साहित्यिक साझा मानसिक मी टू `बतर्ज़ सबरीमाला ब्ला

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[ प्रभा खेतान जी ने उनत्तीस तीस वर्ष पहले `हंस `में लिखा था - महिलायें अपनी स्थिति का विरोध अपने ज़ख्मों को उघाड़कर करतीं हैं। अहिन्दीभाषी प्रदेश में महिला साहित्यिक मंच पर सर्वेनुमा आलेख ] चौराहे के एक तरफ़ बने बाग़ के सामने `आवारा टी` के समय सब पेड़ के नीचे दो बेंचों पर आपने सामने बैठी ज़ोर से हंस दीं थीं । एक पुरानी मेज़ पर स्टोव के ऊपर से अल्युमिनियम की केतली उतारता चाय बनाता अधपकी दाढ़ी वाला हरे सफ़ेद रंग की लुंगी पहने वह अधेड़ काला चायवाला अपनी मिचमिची आँखों से चकित हो इन्हें देखने लगा था ।

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साहित्यिक साझा मानसिक मी टू `बतर्ज़ सबरीमाला ब्ला ---ब्ला --- - 1

[ नीलम कुलश्रेष्ठ ] एपीसोड -1 [ प्रभा खेतान जी ने उनत्तीस तीस वर्ष पहले `हंस `में लिखा था महिलायें अपनी स्थिति का विरोध अपने ज़ख्मों को उघाड़कर करतीं हैं। अहिन्दीभाषी प्रदेश में महिला साहित्यिक मंच पर सर्वेनुमा आलेख ] चौराहे के एक तरफ़ बने बाग़ के सामने `आवारा टी` के समय सब पेड़ के नीचे दो बेंचों पर आपने सामने बैठी ज़ोर से हंस दीं थीं । एक पुरानी मेज़ पर स्टोव के ऊपर से अल्युमिनियम की केतली उतारता चाय बनाता अधपकी दाढ़ी वाला हरे सफ़ेद रंग की लुंगी पहने वह अधेड़ काला चायवाला अपनी मिचमिची आँखों से ...Read More

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साहित्यिक साझा मानसिक मी टू `बतर्ज़ सबरीमाला ब्ला ---ब्ला --- - 2

एपीसोड -2 सन 1995 में फ़ेडेरशन हॉल बुक करवा लिया था। कार्यक्रम से पहले संचालिका हाथ में कवयित्रियों की लिए उससे कह रही थी ,``आपने बहुत ग़लती की है। ये कार्यक्रम बहुत फ़्लॉप होगा। आपने कहीं सुना है की किसी महिला ने कोई कविता का सम्मलेन संचालित किया है ?`` लेकिन उस कार्यक्रम को आशा से अधिक सफ़लता मिली . उस समय उनको भी नहीं पता था कि कर्नाटक व दिल्ली के बाद के गुजरात में देश की ये तीसरी महिला साहित्यिक संस्था है जिसमें महिलायें साहित्य के नाम अपने घर के कामों के नागपाश से अपने को कुछ ...Read More