भूमिका अति-महत्वपूर्ण हैं यह अब पता हो रहा हैं। कविताओं की पेशकश में भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती हैं। किन्तु हर कविता की भूमिका रेत के दाने को तराशने की तरह हैं। इस भाषा से काफी जन-समूहसहमत नहीं होंगे यह मैं जानता हूँ। सरल भाषा, आम बोल-चाल वाली भाषा ज़रा देर से स्वीकार होती हैं।
"कुछ रचनाएँ" में कुछ प्रसिद्ध विधा, या यों कहें आज कल हर कोई इन्ही विधाओं में लिखता हैं, में रचनाएँ हैं। निवेदन हैं, ध्यान देकर ज़रूर पढ़े, आवश्यकता हो तो दोबारा पढ़े। और मातृभारती परिवार को शुक्रियां!! 1 हमारा मिलना शायद दो चार नज़्में हैं
2 संगीत
3 बेटी
4 एक लाल रंग की स्कूटी
5 मुस्कान
6 दहेज
7 कई बार मरना होगा
8 हम पृथ्वी के होने तक खुदको छुपाये रहेंगे
9 गुमनाम ही रहने दो
10 भूला दिया हमने
11 मेरे दिल को अपना मानकर रखा
12 सामने आ जाओ
13 मोबाइल
14 क्या खोया क्या पाया है
15 दिल में ग़म है
16 हमे जीना नहीं आया
17 प्यार हमारा मिलना शायद दो चार नज़्में हैं
क्या बताऊ तुम्हें देखना,
तुम्हारा नज़दीक होना
किस दृश्य जैसा हैं।
हमारा मिलना शायद
दो चार नज़्में हैं।
तुम्हारी मुस्कान यकीनन
जीवन हैं,
तुम्हारे बालों को
छू लेने भर से
कविता हो जाती हैं।
संगीत
एक संगीत हैं कोई,
जो अब भी हमारे भीतर
बजता हैं,
हमारी बुराई को, बेमानी को,
चुभता हैं कानो में,
हमसे कहता हैं, तुम
चाँद पर भी जा सकते हो,
हम गए भी हैं।
लेकिन हम उसे हर बार
“अहंकार” के शोर में दबा देते हैं,
वो भी हम में किसी और का अहंकार।
हम अपने आपको खो रहे हैं,
अपनी ही बनाई भीड़ में,
हमे जवाब नहीं पता,
असंभव क्या हैं।
बेटी
एक सोने के स, एक सोना दिया जाता हैं।
यहीं से उच-नीच का बीज बो दिया जाता हैं।
एक बेटी से बढ़कर और क्या चाहिए तुम्हे,
दहेज के नाम पर एक संस्कार खो दिया जाता है।
एक लाल रंग की स्कूटी
सालों से पापा से ज़िद करती रहीं,
एक लाल रंग की स्कूटी
दिला दो।
तब पापा चुप हो जाया करते थे,
आज लड़के वालों ने
कार की मांग की हैं, और
पापा ने उन्हें हा कह दिया हैं।
अब लाल रंग की स्कूटी तो
नहीं मिलेगी पर,
लाल रंग मेरे माथे पर ज़रूर
चढ़ेगा।
पापा मुझे “इनकी कार” में
उतना सुकून नहीं मिलेगा।
जितना “मेरी स्कूटी” पर मिलता।
मुस्कान
हमेशा कहते है ससुराल वाले,
कि, अपने घर से तू क्या
लेकर आई हैं।
कुछ लेकर आई हो या ना
लेकर आई हो।
एक चीज वो अपने साथ
नहीं ला पाती,
उसकी मुस्कान अब भी
मायके में, किसी
कमरे के कोने में छुपी होती हैं।
दहेज
किचन में से झांकती हुई मुस्कान
एक पल में बर्नर से उबलकर,
भाप बनकर पिछली खिड़की
से उड़ जाती हैं।
जब दहेज में कई तोला
