अधूरी मोहब्बत का इलज़ाम

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चैप्टर 1 – मुलाक़ात की वो पहली नज़र कॉलेज का पहला दिन था। हल्की-हल्की बारिश की बूँदें खिड़की से टकरा रही थीं। कैंपस में नए छात्रों की भीड़ लगी थी—कहीं कोई हँस रहा था, तो कहीं कोई घबराया हुआ खड़ा था। अरुण, अपनी किताबों को सीने से लगाए, धीरे-धीरे लाइब्रेरी की ओर बढ़ा। उसकी दुनिया बड़ी साधारण थी—कविताओं की कुछ कॉपियाँ, एक पुराना बैग, और आँखों में सपनों की चमक |

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अधूरी मोहब्बत का इलज़ाम - 1-2

चैप्टर 1 – मुलाक़ात की वो पहली नज़रकॉलेज का पहला दिन था। हल्की-हल्की बारिश की बूँदें खिड़की से टकरा थीं।कैंपस में नए छात्रों की भीड़ लगी थी—कहीं कोई हँस रहा था, तो कहीं कोई घबराया हुआ खड़ा था।अरुण, अपनी किताबों को सीने से लगाए, धीरे-धीरे लाइब्रेरी की ओर बढ़ा।उसकी दुनिया बड़ी साधारण थी—कविताओं की कुछ कॉपियाँ, एक पुराना बैग, और आँखों में सपनों की चमक।लाइब्रेरी में कदम रखते ही उसकी नज़र उस पर पड़ी।वो लड़की सफेद सलवार-कमीज़ में बैठी थी, बाल हल्के गीले, और आँखों में गहराई ऐसी कि जैसे कोई समंदर।वो किताब पढ़ रही थी, पर उसके होंठों ...Read More

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अधूरी मोहब्बत का इलज़ाम - 3-4

चैप्टर 3 – भाई की परछाईकॉलेज का माहौल अब अरुण और रिया के लिए बदल चुका था।हर दिन मिलने बहाना, हर छोटी बात में मुस्कुराना, और हर शाम एक-दूसरे की यादों में खो जाना… ये सब उनकी ज़िंदगी का हिस्सा बन चुका था।लेकिन प्यार जितना मीठा था, उतना ही डरावना साया उसके पीछे खड़ा था—रिया का भाई, विक्रम।---पहली टकराहटएक शाम, जब अरुण और रिया कैंपस के बाहर सड़क किनारे चाय पी रहे थे, तभी एक काली SUV वहाँ आकर रुकी।दरवाज़ा खुला और विक्रम उतरा। चौड़ी छाती, भारी आवाज़, और आँखों में खौफ़नाक चमक।उसने बिना कुछ कहे रिया को घूरा, ...Read More

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अधूरी मोहब्बत का इलज़ाम - 5-6-7

चैप्टर 5 – जुर्म की गंधरात का अँधेरा गहराता जा रहा था।बारिश थम चुकी थी, लेकिन शहर की सड़कों अब भी नमी और सन्नाटा पसरा हुआ था।उस रात बिज़नेसमैन संजय मेहरा की चीख़ पूरे मोहल्ले ने सुनी।लोग भागकर उसके बंगले के बाहर पहुँचे।दरवाज़ा खुला और अंदर का मंजर किसी डरावने सपने जैसा था—फर्श पर खून की लकीरें, और संजय मेहरा की लाश, उसके सीने में चाकू धंसा हुआ।पुलिस पहुँची। जाँच शुरू हुई।लेकिन हैरानी की बात ये थी कि कत्ल की रात किसी ने अरुण को उसी इलाके में घूमते हुए देखा था।किसी ने कहा—“हाँ, मैंने उसे गली के मोड़ ...Read More

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अधूरी मोहब्बत का इलज़ाम - 8

अरुण जेल की अँधेरी कोठरी में बैठा था।उसके हाथ में जंग लगे हथकड़ी के निशान थे, और आँखों में दर्द, जो सिर्फ़ बेगुनाही झेलने वाले इंसान की आँखों में दिखता है।वो दीवार से सिर टिकाकर सोच रहा था—“क्या सच में मोहब्बत पाप है? रिया को चाहने की इतनी बड़ी सज़ा मिलेगी मुझे?”हर रात उसकी आँखों में रिया की मुस्कान कौंधती, और फिर उसी के साथ उसके पिता संजय मेहरा की लाश का खून-भीगा चेहरा भी।अरुण ने कभी सोचा भी नहीं था कि एक दिन उसे क़ातिल बनाकर पेश किया जाएगा।जेलर शर्मा की शक़ की निगाहजेल का जेलर, शर्मा, कड़ा ...Read More