कहानी "सब का दाता है भगवान" में जबलपुर के एक धनाढ्य व्यापारी पोपटमल का वर्णन है, जो गरीबों की मदद करता है लेकिन ईश्वर के प्रति नास्तिक है। उसके घर पर दो भिखारी आते हैं, जिनमें से एक ईश्वर के प्रति आभार व्यक्त करता है और दूसरा व्यापारी का गुणगान करता है। एक दिन, पोपटमल एक भिखारी को अपनी महंगी अंगूठी देता है, सोचकर कि इससे उसकी आर्थिक समस्याएं हल होंगी। भिखारी अंगूठी लेकर सुनार के पास जाता है, लेकिन सुनार उसे नकली बताकर केवल पांच सौ रुपये की कीमत बताता है। गुस्साए भिखारी ने अंगूठी दूसरे भिखारी को दे दी। यह भिखारी दूसरी दुकान पर जाकर पता करता है और जानता है कि अंगूठी की असली कीमत दस लाख रुपये है। वह अगली बार पोपटमल के पास लौटता है और अंगूठी वापस करते हुए कहता है कि भगवान सबका दाता है। इस बात से पोपटमल प्रभावित होता है और सोचने लगता है कि भिखारी कितने ईमानदार हैं। इस अनुभव से उसका नास्तिकता का विचार बदल जाता है और वह आस्तिक हो जाता है। वह भिखारी से कहता है कि अंगूठी पर उसका कोई अधिकार नहीं है, और भिखारी उसे सलाह देता है कि धन का सदुपयोग होना चाहिए। अंत में, पोपटमल अंगूठी बेचकर नर्मदा किनारे एक आश्रम का निर्माण करता है, जहां नर्मदा परिक्रमा करने वालों के लिए निःशुल्क भोजन और विश्राम की व्यवस्था होती है। सब का दाता है भगवान by Rajesh Maheshwari in Hindi Motivational Stories 90 2.8k Downloads 9.9k Views Writen by Rajesh Maheshwari Category Motivational Stories Read Full Story Download on Mobile Description सब का दाता है भगवान जबलपुर शहर में एक धनाढ्य व्यापारी पोपटमल रहता था। वह कर्म प्रधान व्यक्तित्व का धनी था और गरीबों को दान धर्म, जरूरतमंदो को आर्थिक सहयोग, बच्चों को शिक्षा प्रदान करने हेतु उनकी फीस, किताबें इत्यादि के लिए आर्थिक मदद देता रहता था। उसके घर पर प्रतिदिन दोपहर के समय दो भिखारी भीख माँगने आते थे। जिन्हें उसके द्वारा प्रतिदिन भोजन प्रदान किया जाता था। उसमें से एक भिखारी भगवान के प्रति आभार व्यक्त करता और दूसरा भिखारी उस व्यापारी का गुणगान करता हुआ चला जाता था। पोपटमल को ईश्वर के ऊपर कोई विश्वास More Likes This श्री बप्पा रावल श्रृंखला खण्ड-दो - षष्ठम अध्याय by The Bappa Rawal लड़का होना आसान नहीं होता - भाग 1 by parth Shukla टीपू सुल्तान - 2 by Sonu Rj जादुई मुंदरी - 1 by Darkness दस महाविद्या साधना - 1 by Darkness श्री गुरु नानक देव जी - 1 by Singh Pams शब्दों का बोझ - 1 by DHIRENDRA SINGH BISHT DHiR More Interesting Options Hindi Short Stories Hindi Spiritual Stories Hindi Fiction Stories Hindi Motivational Stories Hindi Classic Stories Hindi Children Stories Hindi Comedy stories Hindi Magazine Hindi Poems Hindi Travel stories Hindi Women Focused Hindi Drama Hindi Love Stories Hindi Detective stories Hindi Moral Stories Hindi Adventure Stories Hindi Human Science Hindi Philosophy Hindi Health Hindi Biography Hindi Cooking Recipe Hindi Letter Hindi Horror Stories Hindi Film Reviews Hindi Mythological Stories Hindi Book Reviews Hindi Thriller Hindi Science-Fiction Hindi Business Hindi Sports Hindi Animals Hindi Astrology Hindi Science Hindi Anything Hindi Crime Stories