सोना मांग लिया जाता हैं।
घर वाले भी बढ़-चढ़ कर
लेन-देन में हिस्सा लेते हैं।
और वो मुस्कान जैसे
खिलौना हैं, जो अच्छे दाम
मिलने का इंतज़ार करता हैं।
कई बार मरना होगा
शुभचिंतक जो कहते खुदको उनसे बचना होगा,
उजालों में वार होंगे खुदपर अंधेरा ढकना होगा।
हारने के आभास को अनसुना करना होगा।
जो इस दुनिया में जीना हैं कई बार मरना होगा।
हम पृथ्वी के होने तक खुदको छुपाये रहेंगे
कर लिया मन मानकर
पावन, और ढूंढे
बाहर मौज तन का।
कहते है प्रेम के सभी
रंग पहचान लिए,
पर ना जाने की
प्रेम को समझना मनु के
कहां बस का।
देह बैठा काम के
द्वार हमेशा,
और चिल्लाये अस्मिता
हमारी माता।
हम कभी किसी के
कहां हो पाए,
हम पृथ्वी के होने तक
खुदको छुपाये रहेंगे।
गुमनाम ही रहने दो
मिलना-जुलना ढले शाम ही रहने दो,
दिल-दिमाग को आराम ही रहने दो।
सुना है नाम होकर,बदनाम हो जाते है,
मैं जो गुमनाम हूँ गुमनाम ही रहने दो।
भूला दिया हमने
ग़म को गीत बनाकर गा दिया हमने,
तुमने कहा भुलादो भूला दिया हमने।
हमने सीख लिया इस ज़माने का हुनर,
तुमने कहा अपना बनालो बना लिया हमने।
मेरे दिल को अपना मानकर रखा
अपने रूप में मुझको हमेशा बांधकर रखा,
महकती बाहों में हरदम मुझे यूँ थामकर रखा।
ये वो दौर है जिसमे कई दिल टूट जाते है,
किसीने तो मेरे दिल को अपना मानकर रखा।
सामने आ जाओ
काश तुम फ़ैसला वो बदलकर सामने आ जाओ,
पिछले कमरे से यूँ तुम चलकर सामने आ जाओ।
मुझे मालूम है कि तुम नहीं आ सकती हो फिर भी,
इस तस्वीर से तुम निकलकर सामने आ जाओ।
मोबाइल
अपनी-अपनी याद का तुम जुगनू कैसे भेजोगे,
बिन कहे होंठों से अपने उर्दू कैसे भेजोगे।
इस मोबाइल के अंदर इत्र नहीं छिड़क सकते,
चले जाएंगे अक्षर लेकिन खुशबू कैसे भेजोगे।
क्या खोया क्या पाया है
आंसू बनकर एक समंदर आंखों में समाया है,
दिल के हर ग़मो को हमने गीत बनाकर गाया है।
तुम कहते हो क्या है मोहब्बत पल में खत्म होती है,
हमसे पूछो इश्क़ में हमने क्या खोया क्या पाया है।
दिल में ग़म है
प्यार सदियो से ज़िंदा है, सदियों से आँखे नम है,
ये वो लत है जो जीवन में ज़्यादा होकर भी कम है।
कोई अधूरा किस्सा तुम दिल में छुपाये बैठे हो,
जो जितना हँसता है उतना ही उसके दिल में ग़म है।
हमे जीना नहीं आया
ज़हर मीरा के जैसा वो हमे पीना नहीं आया,
मोहब्बत से फटी चादर हमे सीना नहीं आया।
तुम चाहो जिसे चाहो इज़ाजत है तुम्हे लेकिन,
किसी के प्यार में मरकर हमे जीना नहीं आया।
प्यार
ये तो गुमनाम की पहचान बना सकता है,
इस ज़मीन को आसमान बना सकता है।
प्यार से बढ़ के ताक़त कोई नहीं होती,
प्यार इंसान को इंसान बना सकता है।
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