कहानी में एक बूढ़ा व्यापारी है जिसके दो भाई हैं। उनके पिता ने उन्हें तीन हजार अशर्फियाँ दी थीं, जिससे वे व्यापार करने लगे। बड़े भाई ने विदेश जाकर व्यापार करने की इच्छा जताई और अपना सारा माल बेचकर विदेशी वस्त्र खरीदकर चला गया। एक साल बाद वह गरीब होकर वापस आया। बूढ़े ने उसे सहारा दिया और फिर से व्यापार शुरू करने के लिए पैसे दिए। कुछ समय बाद, छोटे भाई ने भी विदेश जाने का फैसला किया, हालांकि बूढ़े ने उसे मना किया। वह भी अपने सारे पैसे खोकर वापस आया। बूढ़े ने फिर से छोटे भाई की मदद की और उसे व्यापार शुरू करने के लिए पैसे दिए। अंत में, दोनों भाइयों ने बूढ़े से कहा कि वे सभी मिलकर विदेश जाकर व्यापार करना चाहते हैं, लेकिन बूढ़ा पहले इसके लिए अनिच्छुक था। अलिफ़ लैला - 5 by MB (Official) in Hindi Short Stories 6.5k 4.9k Downloads 15k Views Writen by MB (Official) Category Short Stories Read Full Story Download on Mobile Description सरे बूढ़े ने कहा, 'हे दैत्यराज, ये दोनों काले कुत्ते मेरे सगे भाई हैं। हमारे पिता ने मरते समय हम तीनों भाइयों को तीन हजार अशर्फियाँ दी थीं। हम लोग उन मुद्राओं से व्यापार चलाने लगे। मेरे बड़े भाई को विदेशों में जाकर व्यापार करने की इच्छा हुई सो उसने अपना सारा माल बेच डाला और जो वस्तुएँ विदेशों में महँगी बिकती थीं उन्हें यहाँ से खरीद कर व्यापार को चल दिया। इसके लगभग एक वर्ष बाद मेरी दुकान पर एक भिखमंगा आकर बोला, भगवान तुम्हारा भला करे। मैंने उस पर ध्यान दिए बगैर जवाब दिया, भगवान तुम्हारा भी भला करे। उसने कहा कि क्या तुमने मुझे पहचाना नहीं। मैंने उसे ध्यानपूर्वक देखा और फिर उसे गले लगाकर फूट-फूट कर रोया। मैंने कहा, भैया, मैं तुम्हें ऐसी दशा में कैसे पहचानता। फिर मैं ने उसके परदेश के व्यापार का हाल पूछा तो उसने कहा कि मुझे इस हाल में भी देख कर क्या पूछ रहे हो। Novels अलिफ़ लैला फारस देश भी हिंदुस्तान और चीन के समान था और कई नरेश उसके अधीन थे। वहाँ का राजा महाप्रतापी और बड़ा तेजस्वी था और न्यायप्रिय होने के कारण प्रजा को प्रिय... More Likes This ब्रह्मचर्य की अग्निपरीक्षा - 1 by Bikash parajuli Trupti - 1 by sach tar वाह ! बेटा वाह ! - भाग 1 by H.k Bhardwaj 2050 – भविष्य की कहानी by Bikash parajuli महाराणा सांगा - भाग 11 by Praveen Kumrawat मैं महत्वपूर्ण नहीं हूँ: बरगद की कहानी - 1 by Dr. Gyanendra Singh खून की प्यास: सुनसान सड़क का श्राप - 1 by Vivek Singh More Interesting Options Hindi Short Stories Hindi Spiritual Stories Hindi Fiction Stories Hindi Motivational Stories Hindi Classic Stories Hindi Children Stories Hindi Comedy stories Hindi Magazine Hindi Poems Hindi Travel stories Hindi Women Focused Hindi Drama Hindi Love Stories Hindi Detective stories Hindi Moral Stories Hindi Adventure Stories Hindi Human Science Hindi Philosophy Hindi Health Hindi Biography Hindi Cooking Recipe Hindi Letter Hindi Horror Stories Hindi Film Reviews Hindi Mythological Stories Hindi Book Reviews Hindi Thriller Hindi Science-Fiction Hindi Business Hindi Sports Hindi Animals Hindi Astrology Hindi Science Hindi Anything Hindi Crime Stories