यह कहानी विभिन्न सामाजिक और नैतिक विषयों को छूती है, जिसमें हिंसा, धोखा, और मानवीय संवेदनाएँ शामिल हैं। 1. **हमेशा की छुट्टी**: शिकार को पकड़ने के बाद वह अपनी जान की भीख मांगता है, यह दर्शाता है कि जीवन की महत्वता कितनी होती है। 2. **हलाल और झटका**: एक व्यक्ति ने एक जानवर को हलाल किया और दूसरे ने उसे झटका देने की सलाह दी। यह दृश्य हिंसा और उसके प्रति जिज्ञासा को दर्शाता है। 3. **घाटे का सौदा**: दो दोस्तों ने एक लड़की को खरीदने का निर्णय लिया, लेकिन जब वह उनके धर्म की निकली, तो वे धोखे का एहसास करते हैं। 4. **हैवानियत**: एक परिवार युद्ध के दौरान अपने सामान और प्रियजनों को बचाने की कोशिश करता है। माँ-बेटी का डर और गाय का शोर एक भावनात्मक स्थिति को दर्शाता है। 5. **विनम्रता**: एक गाड़ी की यात्रा में दूसरे धर्म के लोगों को मारने की घटना होती है, और उसके बाद बचे लोगों का स्वागत किया जाता है। यह एक क्रूर सामाजिक व्यवहार को उजागर करता है। 6. **खाद**: एक दोस्त अपने साथी की आत्महत्या पर अफसोस जताता है, यह दिखाता है कि कैसे समाज के दबाव से लोग प्रभावित होते हैं। 7. **दृढ़ता**: एक व्यक्ति अपने धर्म को नहीं छोड़ना चाहता और अपने उस्तरे की मांग करता है, यह दिखाता है कि धार्मिक पहचान कितनी महत्वपूर्ण होती है। कहानी में दिखाए गए विभिन्न पहलू समाज के जटिलताओं, मानवीय भावनाओं और धर्म के प्रति लोगों के दृष्टिकोण को उजागर करते हैं। सियाह हाशिए - 4 by BALRAM AGARWAL in Hindi Short Stories 1 1.9k Downloads 5k Views Writen by BALRAM AGARWAL Category Short Stories Read Full Story Download on Mobile Description मंटो का जन्म लुधियाना जिले के समराला नामक स्थान में 11 मई, 1912 को एक कश्मीरी मुस्लिम परिवार में हुआ था। वह अपने पिता की दूसरी बीवी की आखिरी सन्तान थे। उनके तीन सौतेले भाई भी थे जो उम्र में उनसे काफी बड़े थे और विलायत में तालीम पा रहे थे। वह उनसे मिलना और बड़े भाइयों जैसा सुलूक पाना चाहते थे, लेकिन यह सुलूक उन्हें तब मिला जब वह साहित्य की दुनिया के बहुत बड़े स्टार बन चुके थे। …और अन्त में… 786 कत्बा यहाँ सआदत हसन मंटो दफ़न है। उसके सीने में फ़न्ने-अफ़सानानिगारी के सारे अस्रारो-रमूज़ दफ़्न हैं— वह अब भी मनों मिट्टी के नीचे सोच रहा है कि वह बड़ा अफ़सानानिगार है या खुदा। सआदत हसन मंटो 18 अगस्त, 1954 क्या यह चौंकाने वाला तथ्य नहीं है कि यह ‘कत्बा’ लिखने के ठीक 5 माह बाद 18 जनवरी, 1955 को सुबह साढ़े-दस बजे मंटो को लेकर एंबुलेंस जब लाहौर के मेयो अस्पताल के पोर्च में पहुँची डाक्टर लपके—लेकिन…शरीर को मनों मिट्टी के नीचे दफ़्न कर देने की खातिर मंटो की पवित्र-आत्मा उसे छोड़कर बहुत दूर जा चुकी थी। (इसी पुस्तक में संकलित लेख सियाह-कलम मंटो और ‘सियाह हाशिए’ से) Novels सियाह हाशिए ‘सियाह हाशिये’ पाकिस्तान में बस जाने के बाद मंटो की तीसरी किताब थी जो ‘मकतबा-ए-जदीद’ से प्रकाशित हुई। सन् 1951 तक यह उनकी सातवीं किताब थी। वीभत्सता, उ... More Likes This पुर्णिमा - भाग 1 by Soni shakya CM: The untold story - 2 by Ashvin acharya चालाक कौवा by falguni doshi My Shayari Book - 1 by Roshan baiplawat रंगीन कहानी - भाग 1 by Gadriya Boy तीन लघुकथाएं by Sandeep Tomar जब अस्पताल में बच्चा बदल गया by S Sinha More Interesting Options Hindi Short Stories Hindi Spiritual Stories Hindi Fiction Stories Hindi Motivational Stories Hindi Classic Stories Hindi Children Stories Hindi Comedy stories Hindi Magazine Hindi Poems Hindi Travel stories Hindi Women Focused Hindi Drama Hindi Love Stories Hindi Detective stories Hindi Moral Stories Hindi Adventure Stories Hindi Human Science Hindi Philosophy Hindi Health Hindi Biography Hindi Cooking Recipe Hindi Letter Hindi Horror Stories Hindi Film Reviews Hindi Mythological Stories Hindi Book Reviews Hindi Thriller Hindi Science-Fiction Hindi Business Hindi Sports Hindi Animals Hindi Astrology Hindi Science Hindi Anything Hindi Crime Stories