भाग 7: भयानक हमला
रात के ठीक आठ बज रहे थे। आसमान पर काले बादल छाए हुए थे, और दूर-दूर तक सुनसान सन्नाटा पसरा हुआ था। सड़क सुनसान थी और चारों ओर हल्की-हल्की ठंडी हवा चल रही थी। कभी-कभी कोई पेड़ की शाख हिलती, तो लगता कोई पीछे खड़ा हो। रिया कार में बैठे-बैठे बेचैनी से सामने की सड़क को घूर रही थी। उसका मन बार-बार घड़ी की ओर जा रहा था।
"कब ये गाड़ी ठीक होगी और कब हम रामपुर पहुंचेंगे?" यही सोचते-सोचते रिया की नज़र — सुनीता की ओर गई, जो राहुल के साथ खड़ी होकर गाड़ी के इंजन का कुछ जायजा ले रही थीं। पास में आयुष भी था, जो बार-बार रिया की तरफ देख रहा था, शायद उसे भी डर लग रहा था।
अचानक, रिया की आंखें चौड़ी हो गईं। उसकी सांसें तेज हो गईं और वह कांपती आवाज़ में चीख पड़ी, "मॉम... पीछे देखो!"
सुनीता और राहुल दोनों ने चौंककर पीछे देखा। और जो उन्होंने देखा, उसने जैसे उनके शरीर से सारा खून खींच लिया हो। वही भयानक प्राणी — ब्रह्मदैत्य। 6-7 फुट लंबा, पूरे शरीर पर काले घने बाल, लाल-लाल जलती हुई आंखें, कांपती सांसें, भारी कदम, और चेहरे पर वो सड़ा हुआ हिस्सा जिसे देखकर किसी का भी दिल दहल जाए।
उसकी उपस्थिति ही जैसे हवा को भारी कर रही थी। वातावरण में एक अजीब सी घुटन थी। ब्रह्मदैत्य का वो डरा देने वाला दृश्य, जिसे देखकर ही शरीर पे कांटे उभरे।
वह लगभग पचास फीट की दूरी पर था, लेकिन उसके कदम धीरे-धीरे उनकी ओर बढ़ रहे थे। ज़मीन पर उसके भारी कदमों की गूंज दिल की धड़कनों को भी थमा रही थी। रिया और आयुष कार के अंदर से चिल्लाने लगे, "मम्मी! राहुल भैया जल्दी आओ! गाड़ी में बैठो!!"
पर सुनीता जैसे एकदम स्तब्ध हो गई थीं। उनके हाथ कांप रहे थे, चेहरा सफेद पड़ चुका था। उनकी आंखें जैसे किसी पुराने डर में फंस गई थीं। वह न आगे बढ़ पा रही थीं न पीछे हट पा रही थीं।
राहुल ने झटपट सुनीता का हाथ पकड़ा और झकझोरते हुए कहा, "आंटी, चलिए! गाड़ी में बैठिए! वो आ रहा है! जल्दी!"
मगर सुनीता की आंखें जैसे शून्य में अटकी हुई थीं। उनका शरीर जैसे किसी और समय में लौट गया था — जैसे उन्हें उस प्राणी से पहले भी कभी सामना करना पड़ा हो।
तभी आयुष हिम्मत करके गाड़ी से बाहर निकला, दौड़ता हुआ मां के पास गया और उनके दोनों हाथ पकड़कर चिल्लाया, "मम्मी! चलो ना! गाड़ी में बैठो!"
सुनीता की चेतना जैसे लौटी। राहुल ने फुर्ती से बोनट बंद किया और तीनों लोग हड़बड़ाकर कार में घुसे। राहुल ने तुरंत गाड़ी स्टार्ट की — पर... ब्रह्मदैत्य अब ठीक सामने था।
राहुल ने एक्सीलेरेटर दबाया — गाड़ी उसकी तरफ बढ़ी —
पर जैसे ही कार उससे टकराने वाली थी, कुछ अदृश्य ताकत ने गाड़ी को रोक लिया।
गाड़ी जैसे किसी अदृश्य दीवार से टकरा गई हो!
