड़ाना चाहते हो, इतने दिनों से मेने अपना फेसला सुना दिया था आपको पर आप हे कि घुमाएं ही जा रहे हो
(थोड़ा ऊंचे आवाज से बात करने लगती है.
उधर राज भी ऊंची आवाज मे कहेता है, हाँ यह ही समझो बस, मिताली रोने लगती है, रोते रोते )

मिताली : आपको शादी नहीं करनी तो ठीक हे, मत कीजिए मे नही चाहती के आप पर कोई कानूनी कार्यवाही हो, मेरे कारण आप पर कोई मुसीबत आए, आप आप हे ना,
एक काम करिए मुजे अपनी रखैल बना लीजिए, (इतना सुनते ही राज फोन मे जोर से चिल्लाता हे पर मिताली बोले जा रही थी)
मे आपको भारी नहीं पडुंगी मे अपना खर्चा खुद उठा लुंगी आपको कभी नहीं कहूँगी खर्चे के लिए, आप चौबीस घंटे मत रहना मेरे साथ आप रात को मेरे साथ रहना, छोड़ो रात को भी नहीं बस दो दो दिन मे मिलने आना, दो दिन भी अगर आप ना आ पावों तो हफ्ता मे एक दिन देना मुजे. चलेगा एक दिन भी.

राज : तुम क्या बोले जा रही हो तुम्हें ए पता हें क्या (गुस्से मे)

मिताली : हा पता हें मे होश मे हू, तुम्हें क्या पता आपके सिवा मुजे कोई हाथ लगाए तो मुजे क्या होता है, मे नही चाहती कि कोई मुजे छूवे आपके सिवा, जब वोह मेरा हाथ भी पकड़ता हे तो, मुजे लगता हे कि ये हाथ अब मुजे काट देना चाहिए ऎसा महसूस होता है, आपको क्या पता जब वोह शादी के बाद की बाते करता हे तो क्या लगता है, पता हें आपको? ऎसा लगता है कोई मानसिक बलात्कार कर रहा है मेरे साथ, और आप इसे हकीकत मे होने देने की बात करते हैं,
मे बातों को सहे नहीं सकती तो हकीकत को झेलने की ताकत मुजमे नहीं है, प्लीज़ भले ही मुजे दुनिया आपकी रखैल कहेके बुलाती मुजे मंजूर हे.

(राज से बाते सुनी नहीं जाती गुस्से मे आके चिल्लाता है और फोन को गुस्से से पटक देता है)

क्रमशः..........