रात के 12 बज चुके थे, एक टेबल लैंप जल रहा था और रिया अभी भी पढ़ाई में व्यस्त थी; क्योंकि कल से उसके बीकॉम के फाइनल ईयर के एग्जाम्स शुरू होने वाले थे, रिया की मां सुनीता और छोटा भाई आयुष किसी रिश्तेदारों के फैमिली फंक्शन पर गए हुए थे, वह कल सुबह ही आने वाले थे, अब रिया को भी नींद आने आने लगी थी, प्रिया ने फोन उठाया और अपने भाई आयुष को मैसेज किया, रिया अपने बेड पर सोने जाने ही वाली थी, तभी घर का दरवाजा खटखटाया, रिया रुकी, और सोचा ’इतनी रात को कौन आ सकता है’? उसने धीरे से दरवाजे की तरफ अपने कदम बढ़ाए,जैसे ही उसने दरवाजा खोला, बाहर कोई नहीं था,रिया ने मन ही मन फुसफुसाया ’अजीब बात है, बाहर तो कोई नहीं है! शायद मेरा वहम होगा’। रिया ने दरवाजा बंद किया और फिर से अपने बेड की तरफ जाने लगी, तभी फिर से दरवाजा खटखटाने की आवाज आयी, रिया इस बार सहम गई, उसकी धड़कने तेज हो गई,रिया ने आवाज लगाई "कौन है?"
ब्रम्हदैत्य - 1
🫸 ब्रम्हदैत्य 🫷 रात के 12 बज चुके थे, एक टेबल लैंप जल रहा था रिया अभी भी पढ़ाई में व्यस्त थी क्योंकि कल से उसके बीकॉम के फाइनल ईयर के एग्जाम्स शुरू होने वाले थे, रिया की मां सुनीता और छोटा भाई आयुष किसी रिश्तेदारों के फैमिली फंक्शन पर गए हुए थे, वह कल सुबह ही आने वाले थे, अब रिया को भी नींद आने आने लगी थी, प्रिया ने फोन उठाया और अपने भाई आयुष को मैसेज किया, रिया अपने बेड पर सोने जाने ही वाली थी, तभी घर का दरवाजा खटखटाया, रिया ...Read More
ब्रम्हदैत्य - 2
भाग 2 _ राज के पर्देरिया की आंख खुली। उसने खुद को एक अस्पताल के बिस्तर पर पाया। उसकी सुनीता, उसका हाथ थामे पास बैठी थी।रिया को धीरे-धीरे पिछली रात की डरावनी घटनाएं याद आने लगीं।सुनीता ने उसकी आंखों में झांकते हुए पूछा, “बेटा, तुम हमें अलमारी में बेहोश मिली थीं। क्या हुआ था तुम्हारे साथ?”इतना सुनते ही रिया कांप उठी। उसकी आवाज जैसे गले में ही अटक गई।मां ने आगे कहा, “अच्छा हुआ मैं और आयुष सुबह जल्दी घर आ गए थे, नहीं तो राम जाने क्या हो जाता!”रिया सोचने लगी – अगर मैं इन्हें सच्चाई बता दूं ...Read More
ब्रम्हदैत्य - 3
भाग 3_ मूल्य-अमूल्यसुबह की हल्की धूप फैल रही थी।रिया, अपनी मां और छोटे भाई आयुष के साथ, राहुल को कहकर घर की ओर बढ़ रही थी।उनके कदम थक चुके थे लेकिन मन थोड़ा हल्का लग रहा था – जैसे किसी बोझ से छुटकारा मिला हो।घर अब कुछ ही दूरी पर था।रिया की मां, सुनीता, चलते-चलते अचानक ठिठक गईं।उनकी नज़र अपने घर पर पड़ी —मुख्य दरवाज़ा... पूरी तरह खुला हुआ था।"रिया," सुनीता की आवाज़ में घबराहट थी,"तूने घर लॉक तो किया था न?"रिया थोड़ी सकपका गई, उसकी आंखें दरवाज़े की ओर टिक गईं।"हां मॉम, मैंने ठीक से लॉक किया था," ...Read More
ब्रम्हदैत्य - 4
️ भाग 4 – गांव की राहें चांडालेश्वर बाबा की कुटियाऑटो सड़कों को पीछे छोड़ता जा रहा था।रिया की सुनीता, अपने बेटे आयुष के साथ चुपचाप बैठी थीं।उनका चेहरा कुछ कह नहीं रहा था — लेकिन उनकी आंखें बहुत कुछ छुपा रही थीं।रिया बार-बार माँ की तरफ देखती, फिर बाहर झांकती।“मॉम... हम कहां जा रहे हैं?”कोई जवाब नहीं।शहर की सीमा पार होते ही रास्ता वीरान होने लगा।सड़क अब एक जंगल के रास्ते में बदल गई थी।चारों ओर घने पेड़, पक्षियों की हल्की आवाजें, और बीच-बीच में झाड़ियों की सरसराहट।तभी सुनीता ने एक ओर इशारा किया —“भैया, बस यहीं रोक ...Read More
