देवकी की व्यथा

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यह रचना पूर्णरूपेण काल्पनिक हैं। पात्र के नाम , स्थान , रूप-रंग आदि पुराणों में किए गए वर्णन के आधार पर लिखें गए हैं। रचना में लिखें गए प्रसंगों को तथ्यात्मक न समझा जाए। किसी भी कृष्णभक्त को मेरी कल्पना से कोई ठेस पहुंचती है तो मैं हृदय तल की गहराई से क्षमाप्रार्थी हूँ। रचना मेरे मन के भाव है , श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम है। सभी से निवेदन है कि आप इस रचना का रसास्वादन भक्ति भाव से करें। किसी भी प्रकार की त्रुटि होने पर आप मुझें अवगत करवाये। मैं तुरन्त सुधार करूँगी।

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देवकी की व्यथा - प्रस्तावना

नमस्कार प्रिय लेखकों पाठकों ,यह रचना पूर्णरूपेण काल्पनिक हैं। पात्र के नाम , स्थान , रूप-रंग आदि पुराणों में गए वर्णन के आधार पर लिखें गए हैं। रचना में लिखें गए प्रसंगों को तथ्यात्मक न समझा जाए। किसी भी कृष्णभक्त को मेरी कल्पना से कोई ठेस पहुंचती है तो मैं हृदय तल की गहराई से क्षमाप्रार्थी हूँ। रचना मेरे मन के भाव है , श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम है। सभी से निवेदन है कि आप इस रचना का रसास्वादन भक्ति भाव से करें। किसी भी प्रकार की त्रुटि होने पर आप मुझें अवगत करवाये। मैं तुरन्त सुधार करूँगी।यह रचना मेरे ...Read More

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देवकी की व्यथा - भाग 1

दोपहर का समय था। सूर्य देवता का रथ अभी गगन में अधिक ऊपर नहीं चढ़ा था ; लेक़िन पावन द्वारका नगरी के मार्ग पर एक रथ तेज़ी से आगें बढ़ता जा रहा था। रथ में उस नगरी के रचयिता द्वारकाधीश की माता देवकी सवार थीं। उनका मन विचलित था। रथ के पहिए की तरह ही विचार उनके मन में घूम रहें थें। योगेश्वर कृष्ण की माता का मन विचलित है ,यदि यह कोई जान लेता तो निश्चय ही अजरज में पड़ जाता। देवकी जो कि द्वारका नगरी की महारानी हैं ,सब उनका सम्मान करते हैं। उन्हें अब किसी प्रकार ...Read More

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देवकी की व्यथा - भाग 2

माता देवकी होले-होले से महल के मुख्य द्वार की ओर बढ़ने लगीं। द्वार के नजदीक पहुँचते ही द्वारपालों ने अभिवादन करतें हुए कहा - " प्रणाम ! महारानी..."माता देवकी ने उन्हें स्नेहसिक्त नज़रों से देखा और आशीर्वाद की मुद्रा में हाथ उठाकर उनका अभिवादन स्वीकार किया। जैसे ही माता देवकी ने मुख्य द्वार के अंदर प्रवेश किया। वहाँ पर उपस्थित अतिथि सत्कार के लिए नियुक्त किए गए दास व दासियों ने माता देवकी पर पुष्प बरसाए फ़िर झुककर सभी ने सादर प्रणाम किया।माता देवकी के आगमन की सूचना दासी द्वारा श्रीकृष्ण तक पहुंचा दी गई थीं। कृष्ण सभा के ...Read More