इस कहानी में विजय नामक व्यक्ति एक पुरानी आराम कुर्सी पर बैठकर चुरुट पी रहा है, तभी एक वृद्ध सज्जन त्रिलोचन गंगोपाध्याय उनसे मिलने आते हैं। वे विजय के परिवार की प्रतिष्ठा का जिक्र करते हुए एक लड़की, स्वर्गीय अमर चटर्जी की बेटी अनुराधा, के बारे में चिंता व्यक्त करते हैं। त्रिलोचन बताते हैं कि अनुराधा का मकान छोड़ने का इंतजाम हो चुका है और विजय को सलाह देते हैं कि उन्हें उसकी मदद करनी चाहिए। विजय इस सलाह पर नाराज हो जाता है और पूछता है कि त्रिलोचन कौन हैं जो अनुराधा की वकालत कर रहे हैं। त्रिलोचन मजाक में बताते हैं कि वे अनुराधा से विवाह करने वाले हैं, जिससे विजय चौंक जाता है। कहानी इस प्रकार विजय और त्रिलोचन के बीच संवाद के माध्यम से आगे बढ़ती है, जिसमें पारिवारिक सम्मान और विवाह के मुद्दे पर चर्चा होती है। अनुराधा - 4 by Sarat Chandra Chattopadhyay in Hindi Moral Stories 20 7k Downloads 17.2k Views Writen by Sarat Chandra Chattopadhyay Category Moral Stories Read Full Story Download on Mobile Description इस प्रकार में आने के बाद एक पुरानी आराम कुर्सी मिल गई थी। शाम को उसी के हत्थों पर दोनों पैर पसाक कर विजय आंखें नीचे किए हुए चुरुट पी रहा था। तभी कान मं भनका पड़ी, ‘बाबू साहब?’ आंख खोलकर देखा-पास ही खड़े एम वृद्ध सज्जन बड़े सम्मान के साथ सम्बोधित कर रहे हैं। वह उठकर बैठ गयाय़ सज्जन की आयु साठ के ऊपर पहुंच चुकी है, लेकिन मजे का गोल-मटोल, ठिगना, मजबूत और समर्थ शरीर है। मूंछे पक कर सफेद हो गई है, लेकिन गंजी चांद के इधर-उधर के बाल भंवरों जैसे काले है। सामने के दो-चार दांतो के अतिरिक्त बाकी सभी दांत बने हुए है। वार्निशदार जूते हैं और घड़ी के सोने की चेन के साथ शेर का नाखून जड़ा हुआ लॉकेट लटक रहा है। गंवई-गांव में यह सज्जन बहुत धनाढ्य मालूम होते है। पाक ही एक टूटी चौकी पर चुरुट का सामान रखा था, उसे खिसकाकर विजय ने उन्हें बैठने के लिए कहा। वद्ध सज्जन ने बैठकर कहा, ‘नमस्कार बाबू साहब।’ Novels अनुराधा लड़की के विवाह योग्य आयु होने के सम्बन्ध में जितना भी झूठ बोला जा सकता है, उतना झूठ बोलने के बाद भी उसकी सीमा का अतिक्रमण किया जा चुका है और अब तो विव... More Likes This सपने और सफलता - भाग 1 by Shivangi Vishwakarma अंधेरी कोठरी का रहस्य - भाग 5 by Pawan जिंदगी के रंग - 1 by Raman रुह... - भाग 8 by Komal Talati उज्जैन एक्सप्रेस - 1 by Lakhan Nagar माँ का आख़िरी खत - 1 by julfikar khan घात - भाग 1 by नंदलाल मणि त्रिपाठी More Interesting Options Hindi Short Stories Hindi Spiritual Stories Hindi Fiction Stories Hindi Motivational Stories Hindi Classic Stories Hindi Children Stories Hindi Comedy stories Hindi Magazine Hindi Poems Hindi Travel stories Hindi Women Focused Hindi Drama Hindi Love Stories Hindi Detective stories Hindi Moral Stories Hindi Adventure Stories Hindi Human Science Hindi Philosophy Hindi Health Hindi Biography Hindi Cooking Recipe Hindi Letter Hindi Horror Stories Hindi Film Reviews Hindi Mythological Stories Hindi Book Reviews Hindi Thriller Hindi Science-Fiction Hindi Business Hindi Sports Hindi Animals Hindi Astrology Hindi Science Hindi Anything Hindi Crime Stories