ब्रम्हदैत्य - 5
भाग 5– हमलाशाम के लगभग पाँच बज चुके थे। आसमान पर सूरज ढलने लगा था और हलकी नारंगी रोशनी पर बिखर गई थी। रिया, उसकी माँ सुनीता, भाई आयुष और राहुल अब कार में बैठ चुके थे। रामपुर गाँव दिल्ली से क़रीब 100 किलोमीटर दूर था। समय कम था, और रात होने से पहले उन्हें वहाँ पहुँचना ज़रूरी था।राहुल कार ड्राइव कर रहा था। वह ज़्यादा बातूनी नहीं था, मगर चुप रहना भी उसे पसंद नहीं था। कुछ देर की चुप्पी के बाद उसने एक नज़र रिया की तरफ डाली और पूछा, “रिया, अब तक तुमने बताया ही नहीं ...Read More
ब्रम्हदैत्य - 6
---भाग 6 – बदलते हालातशाम के छह बज चुके थे।सूरज धीरे-धीरे अस्ताचल की ओर बढ़ रहा था, उसकी नारंगी आसमान पर एक उदासी का रंग बिखेर रही थीं। राहुल ड्राइविंग सीट पर बैठा, एक हाथ स्टेयरिंग पर और दूसरा विंडो के बाहर लटकाए, मस्त चाल से गाड़ी चला रहा था। कार की हल्की रफ्तार और शांत माहौल में सबकुछ सामान्य लग रहा था — कम से कम ऊपर से।मगर पीछे की सीट पर बैठी सुनीता, एकदम चुपचाप थी। उसकी आँखें बाहर के दृश्य पर थीं, मगर मन कहीं और। उसके माथे पर सिलवटें थीं, और होंठ बार-बार भींचे जा ...Read More
ब्रम्हदैत्य - 7
भाग 7: भयानक हमलारात के ठीक आठ बज रहे थे। आसमान पर काले बादल छाए हुए थे, और दूर-दूर सुनसान सन्नाटा पसरा हुआ था। सड़क सुनसान थी और चारों ओर हल्की-हल्की ठंडी हवा चल रही थी। कभी-कभी कोई पेड़ की शाख हिलती, तो लगता कोई पीछे खड़ा हो। रिया कार में बैठे-बैठे बेचैनी से सामने की सड़क को घूर रही थी। उसका मन बार-बार घड़ी की ओर जा रहा था।"कब ये गाड़ी ठीक होगी और कब हम रामपुर पहुंचेंगे?" यही सोचते-सोचते रिया की नज़र — सुनीता की ओर गई, जो राहुल के साथ खड़ी होकर गाड़ी के इंजन का ...Read More
ब्रम्हदैत्य - 8
भाग 8: दरारगाँव पहुँचते ही कार के ब्रेक की तीखी आवाज़ गूंज उठी। इंजन की घर्र-घर्र और टायर्स के की गूँज ने सन्नाटे को चीर दिया। उस शांत और नींद में डूबे गाँव में जैसे किसी ने बम गिरा दिया हो। घरों के दरवाज़े एक-एक कर खुलने लगे, खिड़कियों से चेहरों ने झाँकना शुरू किया और कुछ ही पलों में दर्जनों लोग रास्ते पर जमा हो गए।रिया, जो अब तक खुद को जैसे मुश्किल से संभाले हुए थी, गाड़ी से उतरते ही राहुल पर बरस पड़ी। उसकी आँखों में गुस्से और दुख का सैलाब उमड़ रहा था।"तुमने अपनी जान ...Read More
ब्रम्हदैत्य - 9
भाग 9: पर्देसुनीता को वैद्य के पास लाया गया। राहुल पास ही खड़ा था। वैद्य ने जड़ी-बूटियाँ लीं और के जख्मों पर लगाने लगा। उधर ताऊजी रिया को हवेली ले गए।हवेली में पहला कदम रखते ही रिया की बचपन की यादें ताज़ा हो गईं—कैसे वह अपने पिताजी रोहित के साथ खेला करती थी, दादाजी यानी ताऊजी हर शाम उसे गाँव में घुमाने ले जाते थे, चॉकलेट्स दिलाते थे।वो जैसे ही अंदर आई, उसने देखा कि एक बूढ़ी औरत, उसकी ओर पीठ किए खड़ी है, और किसी चीज़ में मग्न है। जैसे ही उस औरत ने पलटकर देखा, रिया समझ ...Read More