Himandri - 18 in Hindi Horror Stories by Ashish Kumar Trivedi books and stories PDF | हिमाद्रि - 18

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हिमाद्रि - 18



हिमाद्रि(18)


हिमपुरी और उसके आसपास के गांवों में एक बार फिर दहशत का माहौल था। बीना के अतिरिक्त तीन और औरतों के शव जंगल के अलग अलग हिस्सों में मिल चुके थे। पहली दृष्टि में देखने से लगता था कि सभी के साथ दुष्कर्म करने के बाद उनका कत्ल कर दिया गया होगा। लेकिन पोस्टमॉर्टम में जब बलात्कार की जाँच की गई तो पुलिस हैरान थी कि उन सभी औरतों की योनि में वीर्य नहीं पाया गया। ना ही जबरन प्रवेश के कोई निशान थे। किंतु उन सभी औरतों की कलाइयों व गर्दन पर निशान थे। सबसे चौंकाने वाली बात थी कि सभी की हत्या अचानक दिल का दौरा पड़ने से हुई थी।
एक बार फिर मीडिया और सोशल मीडिया पर यह हत्याएं छाई रहीं। कोई किसी नतीजे पर नहीं पहुँच पा रहा था। अटकलों का बाज़ार गर्म था।
दिन पर दिन फिलिप का व्यवहार अजीब होता जा रहा था। अब वह पहले से अधिक परेशान रहता था। उसका स्वभाव भी उग्र होता जा रहा था। वह बहुत सा समय बेसमेंट में बिताता था। स्टुअर्ट के लिए अपने स्वास्थ के चलते बेसमेंट में जाना कठिन था। अतः वह कुछ कर नहीं पा रहे थे।
स्टुअर्ट हर रविवार चर्च जाते थे। कई सालों से उनका यह नियम था। चर्च के पादरी फादर जोनैथन से उनका अच्छा परिचय था। जब भी स्टुअर्ट को किसी के मशविरे की ज़रूरत होती थी तो वह फादर से ही बात करते थे। इस समय वह फिलिप को लेकर परेशान थे। उन्होंने फादर जोनैथन को सारी बात बताई। स्टुअर्ट की बात सुन कर फादर जोनैथन गंभीर हो गए।
"मि. स्टुअर्ट बहुत से लोग इन बातों को नकारते हैं। लेकिन यह सच है कि इस दुनिया में बुरी ताकतें भी रहती हैं। जो कुछ आपने बताया उससे लगता है कि आपका भांजा ऐसी ही किसी ताकत की गिरफ्त में है।"
स्टुअर्ट का पहले कभी ऐसी बातों से वास्ता नहीं पड़ा था। इसलिए ना तो वह इन चीज़ों पर पूरी तरह विश्वास करते थे और ना ही इन्हें नकारते थे। पर उन्हें फादर जोनैथन पर पूरा यकीन था। फिर भी उनके मन में एक सवाल उठ रहा था।
"पर फादर अगर फिलिप किसी शैतान की गिरफ्त में है तो उसने कभी मुझे कोई नुकसान क्यों नहीं पहुँचाया ?"
"वो इसलिए क्योंकी उस शैतान को आपसे कोई मतलब नहीं है। वह फिलिप के ज़रिए अपनी कुछ इच्छाएं पूरी कर रहा है। आप उसके रास्ते का रोड़ा नहीं बन रहे हैं।"।

फादर जोनैथन की बात सुन कर स्टुअर्ट परेशान हो गए।
"आप कह रहे हैं कि वह शैतान फिलिप के माध्यम से अपनी इच्छाएं पूरी कर रहा है। मैं सही से समझा नहीं।"
फादर जोनैथन सोंच में पड़ गए। कुछ देर चुप रहने के बाद स्टुअर्ट की तरफ देख कर बोले।
"मि. स्टुअर्ट आपने जो बताया और पिछले कुछ दिनों में हिमपुरी और उसके आसपास के इलाके में जो घटनाएं हुई मैंने उन्हें जोड़ कर यह बात कही।"
फादर जोनैथन का इशारा स्टुअर्ट समझ गए।
"आपके कहने का मतलब है कि जंगल में हुई औरतों की हत्याएं फिलिप ने की हैं।"
"जी नहीं....फिलिप पर हावी उस शैतान ने।"
स्टुअर्ट बहुत अधिक चिंतित हो गए। उन्हें चिंता में देख कर फादर जोनैथन बोले।
"ज़रूरी है कि जल्द से जल्द फिलिप को उस शैतान से मुक्त कराया जाए।"
"तो फादर आप कुछ कीजिए।"
"शैतानी ताकतों को दूर भगाने की प्रक्रिया के लिए मुझे इजाज़त लेनी होगी। साथ ही कुछ तैयारियां करनी पड़ेंगी। मैं सब करके आपसे संपर्क करता हूँ। आप तब तक इस बात का ध्यान रखिए कि फिलिप को किसी चीज़ के लिए टोकिए मत।"

फादर जोनैथन ने सारी व्यवस्था कर बंगले में आए। जिस समय वह बंगले में पहुँचे उस समय फिलिप बेसमेंट में था। वह चित्र बना रहा था। हिमाद्रि ने उसे कब्ज़े में ले रखा था। फादर जोनैथन के साथ फादर मॉरिस भी थे। फादर मॉरिस माने हुए एक्सॉर्सिस्ट थे।
जब स्टुअर्ट फादर मॉरिस और जोनैथन के साथ बेसमेंट में पहुँचे तो उन लोगों को देख कर हिमाद्रि उत्तेजित हो गया। फादर मॉरिस समझ गए कि यह कोई साधारण शैतान नहीं है। उन्होंने फादर जोनैथन से कहा।
"हमें यहीं फिलिप को इस शैतान से मुक्त कराना होगा।"
फादर मॉरिस ने अपने हाथ में पकड़ा क्रॉस फिलिप की तरफ बढ़ाया। वह और फादर जोनैथन बाइबल की एक प्रार्थना पढ़ने लगे। हिमाद्रि इस बात से क्रोधित हो गया। वह ज़ोर से चिल्लाने लगा। यह सब देख स्टुअर्ट घबरा गए। वह चुपचाप एक कोने में खड़े हो गए।
हिमाद्रि समझ गया था कि उसका बचना कठिन है। ये लोग उसे फिलिप का शरीर छोड़ने पर मजबूर कर देंगे। एक बार यदि वह फिलिप के शरीर से बाहर आ गया तो उसे बांधना आसान हो जाएगा। इसलिए वह अपना दिमाग चलाने लगा। उसने लपक कर दरवाज़े पर टंगा आईना हटाया। दरवाज़े पर ताला लगा था।
फादर मॉरिस और जोनैथन अपनी विधी जारी रखे थे। हिमाद्रि के लिए एक एक पल कठिन हो रहा था। उसने पास पड़ा हुई एक पुरानी कुर्सी उठा कर उन लोगों की तरफ फेंकी। कुर्सी लगने से फादर मॉरिस लड़खड़ा गए। उनके हाथ से क्रॉस छूट कर गिर गया। उनके लड़खड़ाने से फादर जोनैथन भी गिर गए। हिमाद्रि को मौका मिल गया। उसने अपनी पूरी ताकत एकत्र कर ताले पर वार किया। ताला टूट गया। दरवाज़ा खोल कर वह कमरे के भीतर घुस गया। उसने दरवाज़ा भीतर से बंद करना चाहा किंतु अंदर की तरफ कोई कुंडी नहीं थी।
अब तक फादर मॉरिस और जोनैथन संभल चुके थे। फादर मॉरिस क्रॉस उठा कर कमरे की तरफ भागे। उन्होंने धक्का देकर दरवाज़ा खोला और भीतर चले गए। फादर जोनैथन भी अंदर घुस गए। बहुत देर तक उस छोटे से कमरे में हिमाद्रि संघर्ष करता रहा। अंत में हार गया। उसे फिलिप का शरीर छोड़ना पड़ा।
फादर मॉरिस ने उसे एक जगह पर बांध दिया। फादर जोनैथन और स्टुअर्ट ने मिल कर फिलिप को बाहर निकाल लिया। स्टुअर्ट के कहने पर फादर जोनैथन ने दरवाज़े की भीतरी दीवार पर घोड़े की नाल और उल्लू का नाखून कील से जड़ दिए।
बाहर निकल कर फादर मॉरिस ने एक नया ताला मंगा कर दरवाज़े पर लगा दिया। लकड़ी की दो पट्टियों को क्रॉस की शक्ल में चौखट पर जड़ दिया। गया। आदमकद आईना दोबारा हुक पर टांग दिया।
हिमाद्रि फिर से कैद हो गया।
फिलिप हिमाद्रि की गिरफ्त से आज़ाद तो हो गया था। लेकिन वह शारीरिक और मानसिक रूप से टूट गया था। स्टुअर्ट ने बहुत कोशिश की कि वह ठीक हो जाए। उसे अच्छे डॉक्टरों को दिखाया। पर कोई लाभ नहीं हुआ। चार महीनों तक संघर्ष करने के बाद फिलिप चल बसा।

फिलिप की मौत से स्टुअर्ट को बहुत धक्का लगा। अब उनका मन बंगले में नहीं लगता था। वह अपनी बेटी नोरा के पास चले गए। नोरा हॉलीवुड के एक प्रोडक्शन हाउस में काम करती थी। नोरा के पास करीब एक साल वह रहे। वहीं उनकी मृत्यु हो गई।
स्टुअर्ट की सारी संपत्ति उसे मिल गई। मरने से पहले स्टुअर्ट ने उसे बंगले में कैद शैतान के बारे में बता दिया था। नोरा भारत में अपने पिता की संपत्ति को बेचना चाहती थी। सिन्हा परिवार उसकी संपत्ति खरीदने को तैयार हो गया। बंगला उमेश को पसंद आया। इसलिए नोरा ने शैतान वाली बात उनसे छिपा ली।


हिमाद्रि ने अपनी पूरी कहानी सुना दी थी। उसके बाद क्या हुआ सबको पता था। डॉ निरंजन ने गंभीरता पूर्वक कहा।
"हिमाद्रि तुमने बहुत बुरे कर्म किए हैं। तुमने औरतों को एक खिलौने की तरह इस्तेमाल किया। तुम्हारे लिए यही उचित है कि तुम नर्क की आग में जलो।"
"पर मैं क्या करता मजबूर था। मैंने बताया था ना कि जब मैं जीवित था तो कितनी बार मैंने खुद को काबू में करने की कोशिश की। पर कोई था जो मुझे भीतर से ढकेलता था।"
"तुम्हें कोई गुनाह करने के लिए नहीं ढकेलता था। यह तुम्हारी अमर्यादित इच्छाएं थीं जो तुम्हें दुराचार करने के लिए प्रेरित करती थीं। उन्हें मर्यादा में रखना तुम्हारा काम था। तुमने कभी उन पर नियंत्रण करने का प्रयास नहीं किया।"
हिमाद्रि शांत था। वह अपने किए गुनाहों को समझ रहा था। डॉ निरंजन ने आगे कहा।
"तुमने अपनी वासना को तुष्ट करने के लिए कितने पाप किए। पर क्या इससे तुम संतुष्ट हो पाए। नहीं... बल्कि तुम्हारी वासना अनियंत्रित होती गई। तुम एक डॉक्टर थे। अपने हुनर से लोगों का भला कर सकते थे। पर तुमने अपनी विद्या का गलत प्रयोग किया। अब एक ही रास्ता है। अपने किए गुनाहों का प्रायश्चित करो। जब तुम पाप कर्मों से मुक्त हो जाओगे तो तुम्हें सद्गति मिल जाएगी। तब तक प्रेत लोक में रह कर प्रतीक्षा करो। अन्यथा ना जाने कितने सालों तक यूं ही प्रेत बन कर भटकते रहोगे।"
हिमाद्रि को भी अब अपने किए पर पछतावा था। वह बोला।
"अब मैं भी अपने पाप कर्मों से मुक्त होना चाहता हूँ। आप मेरी सहायता करें।"
डॉ निरंजन ने कुछ तांत्रिक विधियां कीं। कुमुद के शरीर में कंपन होने लगा। वह निढाल होकर लुढ़क गई।
हिमाद्रि प्रेत लोक चला गया था।