Kahan gai tun naina - 10 in Hindi Moral Stories by Ashish Kumar Trivedi books and stories PDF | कहाँ गईं तुम नैना - 10

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कहाँ गईं तुम नैना - 10



              कहाँ गईं तुम नैना (10)


इंस्पेक्टर नासिर अहमद अभी तक पुलिस स्टेशन नहीं पहुँच पाए थे। बीती रात एक गल्ला व्यापारी की दुकान में चोरी हो गई थी। वह उसी का पंचनामा करने गए थे। आदित्य को करीब दस मिनट तक उनकी राह देखनी पड़ी। पुलिस स्टेशन पहुँच कर इंस्पेक्टर नासिर ने उसे नैना के केस में जो भी प्रगति हुई थी उसके बारे में बताया।
"मि. आदित्य हम नैना के कॉल डीटेल की जाँच कर रहे हैं। इसी बीच मेरी दो ऐसे लोगों से मुलाकात हुई जो जमुना प्रसाद के ज़ुल्मों का शिकार है। लेकिन डर के कारण वह सामने आने को तैयार नहीं हैं।"
इंस्पेक्टर नासिर की बात सुन कर आदित्य बोला।
"दरअसल मैं जमुना प्रसाद के बारे में बात करने के लिए आपसे मिलना चाहता था।"
आदित्य ने इंस्पेक्टर नासिर को बसंत से उसकी मुलाकात और पेन ड्राइव के बारे में बताया।
"मि. आदित्य यह तो आपने अच्छी खबर सुनाई। अगर पेन ड्राइव मिल गई तो जमुना प्रसाद के खिलाफ सीधे सबूत होंगे। हम उसे कानून की गिरफ्त में ले सकेंगे।"
"तो कब चलेंगे पेन ड्राइव खोजने।"
इंस्पेक्टर नासिर ने घड़ी देखी। दस बज कर सैंतीस मिनट हुए थे। वह बोले।
"अगर आप तैयार हों तो अभी चलें। यहाँ से दो घंटे की ड्राइव होगी।"
"मैं तो जल्द से जल्द नैना को तलाश करना चाहता हूँ।"
इंस्पेक्टर नासिर ने हवलदार राजेंद्र विश्वकर्मा से साथ चलने को कहा। पाँच मिनट में तीनों पुलिस जीप से गंतव्य की तरफ बढ़ चले।  रास्ते में आदित्य ने रमेश को फोन कर अंकल के हालचाल लिए। उसने बताया कि डॉक्टर ने अंकल को शाम तक अस्पताल में रखने को कहा है। आदित्य ने उसे बता दिया कि वह नैना के केस के सिलसिले में इंस्पेक्टर नासिर के साथ कहीं जा रहा है। लौटने पर बात करेगा। 
जब आदित्य इंस्पेक्टर नासिर के साथ देवी के मंदिर पहुँचा तब दोपहर के एक बजे थे। धूप बहुत तेज़ थी। मंदिर के आसपास कोई नहीं था। आदित्य जूते उतार कर मंदिर के भीतर घुसा। उसने हाथ जोड़ कर देवी से प्रार्थना की कि नैना जहाँ भी हो सुरक्षित हो। जल्दी वापस आ जाए। उसने देवी को एक बार फिर प्रणाम किया और पेन ड्राइव ढूंढ़ने लगा। उसने बसंत के कहे के अनुसार प्रतिमा के पीछे पेन ड्राइव तलाश की किंतु वह नहीं मिली। उसके बाद उसने इधर उधर देखा पर पेन ड्राइव कहीं नहीं थी। आदित्य परेशान होकर बार बार पूरे मंदिर में पेन ड्राइव तलाशने लगा। वह पसीने से तर था। पेन ड्राइव ना मिलने से वह हताश हो गया था। इंस्पेक्टर नासिर भी परेशान थे। उन्होंने पूँछा कहीं ऐसा तो नहीं है कि यह वह देवी मंदिर ना हो जहाँ बसंत ने पेन ड्राइव छिपाई हो। लेकिन आदित्य को पूरा यकीन था कि यह वही देवी मंदिर है।  
आदित्य मंदिर के बाहर आकर चबूतरे पर बैठ गया। पेन ड्राइव ही एक आसरा थी जिसके सहारे जमुना प्रसाद को गिरफ्तार कर नैना के बारे में पूँछा जा सकता था। लेकिन पेन ड्राइव मिल ही नहीं रही थी। उसने एक बार फिर देवी माँ से मदद करने के लिए प्रार्थना की। इंस्पेक्टर नासिर को लग रहा था कि अब यहाँ और अधिक ठहरने से कोई फायदा नहीं। उन्हें वापस जाना चाहिए। एक बार फिर बसंत से मिल कर सही जगह का पता करना चाहिए।  
आदित्य जानता था कि उससे कोई गलती नहीं हुई है। बसंत ने इसी मंदिर के बारे में बताया था। इसलिए जाने से पहले वह एक बार फिर पेन ड्राइव तलाशना चाहता था। उसने इंस्पेक्टर नासिर से कहा कि उसे एक बार और कोशिश कर लेने दे। इंस्पेक्टर नासिर ने सोंचा कि अगर इससे आदित्य को तसल्ली मिलती है तो उसे एक और कोशिश कर लेने दे।
आदित्य फिर से मंदिर के भीतर जाकर पेन ड्राइव तलाशने लगा। इस बार वह पूरी सावधानी से एक एक चीज़ के पीछे देख रहा था। तभी पीछे से किसी ने टोंका।
"क्या बात है भाई साहब ? आप मंदिर के अंदर क्या कर रहे हैं ?"
