Description
प्रार्थना:प्रह्लाद, नारद, पाराशर, पुंडरीक, व्यास, अंबरीश, शूक, शौनक, भीष्म, दाल्भ्य, रूक्मांगद, अर्जुन, वशिष्ठ और विभीषण आदि इन परम पवित्र वैष्णवो का मै स्मरण करता हूं।वाल्मीकि, सनक, सनंदन, तरु, व्यास, वशिष्ठ, भृगु, जाबाली, जमदग्नि, कच्छ, जनक, गर्ग, अंगिरा, गौतम, मांधाता, रितुपर्ण पृथु, सगर, धन्यवाद देने योग्य दिलीप और नल, पुण्यात्मा युधिष्ठिर, ययाति और नहुष ये सब हमारा मंगल करें।मंत्र का अर्थ: देवता एक-दूसरे से द्वेष नहीं करते, बल्कि एक दूसरे के साथ मिलकर आनंद और यश की प्राप्ति करते हैं। इस श्लोक से हमें यह सिखने को मिलता है कि एकता और भाईचारे से हम जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते