गर्मियों की सुस्त दुपहर में एक नौजवान लड़का जो सुपौल के सुनसान गलियारों से होता हुआ एक मदरसे कि तरफ जा रहा था। वह तकरीबन पच्चीस से छब्बीस साल होगा.. वहाँ पहुंचने के बाद उसने मदरसे के दरवाजे पर जैसे ही नॉक किया तो गार्ड ने दरवाज़ा खोलते ही पूछा— “हां! जी, क्या काम है?” “अस्सलामो अल्यकुम” “वालेकुमअस्सलाम जी बताईए आपको किस से मिलना है?” “जी, मुझे आमिल नौमान साहब से मिलना है।” “वैसे आपका नाम?"
SIHR - 1
गर्मियों की सुस्त दुपहर में एक नौजवान लड़का जो सुपौल के सुनसान गलियारों से होता हुआ एक मदरसे कि जा रहा था। वह तकरीबन पच्चीस से छब्बीस साल होगा.. वहाँ पहुंचने के बाद उसने मदरसे के दरवाजे पर जैसे ही नॉक किया तो गार्ड ने दरवाज़ा खोलते ही पूछा—“हां! जी, क्या काम है?”“अस्सलामो अल्यकुम”“वालेकुमअस्सलाम जी बताईए आपको किस से मिलना है?”“जी, मुझे आमिल नौमान साहब से मिलना है।”“वैसे आपका नाम? “फरहान, मैं दरभंगा जिले से आया हूँ।”“ठीक है.. आप अंदर तशरीफ़ लाएं..”“शुक्रिया!”तभी गार्ड ने कहा—“आप मेरे साथ आएं..”वो लोग अभी वहाँ पहुँचे ही थे के तभी सामने वाले कमरे से ...Read More