आदित्य ने मुड़ कर देखा। सामने मंदिर का पुजारी खड़ा था। तब तक इंस्पेक्टर नासिर भी आ गए। जवाब उन्होंने दिया।
"मंदिर में इनकी बहुत ज़रूरी चीज़ है। उसे ही ढूंढ़ रहे हैं।"
पुजारी ने इंस्पेक्टर नासिर की तरफ देखा। फिर आदित्य से कहा।
"मंदिर में तो लोग मन की शांती खोजते हैं। आप क्या खोज रहे हैं ?"
"जो मैं खोज रहा हूँ उसके मिलने से मेरे दिल को बहुत सुकून मिलेगा।"
आदित्य के साथ आए इंस्पेक्टर और हवलदार को देख कर पुजारी समझ गया कि जो वो ढूंढ़ रहा है वह बहुत ज़रूरी है। 
"जो आप तलाश रहे हैं वह माता ने मुझे सौंप दिया है।"
आदित्य और इंस्पेक्टर नासिर दोनों ही उसकी बात नहीं समझ पाए। इंस्पेक्टर नासिर ने पूँछा।
"मतलब क्या है आपका ?"
"मेरे साथ आइए। सब समझ जाएंगे।"
इंस्पेक्टर नासिर ने हवलदार राजेंद्र विश्वकर्मा से पास खड़ी पुलिस जीप बुलाने को कहा। सब लोग जीप में बैठ कर पुजारी की बताई हुई जगह पर चल दिए। पुजारी उन्हें अपने घर ले गया। सबको बैठक में बैठा कर वह भीतर चला गया। जब लौट कर आया तो पेन ड्राइव आदित्य को देते हुए कहा।
"यही है ना आपके दिल का सुकून।"
पेन ड्राइव देख कर आदित्य के चेहरे पर मुस्कान खिल गई। 
"आपके पास कैसे आई यह ?"
पुजारी ने बताया कि चैत्र नवरात्री की शुरुआत से पहले उसने मंदिर की सफाई की तब माता की मूर्ती के पीछे यह पेन ड्राइव मिली। जिस तरह से वह मूर्ती के पीछे रखी गई थी उससे पुजारी को अंदाज़ लग गया कि किसी ने उसे वहाँ छिपाया है। ज़रूर उसमें कुछ खास होगा। यह सोंच कर वह उसे घर ले आया।
माता की सेवा करने के साथ ही पुजारी अपने बेटे के साथ मिल कर कंप्यूटर सेंटर चलाता था। इस सेंटर में गांव के लोगों को कंप्यूटर की ट्रेनिंग दी जाती थी। घर लाकर पुजारी ने वह पेन ड्राइव एक कंप्यूटर में लगा कर देखा तो दंग रह गया। पेन ड्राइव में विधायक जमुना प्रसाद के काले कारनामों का चिठ्ठा था। 
"मैंने पेन ड्राइव संभाल कर रख ली। राह देख रहा था कि जिसने भी इसे मंदिर में छिपाया होगा वह ज़रूर इसे ढूंढ़ने आएगा।"
इंस्पेक्टर नासिर ने पुजारी से पूँछा।
"अगर आपको पता था कि पेन ड्राइव में क्या है तो आपने उसे पुलिस को क्यों नहीं सौंप दिया ?"
