यमराज का न्याय

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चित्रदास और विचित्रदास, दो ऐसे दोस्त थे जिनके स्वभाव एक-दूसरे से बिल्कुल उलट थे, जैसे दिन और रात। गंगा के किनारे बसे एक छोटे से गाँव में ये दोनों साथ बड़े हुए। बचपन में उनकी दोस्ती की मिसाल दी जाती थी, पर जैसे-जैसे वे बड़े हुए, उनके रास्ते अलग हो गए। चित्रदास एक अच्छा इंसान था, उसका दिल सोने सा था। वह गाँव में सबका चहेता था। कोई भूखा हो, तो चित्रदास अपनी रोटी उसे दे देता। गाँव की बूढी औरतों के लिए वह बेटे की तरह था, और बच्चों के लिए दोस्त जैसा। लोग कहते, “चित्रदास जैसा इंसान विरला ही पैदा होता है।” पर चित्रदास का एक रंग और था, वह भगवान में विश्वास नहीं करता था। मंदिर की घंटियाँ उसे शोर लगती थीं, और पूजा-पाठ उसे समय की बर्बादी।

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यमराज का न्याय - 1

चित्रदास और विचित्रदास, दो ऐसे दोस्त थे जिनके स्वभाव एक-दूसरे से बिल्कुल उलट थे, जैसे दिन और रात।गंगा के बसे एक छोटे से गाँव में ये दोनों साथ बड़े हुए। बचपन में उनकी दोस्ती की मिसाल दी जाती थी, पर जैसे-जैसे वे बड़े हुए, उनके रास्ते अलग हो गए।चित्रदास एक अच्छा इंसान था, उसका दिल सोने सा था। वह गाँव में सबका चहेता था। कोई भूखा हो, तो चित्रदास अपनी रोटी उसे दे देता। गाँव की बूढी औरतों के लिए वह बेटे की तरह था, और बच्चों के लिए दोस्त जैसा।लोग कहते, “चित्रदास जैसा इंसान विरला ही पैदा होता ...Read More

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यमराज का न्याय - 2

उधर, विचित्रदास स्वर्ग पहुँच गया। स्वर्ग का दृश्य बड़ा ही खूबसूरत था। वहाँ फूलों की महक हवा में तैर थी। हर तरफ सुंदर अप्सराएँ थीं, जो विचित्रदास की सेवा में लगी थीं। एक अप्सरा ने उसे अमृत का प्याला दिया, और दूसरी ने उसे स्वादिष्ट फल। वहाँ विश्राम के लिए सुन्दर सिंहासन थे विचित्रदास एक स्वर्ण सिंहासन पर बैठा था, अप्सराएँ वाद्ययंत्र बजा रही थीं। विचित्रदास स्वर्ग के आनंद में मदहोश था।नरक में, चित्रदास को अगले दिन सजा मिलनी थी। उसे उबलते तेल के कड़ाह में डाला जाना था। रात को, जब सजा का समय खत्म हुआ, तो सभी ...Read More