Description
सुहानी अगर उसे नहीं जगाकर नीचे जाती तो भी उसकी ही पड़नी थी ,,,,,,, सुहानी के बार बार जगाने से अनिकेत जग गया था ,,,,,,,,,,,, क्या है , प्राब्लम क्या है तुम्हारी क्यों मुझे चैन की नींद नहीं लेने दे रही ,,,,,,,,,,,वो हमारे गहने नहीं निकल रहे हैं ,, हमें निकालने नहीं आते हैं,,,,,,,,,, अनिकेत एक बार फिर उसकी बातों से इरिटेट हो चुका था,,,,,,,,,,,,,, अनिकेत उठकर सीधा सुहानी के पास आकर धीरे धीरे उसके सभी गहने निकाल देता है, अनिकेत थोड़ा गुस्से से ये सब कर रहा था जिससे सुहानी को दर्द हो रहा था,,,,,,,,,इस बार अनिकेत के बर्दाश्त