पुजारी इंस्पेक्टर नासिर की तरफ देख कर कुछ सकुचाते हुए बोला।
"माफ कीजिए पर कई पुलिस वाले भी जमुना प्रसाद का साथ देते हैं। मैं किसी पर यकीन नहीं कर सकता था।"
"पुलिस वाला तो मैं भी हूँ। मुझ पर क्यों यकीन किया।"
"सर आपके साथ जो साहब आए हैं ये जिस तरह से मंदिर में पेन ड्राइव ढूंढ़ रहे थे उसे देख कर मैं समझ गया कि इसे आप लोगों को सौंपा जा सकता है।" 
इंस्पेक्टर नासिर ने पुजारी से कहा। 
"एक बार हम भी पेन ड्राइव में क्या है देखना चाहेंगे।"
पुजारी ने अपने बेटे को आवाज़ देकर उसका लैपटॉप लाने को कहा। लैपटॉप आने पर पुजारी ने पेन ड्राइव लगा कर प्ले किया। जमुना प्रसाद के गुनाहों का दस्तावेज़ सबके सामने था। आदित्य मन ही मन बसंत के साहस को सलाम कर रहा था। इंस्पेक्टर नासिर भी खुश थे। अब जमुना प्रसाद को उसके किए की सजा दिलाई जा सकती थी। 
पेन ड्राइव देखने के बाद आदित्य ने पुजारी को धन्यवाद दिया। इंस्पेक्टर नासिर ने भी पुजारी को शाबाशी दी।
"सर आप लोग उस जमुना प्रसाद को उसके किए की सजा ज़रूर दिलाइएगा। वह बहुत बड़ा हैवान है।"
पुजारी को आश्वासन देकर कि जमुना प्रसाद अब बचेगा नहीं सब वापस लौट गए। इंस्पेक्टर नासिर ने आदित्य से कहा कि वह यह पेन ड्राइव अपने आला अधिकारियों को देगा ताकी आगे की कार्यवाही हो सके। 
आदित्य अपने घर लौटा तो बहुत खुश था। एक उम्मीद जागी थी कि जमुना प्रसाद को गिरफ्तार कर उससे नैना के बारे में पूँछताछ की जा सकती है। उसने मन ही मन भगवान को धन्यवाद दिया। कुछ देर आराम करने के बाद उसने रमेश को फोन कर अरुण अंकल के हालचाल लिए। उसने बताया कि अंकल अब पहले से बहुत अच्छे हैं। कल सुबह ग्यारह बजे तक उन्हें डिस्चार्ज मिल जाएगा। 
अगले दिन आदित्य अंकल को डिस्चार्ज करा कर घर ले आया। उसने अंकल को नैना के केस में हुई नई गतिविधि की जानकारी दी तो वह बहुत खुश हुए। उन्होंने आशीर्वाद दिया कि जल्द ही वो और नैना फिर से एक हो जाएं।  

सारे मीडिया में ब्रेकिंग न्यूज़ थी कि विधायक जमुना प्रसाद और जसबीर सिंह को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। उनके विरुद्ध पास्को एक्ट तथा नारकोटिक एक्ट के तहत केस दर्ज़ किए गए हैं। मीडिया अपनी अपनी तरह से अटकलें लगा रही थी कि अवश्य पुलिस के पास पुख्ता सबूत होंगे। अन्यथा जमुना प्रसाद जैसे विधायक पर यूं हाथ ना डालती। 
जमुना प्रसाद निश्चिंत था कि उसका कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता है। उसके गुंडों ने उसे बताया था कि उन्होंने बसंत को मार कर रेल की पटरी पर फेंक दिया है। तलाशी लेने पर उसके पास कुछ नहीं मिला। जमुना प्रसाद ने उन लोगों से कहा कि वो लोग उस कमरे की तलाशी लें जहाँ बसंत रह रहा था। तलाशी लेने पर कमरे की तांड़ पर लैपटॉप मिल गया। जाँच करने पर उसमें उसके विरुद्ध सबूत मिले। उसने लैपटॉप नष्ट कर दिया। उसे पेन ड्राइव की भनक भी नहीं थी।
सुबह जब पुलिस जमुना प्रसाद को गिरफ्तार करने उसके सरकारी आवास पर पहुँची तो पहले उसने पुलिस को धमकाया कि वह सत्ताधारी दल का विधायक है। उसे बिना सबूत गिरफ्तार करने की हिम्मत ना करें। पर पुलिस ने उसे पेन ड्राइव के बारे में बताया तो उसके होश उड़ गए। पर उसने अपने गुंडों को खबर कर दी। उसके आवास के बाहर समर्थकों ने खूब हंगामा किया। लेकिन पुलिस बिना किसी चीज़ की परवाह किए जमुना प्रसाद को गिरफ्तार कर ले गई।