Begunaah gunehgaar - 17 in Hindi Short Stories by Monika Verma books and stories PDF | बेगुनाह गुनेहगार 17

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बेगुनाह गुनेहगार 17

सुहानी अब शोगता बन चुकी है। इंस्पेक्टर की टीम के साथ सुहानी अचानक से ब्रिजेश के पास पहुची। इंस्पेक्टर ने डोर बेल बजाई। ब्रिजेश ने दरवाजा खोला। 

इंस्पेक्टर:  हमे आपकी wife  मिल   गई है। एक एक्सीडेंट केे बाद  इलाज के लिए अस्पताल में थी। उनकी याददास्त चली गई थी। 2 साल के बाद थोड़ा बहोत इन्हें याद का चुका है। 

ब्रिजेश सुहानी को देख कर थोड़ा सदमे से बाहर आया और पागलो की तरह उसे अपने सीने से लगा लिया। 

इंस्पेक्टर ने उसे शोगता से दूर करते हुए कहा देखिए अभी इनकी हालत कुछ ठीक नही है। इन्हें सब याद आ जाने दीजिए। 

ब्रिजेश: ohh। सॉरी। थैंक यू इंस्पेक्टर साहब। आइए न, चाय पानी कुछ। 

इंस्पेक्टर: नही नही। फिर कभी। अभी हम चलते है। 

ब्रिजेश शोगता को अंदर ले गया।

वो शोगता तो सब याद दिला ने की कोशिश करता है। इसी बहाने सुहानी शोगता के बारे में बहोत कुछ जान जाती है। 

सुहानी एक हफ्ते तक घर को अच्छे से जान चुकी थी। कौन सी चीज कहाँ है। गली इलाके के बारे में जान चुकी है। सुहानी इंस्पेक्टर से बात कर के हर चीज के बारे में बताती है। मम्मी पापा नही है। उनसे बात भी नही कर सकती। वरना ब्रिजेश को शक हो जाता। इन सब मे अगर सुहानी के मम्मी पापा कुछ भावुक होकर उल्टा सीधा कर देते तो सारा प्लानिंग बिगड़ जाता। 

वो इंस्पेक्टर के साथ बात कर के अपने मम्मी पापा और हैरी के बारे में पूछ लेती। इंस्पेक्टर भी सुहानी की खबर घर पे मम्मी पापा को दे देता। 

कभी कभी सुहानी का फ़ोन इंस्पेक्टर के पास आ जाता तो मम्मी पापा से बात करवा देता। 

सुहानी अपने काम मे अच्छी तरह से जुड़ गई। अयान की बहोत याद आती है। लेकिन खुद को सम्हाल लेती। 

सुहानी की एक आदत थी, वो अपनी हर बात एक ऑनलाइन डायरी में लिख देती। उसमे अब तक के सुहानी के सारे राज़ छिपे थे। 

3 महीने बीत गए। सुहानी धीरे धीरे सब समझने लगी। सुहानी ब्रिजेश के एक एक खबर इंस्पेक्टर को देती है। शोगता के अलमारी की चाबी सुहानी के हाथ लग गई।तुरंत ब्रिजेश आ गया। और सुहानी को चाबी छुपानी पड़ी। 

रात हो चुकी है।  ब्रिजेश कमरे में आया। शोगता के करीब आया। वो शोगता के प्यार में पागल था। शोगता  के वापस आने के बाद उसने शोगता के साथ वो पल नही बिताये थे। 

ब्रिजेश शोगता को बताने लगा हम साथ मे कितने खुश थे। धीरे धीरे ब्रिजेश अपने होश खो बैठा। अब तक सुहानी किसी न किसी बहाने उसे रोक लेती। आज सुहानी का कोई भी बहाना काम नही आया। 

सुहानी कैसे बचाती खुद को। 2 साल शोगता गायब थी। शोगाता के आने के बाद तीन महीने हो चुके थे। आज ब्रिजेश शोगता को अपना प्यार याद दिलाना चाहता है। वो अपनी शोगता वापस चाहता है। शोगता अगर कुछ बोलती तो देश के बड़े बड़े गुनेहगार छूट जाते। आज उसने खुद को खुदा के हवाले कर दिया। शोगता को uncomfortable देखकर ब्रिजेश वही रुक गया। 

ब्रिजेश: सॉरी, वो मुझे लगा तुम्हे सब याद आ जाएगा। लेकिन शायद में गलत था। Take your time।

दूसरे दिन सुहानी ने शोगता की अलमारी खोली। के फ़ाइल पड़ी है।  एक के बाद एक कागज पलटने शुरू करे। 

सुहानी रीसर्च में काम करती है। फिलहाल काम बंद है। लेकिन उसकी नॉलेज तो है। इसी दौरान सुहानी कुछ मिसाइल और गन के बारेमे रीसर्च कर चुकी थी। 

सुहानी एक के बाद एक सारी फ़ाइल को धीरे धीरे समझ रही थी। जैसे ब्रिजेश  बाहर जाता सुहानी अपना काम शुरू कर देती। ब्रिजेश के आने का वख्त होता तो वो सब रख देती। 

एक हफ्ते बाद कई राज से पर्दा उठ चुका है। अब क्या है वो राज़। देखते है अगले अंक में।