बूंदों में छुपा प्यार

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कभी-कभी एक अनजानी सी टक्कर, एक किताब की गिरी हुई आवाज… और एक नम मौसम, हमारी ज़िंदगी का रुख बदल देता है। अध्याय 1: बुकस्टोर के कोने में दिल्ली की गलियाँ उस दिन गीली थीं... लेकिन उसकी आँखों के कोने में कुछ सूखा हुआ पड़ा था। जान्हवी उन गिनी-चुनी लड़कियों में थी जो बारिश को सिर्फ भीगने के लिए नहीं, महसूस करने के लिए पसंद करती थीं। उसके लिए हर बूँद एक कविता थी — अधूरी, लेकिन दिल से लिखी हुई।

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बूंदों में छुपा प्यार - 1

---️ एपिसोड 1: पहली बूँद> कभी-कभी एक अनजानी सी टक्कर, एक किताब की गिरी हुई आवाज… और एक नम हमारी ज़िंदगी का रुख बदल देता है।अध्याय 1: बुकस्टोर के कोने मेंदिल्ली की गलियाँ उस दिन गीली थीं... लेकिन उसकी आँखों के कोने में कुछ सूखा हुआ पड़ा था।जान्हवी उन गिनी-चुनी लड़कियों में थी जो बारिश को सिर्फ भीगने के लिए नहीं, महसूस करने के लिए पसंद करती थीं। उसके लिए हर बूँद एक कविता थी — अधूरी, लेकिन दिल से लिखी हुई।वो लाजपत नगर के एक पुराने बुकस्टोर में दाखिल हुई, जिसे 'Sagar Books & Co.' कहा जाता था।ये ...Read More

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बूंदों में छुपा प्यार - 2

️ Scene 1: वही पुरानी सड़क, नई उम्मीदबारिश फिर से उसी शाम को आई थी। जान्हवी ने सोचा, क्या फिर मिलेगा?वो उसी बुकस्टोर के सामने खड़ी थी, जहाँ पहली बार विराज से टकराई थी।तभी एक आवाज़ आई —> “इस बार तुमने किताब नहीं गिराई… लेकिन मेरा दिल फिर से गिर गया।”जान्हवी मुस्कराई। विराज वही था — कैमरा लटकाए, आँखों में वही चमक।--- Scene 2: कॉफी की गर्मी और दिल की ठंडकदोनों पास की एक छोटी सी कैफ़े में बैठते हैं।जान्हवी कहती है, “तुम बारिश में तस्वीरें क्यों लेते हो?”विराज जवाब देता है:> “क्योंकि बारिश में लोग सच्चे हो जाते ...Read More