ब्रह्मदैत्य की आंखों से खून की धार बहने लगी। उसका चेहरा एक बदले की आग में जल रहा था।
उसने दहाड़ मारी —
एक ऐसी दहाड़ जिससे गाड़ी के कांच फट गए।
सभी ने अपने कान बंद कर लिए।
गाड़ी के अंदर जैसे भूकंप आ गया हो।
अचानक वह गाड़ी की तरफ लपका। उसका हाथ आयुष की तरफ बढ़ा और जैसे ही उसने आयुष की कलाई छुई —
एक ज़ोरदार झटका!
वो दैत्य चीखता हुआ पीछे गिर पड़ा।
सुनीता ने तुरंत समझा, "बच्चों! घबराओ मत! यह बाबा चांडालेश्वर का सुरक्षा धागा है! जब तक ये हमारे हाथों में है, वो हमे छू नहीं सकता!"
रिया ने तुरंत राहुल की ओर देखा, "राहुल! गाड़ी भगाओ, जल्दी!"
राहुल ने एक्सीलेरेटर को ज़ोर से दबाया और गाड़ी 80 की स्पीड से उड़ने लगी।
पर ब्रह्मदैत्य ने भी पीछा करना शुरू किया।
उसकी गति असामान्य थी।
गाड़ी की स्पीड भी उसे पीछे नहीं छोड़ पा रही थी।
वो ज़मीन पर ऐसे दौड़ रहा था जैसे हवा में उड़ रहा हो।
उसकी आंखें रिया पर टिकी थीं — और उसकी सांसें इतनी गर्म लग रही थीं जैसे कार के शीशे पिघलने वाले हों।
सुनीता की आंखों से आंसू बहने लगे, उनके होंठों से
"ॐ नमः शिवाय... राम राम राम..." की माला टूटे जा रही थी।
रिया ने घबरा कर कहा, "वो बहुत नजदीक है!"
राहुल सड़क पर तीखे मोड़ लेने लगा — कभी बाएं, कभी दाएं —
पर अचानक ब्रह्मदैत्य गाड़ी के बहुत पास आ गया और जोर से एक धक्का मारा।
धड़ाम!!!
गाड़ी बेकाबू हो गई और पास के एक पेड़ से जा टकराई।
एक पल को सब कुछ शांत हो गया।
धूल का गुबार फैला...
फिर धीरे-धीरे आवाज़ें वापस आने लगीं।
राहुल को होश आया, उसका माथा लहूलुहान था।
उसने पीछे मुड़कर देखा —
रिया के माथे से खून बह रहा था और सुनीता बेहोश थीं।
आयुष मां को हिला रहा था, "मम्मी! उठो ना! प्लीज़ मम्मी!"
तभी ज़मीन पर भारी-भारी कदमों की आवाज़ फिर से सुनाई दी।
"धम... धम... धम..."
आयुष ने मुड़कर देखा — ब्रह्मदैत्य फिर सामने खड़ा था।
राहुल ने तुरंत गाड़ी स्टार्ट करने की कोशिश की, पर उसी पल ब्रह्मदैत्य ने आयुष का कॉलर पकड़ा और उसे गाड़ी से बाहर खींच लिया।
"आयुष!!"
रिया चीख पड़ी।
ब्रम्हदैत्य ने अपना दूसरा हाथ रिया की ओर बढ़ाया,
लेकिन तभी राहुल ने क्लच मारा और गाड़ी को पूरी ताकत से आगे बढ़ा दिया।
गाड़ी धचाक से चली — रिया रो रही थी, "गाड़ी रोको! मेरा भाई! राहुल, गाड़ी रोको!"
राहुल ने कांपती आवाज़ में कहा, "नहीं रिया! अगर हम रुके, हम सब मर जाएंगे!"
रिया चीखी, "तुम्हें अपनी जान की पड़ी है, मगर मेरा भाई भी है! हम उसे छोड़ नहीं सकते!"
राहुल की आंखों में आंसू थे — मगर वह जानता था कि रुकना मतलब मौत है।
उधर ब्रह्मदैत्य आयुष को कंधे पर लटकाए गाड़ी की ओर दौड़ने लगा।
गाड़ी और तेज भागी — तभी एक बोर्ड सामने आया —
> "रामपुर में आपका स्वागत है"
जैसे ही गाड़ी ने बोर्ड पार किया, ब्रह्मदैत्य एकदम से रुक गया।
वह गाड़ी को जाता देखता रहा — उसकी आंखों से खून की धार अब आंसुओं में बदल गई थी।
एक अजीब पीड़ा उसकी चीख में थी।
वो वापस अंधेरे की ओर लौटने लगा...
*****जारी______