vyangatmak kahani ka dusra prakar in Hindi Magazine by Rudra S. Sharma books and stories PDF | व्यंगात्मक कहानी का दूसरा प्रकार

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व्यंगात्मक कहानी का दूसरा प्रकार

रचनाकार-रुद्र संजय शर्मा

कृपया ध्यान से पूर्णतः पढ़े तत्पश्चाय ही टिप्पणी करे✍☝।

मैं रुद्र संजय शर्मा आज आपको एक अलग प्रकार की व्यंग रचना के बारे में बताता हूँ।अभी जो व्यंग रचनाएं होती है यह व्यंग रचना उससे पूर्णता अलग है ।इस प्रकार की व्यंग रचना को हम व्यंगात्मक कहानी भी कह सकते हैं क्योंकि इस प्रकार की व्यंगात्मक कहानी की रचना गध की विधा कहानी की सहायता से ही संभव हो सकी है।

व्यंग एक ऐसी हिंदी साहित्य की विधा है जिसकी रचना व्यंग्यकार हिंदी साहित्य की दूसरी विधाओं के माध्यम से करता है पहले भी कहीं व्यंगात्मक कहानियां बन चुकी है परंतु मेरी व्यंगात्मक कहानी उन सभी से पूर्णता अलग है इसीलिए मैं इसे व्यंगात्मक कहानी का दूसरे प्रकार कहता हूँ।

जिस प्रकार की व्यंगात्मक कहानी की संबंधों में आज आपको बताने जा रहा हूँ इस प्रकार की व्यंगात्मक कहानी की रचना आज से पहले कभी नहीं हुई इस प्रकार की व्यंगात्मक कहानी की रचनाओं की शुरुआत  मैंने ही की है ।

यह पूर्णता नवीन है । इस प्रकार की व्यंगात्मक कहानी की रचना आपने पहले नहीं पढ़ी होगी।

आपके मन में शायद आशा होगी की जिस प्रकार की व्यंगात्मक कहानी के संबंध में मैं बताने जा रहा हूँ वह किस प्रकार की होगी ,कैसी होगी तो ध्यान से पढ़िए मैं उसके संबंध में बताता हूँ।आशा ही मेरी व्यंगात्मक कहानी आप सभी को अच्छी लगेंगी और आप सभी भी इस प्रकार की व्यंगात्मक कहानियों की रचना करेंगे।

तो चलिए इस प्रकार की व्यंगात्मक कहानी की रचना किस प्रकार करते हैं मैं आज आपको बताता हूँ।

इस प्रकार की व्यंगात्मक कहानी किसी भी चयनित समूह आदि पर बनाई जा सकती है। 

इसके लिए उस चयनित समूह के सदस्यों के नाम हमें ज्ञात होना चाहिए और जो व्यक्ति व्यंगात्मक कहानी का निर्माण कर रहा है वह एक कहानीकार होना चाहिए।

करना कुछ भी नहीं है केवल इतना ही करना है कहानीकार को की चयनित समूह के जितने भी सदस्य हैं उनके नामों की सहायता से एक कहानी का निर्माण करना है तत्पश्चात जहां - जहां पर उनके नामों का उपयोग किया है उनके पीछे उनके उपनाम लगा देना है।

उदाहरण - नाम-मुरली गुप्ता
  वाक्य- आज की स्पर्धा में श्याम ने मुरली को बजाया।

अब अगर में नाम के पीछे उपनाम लगा देता हूँ।तो वाक्य का अर्थ पूर्णत: बदल जाएगा।

परिवर्तित वाक्य- आज की स्पर्धा में श्याम ने मुरली गुप्ता को बजाया।

            अब भैया! मुरली गुप्ता कोई ढोल या बंसी है जो उसको बजाया?☝✍????

यहाँ पर उस चयनित समूह के सदस्य पर व्यंग कसा गया।

नियम-
१- चयनित समूह के सदस्य का नाम अगर आप अपनी व्यंगात्मक कहानी में दो या दो से अधिक बार उपयोग करते हैं तो सभी के पीछे उपनाम  लगाना अनिवार्य नहीं है। आपकी इच्छा अनुसार लगा सकते है।

उदाहरण-चयनित नाम- आरती शर्मा

वाक्य- श्याम ने सजी हुई आरती को उठा कर फेंक दिया फिर आरती को उठाया भी नहीं।

परिवर्तित वाक्य- श्याम ने सजी हुई आरती शर्मा को उठा कर फेंक दिया फिर आरती  शर्मा को उठाया भी नहीं।

इसमें मैंने एक ही जगह पर भी उपनाम लगा सकते हैं।




अब मैं मेरी अलग प्रकार की व्यंगात्मक कहानी जिसकी शुरुआत हिंदी गद्य में मैंने ही की है , हिंदी साहित्य की दूसरी प्रकार की प्रथम व्यंगात्

चयनित समूह के सदस्यों का नाम कुछ इस प्रकार है।

फ़िज़ा अली 
बंसी सेन
शिखा शर्मा 
समय गुप्ता 
रवि सिंह
रूपल गुप्ता
शिव सिंहल
रेणु टाले



