रहे तेरी दुआ मुझ पर

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ये कहानी एक काल्पनिक है इसमे डरामा , मैजिक और लव स्टोरी का मिश्रण है ये लेखक की कल्पना के आधार पर रची गई रचना है इसका वास्तविकता से कोई सम्बन्ध नही है लेखक-MASHAALLHA.

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रहे तेरी दुआ मुझ पर - पहला हिस्सा

ये कहानी एक काल्पनिक कहानी है इस कहानी का वास्तविकता से कोई सम्बन्ध नही है ये कहानी केवल मनोरंजन लिए है इसमे बताये गये सभी किरदार काल्पनिक है . . . . लेखक -MASHAALLHA ये इस कहानी का पहला हिस्सा ( पहला भाग ) है इसके अगले हिस्से (भाग ) धीरे धीरे आयेंगे . मै अभी सीढियो पर बैठा था एक आवाज मुझे मेरा नाम लेकर मुझे अपनी ओर बुलाये जा रही थीशा हि द शा हि द शाहिद मेरे बेटे इधर आओ मै कब से तुम्हारा इन्तेजार कर रही हूं इधर आओ .मै उस आवाज का पिछा करते हुए सीढ़ियो से नीचे उतर कर उस आवाज की ओर जाने लगा मै घबरा रहा था और डर भी बहुत लग ...Read More

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रहे तेरी दुआ मुझ पर - दूसरा हिस्सा

जब मै उठा तो सुबह के ग्यारह बज रहे थे रुकसार कमरे मे नही थी फिर मै बाथरूम गया होकर नाहा धोकर नीचे गया हमारा घर दो मंजिला था फर्स्ट फ्लोर पर दो कमरे थेएक कमारा खाली पड़ा था और दूसरे पर हम दोनो रहते थे और छत पर एक छोटा सा गार्डन भी था जो वही बालकनी पर था , गराउन्ड फ्लोर पर चार कमरे थे एक मे अम्मा दूसरे मे अब्बू और दो गेस्ट के लिए थे .मै नीचे आया तो वहा अम्मा सोफे पर बैठ कर दस्बीह पड़ रही थी अब्बू के कमरे का दरवाजा खुला ...Read More

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रहे तेरी दुआ मुझ पर - तीसरा हिस्सा

मगर मै बस उन्हे रोता हुआ देख रहा था मुझमे हिम्मत नही थी उनसे बात करने की मुझे घूटन महसूस हो रही थी फिर मैने अपने आप को किसी तरह सम्भाला और मै वहा से उपर छत पर आ गया उस छोटे से गर्डन मे रखी कुर्सी पर आ कर बैठ गया मेरे पीछे पीछे रुक्सार भी ऊपर आ गई .मै दोनो हाथो को सर पर रख दोनो कोहनियो अपने पैरो पर रख बैठा था रुकसार मेरी बगल मे रखी दूसरी कुर्सी पर बैठ गई सर्दियो शुरू हो रही थी और धूप हल्की हल्की निकल रही थी .मै बस ...Read More