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चोथा हिस्सा ( भाग ) - वक्त मे पिछे - 1फ्लेशबेक.…………………. छब्बीस साल पहले की जब ज...
Zero to Billionaire – भाग 2: सपनों की उड़ान और पहला स्टार्टअप आरव का बचपन कठिन थ...
23 साल बाद..आज अपने ही शहर में फिर एक बार दोनों का सामना हो गया।देखते ही देव बोल...
अरे बेटा, तू आ गई?हां मां, देखिए मैं क्या लाईं हूं आपके लिए, नंदिनी ने धीरे से क...
क्या वह संजना को भी उसी नफरत की आग में झोंक सकता है?वह पलटा और फिर से खिड़की की...
भाग 5 – इंसाफ की जंग (बहुत विस्तार से)अस्पताल में अनाया और अभय की हालत नाज़ुक थी...
जीवोपनिषद भाग 3 — प्रस्तावना भाग 1 ने पहले प्रश्न उठाए। भाग 2 ने उन प्रश्नों को...
गन फ्लावर शिप: खिला आसमां और खिला सूरज जिससे उसकी किरण वाइट मोटे काच के बने गन फ...
अधूरी दास्तानकॉलेज का आख़िरी साल हमेशा ही यादों से भरा होता है। हर गली, हर बेंच,...
अनुबंध : एपिसोड 12 – टूटन और तलाशरात गहरी थी।बारिश की हल्की-हल्की बूँ...
नेहरू की भूलों की सूची में ‘आजादी से पूर्व की भूलों’ के तहत अधिक भूलें दर्ज नहीं हैं, जबकि उनकी ‘आजादी के बाद की भूलों’ की सूची काफी लंबी है और ऐसा शायद इसलिए है; क्योंकि आजादी से...
माना जाता है कि दुनिया का लगभग 97 % इतिहास समय के साथ लुप्त होते गया है . इतिहास का लिखित विवरण करीब 6000 वर्ष पूर्व आरंभ हुआ था . इतिहास तो अनंत है फिर भी उसके पन्नों में कुछ छो...
जब चीफ जस्टिस की और से एक कॉन्फ्रेंस में यह कहा गया कि हमे और जेले बनाने कि जरूरत है, तब हमारे देश की महामहिम राष्ट्रपति महोदया द्वारा कहा गया कि आखिर हम कैसा समाज बनाना चाहते है?ह...
अजय रात के ग्यारह बजे अपनी मेज पर बैठा पढाई कर रहे था बाहर पूरी गली में सनाटा पसरा हुआ था तभी उसे खिड़की के पास से हल्की-सी फुसफुसाहाट सुनाई दी अजय अजय ...अजय डर के मारे खिड़की की...
बारिश की पहली बूँद और एक अधूरा नाम रचयिता: बाबुल हक़ अंसारी उस रोज़ बारिश कुछ अलग थी… ना ज़ोर से बरसी, ना आहिस्ता गिरी — बस जैसे किसी की यादों को छूने आई हो।...
एक आलिशान विला, सुबह के 8 बजे, विला के सभी नौकर अपने-अपने कामों में व्यस्त है। वही दूसरी तरफ सीढियों से एक 52 वर्ष के व्यक्ति फोर्मल सूट पहने हुए नीचे डाईनिंग एर...
अहमदाबाद की चहल-पहल भरी ज़िंदगी से दूर, एक शांत कोने में बसी थी एक पुरानी, टूटी-फूटी हवेली — जिसके हर कोने में सन्नाटा बोलता था, और हर दीवार पर वक्त की धूल जमी थी। इसी हवेली को नया...
आज काव्या का पहला इंटरव्यू था । जिंदगी के पहले सपने की दस्तक । “काव्या, चलो,” उसके चचेरे भाई ने पुकारा। वह उसी स्कूल में शिक्षक था। उसके पीछे-पीछे, बिना कुछ बोले, काव्या उस अजन...
मन की प्रकृति और उसकी उलझनें इंसान का मन शायद सबसे रहस्यमयी चीज़ों में से एक है। यह कल्पना करता है, डरता है, सोचता है, सवाल करता है और कई बार ख़ुद ही अपने जाल में फँस जाता है। म...
ये उपन्यास एक धांसू किरदार की सत्य कहानी पे लिखना उतना ही कठिन हैं जितना बम्बे की हीरो मोपड कपनी से निकलना कठिन होता हैं, यातायात ही इतना की पूछो मत। ये किरदार फिल्मो तक का सफर कैस...
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