तो मेरी दूसरी प्रकार की  व्यंगात्मक कहानी कुछ इस प्रकार है।

साधारण कहानी


शिव और रूपल अच्छे मित्र थे  ।एक दिन उन दोनों में इस बात पर विवाद हो गया कि कौन दोनो में समझदार है।अंत में दोनों ने एक स्पर्धा की सहायता से निर्णय लेने का तय किया।
स्पर्धा यह थी कि की दोनों एक दूसरे से १०-१०प्रश्न पूछेंगे। जिसके सबसे ज्यादा उत्तर सही होंगे वह विजेता होगा एवं ज्यादा समझदार होगा। स्पर्धा कल प्रातः होगी एवं तय किये गए समय पर अगर दोनों आएंगे तो दोनों को दो-दो अंक ज्यादा मिलेंगे किसी एक की देरी से आने पर उसे उन दोनों अंको से वंचित रहना होगा।

रवि की प्रथम किरण के आगमन के साथ दिन का प्रारंभ हुआ। ठंडी फ़िज़ा अत्यधिक्त तीव्रता से बह रही थी। तीव्र हवा के कारण रेणु खुले में घूम रहे कुत्ते की नाक में जाकर घुस गई।उसके नाक में घुसने से वह बार -बार लगातार छीक रहा था।स्पर्धा के लिए दोनों मित्र सज्ज हो रहे थे। रूपल गुप्ता स्नान ही कर रही थी कि समय  निकट आ गया । वह  घबरा गई। उसे  अत्यधिक्त घुस्सा आ रहा था।उसने जल्दी से स्नान किया।अच्छे वस्त्र पहने एवं  शिखा को बांध कर पूर्णतः तैयार हो गई।स्पर्धा के लिए समय पर जाना अत्यंत आवश्यक था ।रूपल को देर हो गई परंतु शिव नित्य कर्म से निवृत हो कर तय समय पर पहुंच गया।

शिव को जल्दी आने के २ अंक ज्यादा प्राप्त हुए। शिव अपने साथ बंसी श्री कृष्ण की तरह हमेशा रखते थे।वह प्रसन्नता के कारण बंसी के छेदों को दबा दबाकर  तबीयत से बंसी को बजाने लगे।

अंत में स्पर्धा प्रारंभ हुई ।दोनों ने एक दूसरे से प्रश्न किए रूपल की सभी प्रश्नों के उत्तर सही गए परंतु शिव का अंतिम उत्तर गलत होने के कारण उसे दो अंक खोने पड़े।अंत मे दोनो के अंक बराबर थे।दोनो विजय हुए।



दूसरे प्रकार वाली पहली व्यंगात्मक कहानी

शिव सिंहल और रूपल गुप्ता अच्छे मित्र थे  ।एक दिन उन दोनों में इस बात पर विवाद हो गया कि कौन दोनो में समझदार है।अंत में दोनों ने एक स्पर्धा की सहायता से निर्णय लेने का तय किया।
स्पर्धा यह थी कि की दोनों एक दूसरे से १०-१०प्रश्न पूछेंगे। जिसके सबसे ज्यादा उत्तर सही होंगे वह विजेता होगा एवं ज्यादा समझदार होगा। स्पर्धा कल प्रातः होगी एवं तय किये गए समय पर अगर दोनों आएंगे तो दोनों को दो-दो अंक ज्यादा मिलेंगे किसी एक की देरी से आने पर उसे उन दोनों अंको से वंचित रहना होगा।

रवि सिंह की प्रथम किरण के आगमन के साथ दिन का प्रारंभ हुआ। ठंडी फ़िज़ा अली अत्यधिक्त तीव्रता से बह रही थी। तीव्र हवा के कारण रेणु टाले खुले में घूम रहे कुत्ते की नाक में जाकर घुस गई।उनकी नाक में घुसने से वह बार -बार लगातार छीक रहा था।स्पर्धा के लिए दोनों मित्र सज्ज हो रहे थे। रूपल गुप्ता स्नान ही कर रही थी कि समय गुप्ता निकट आ गया । वह  घबरा गई। उसे  घुस्सा आ रहा था।उसने जल्दी से स्नान किया।अच्छे वस्त्र पहने एवं शिखा शर्मा को बांध कर पूर्णतः तैयार हो गई।स्पर्धा के लिए समय पर जाना अत्यंत आवश्यक था ।रूपल गुप्ता को देर हो गई परंतु शिव सिंहल नित्य कर्म से निवृत हो कर तय समय पर पहुंच गया।

शिव को जल्दी आने के २ अंक ज्यादा प्राप्त हुए। शिव अपने साथ बंसी श्री कृष्ण की तरह हमेशा रखते थे।वह प्रसन्नता के कारण बंसी सेन के छेदों को दबा दबाकर तबीयत से बंसी सेन को बजाने लगा।

अंत में स्पर्धा प्रारंभ हुई ।दोनों ने एक दूसरे से प्रश्न किए रूपल गुप्ता की सभी प्रश्नों के उत्तर सही गए परंतु शिव सिंहल का अंतिम उत्तर गलत होने के कारण उसे दो अंक खोने पड़े।अंत मे दोनो के अंक बराबर थे।दोनो विजय हुए।


【जिस प्रकार मैंने या व्यंगात्मक कहानी बनाई है उसी प्रकार किसी भी चयनित समूह के नामों से व्यंगात्मक कविता व्यंगात्मक निबंध आदि का भी निर्माण किया जा सकता है।
रचनाकार     -✍ रुद्र संजय शर्मा