जो कहा नहीं गया

(1)
  • 90
  • 0
  • 510

(एक प्रेम, जो राज्य का नहीं… आत्मा का था) विरक्त राजकुमार राजकुमार विष्णु का जन्म राजघराने में हुआ था, लेकिन मन उसका वन और वेदांत में बसता था। बचपन से ही उसके भीतर एक अलग चंचलता थी – ना तख़्त की लालसा, ना युद्ध की अभिलाषा। पिता ने उसे 15वें वर्ष में ही विद्या व धर्म के लिए आश्रम भेज दिया — जहाँ ऋषियों के बीच जीवन अनुशासन, संयम और सेवा में बीतता। वहीं एक दिन वो उसे मिली। वो कन्या… राध्या आश्रम की रसोई में एक कन्या सेवा करती थी — राध्या। ना वह राजकन्या थी, ना कोई युद्ध नायिका, लेकिन उसकी आंखों में ऐसी शांति थी कि अग्नि भी ठंडी हो जाए।

1

जो कहा नहीं गया - 1

जो कहा नहीं गया (एक प्रेम, जो राज्य का नहीं… आत्मा का था) विरक्त राजकुमार राजकुमार विष्णु का जन्म में हुआ था, लेकिन मन उसका वन और वेदांत में बसता था। बचपन से ही उसके भीतर एक अलग चंचलता थी – ना तख़्त की लालसा, ना युद्ध की अभिलाषा। पिता ने उसे 15वें वर्ष में ही विद्या व धर्म के लिए आश्रम भेज दिया — जहाँ ऋषियों के बीच जीवन अनुशासन, संयम और सेवा में बीतता। वहीं एक दिन वो उसे मिली। वो कन्या… राध्या आश्रम की रसोई में एक कन्या सेवा करती थी — राध्या। ना वह कहानी अभी खत्म नहीं है दोस्तों यह कहानी का पहला भाग है अगर आपको कहानी अच्छी लगी हो ओर आप दूसरे भाग को भी पढ़ना चाहते है तो अपनी प्रतिक्रिया जरूर दें धन्यवाद ...Read More

2

जो कहा नहीं गया - 2

जो कहा नहीं गया – भाग 2(एक मौन… जो छाया बनकर चलता रहा)सन्नाटे में गूंजता नामसमय की रेत बहुत बहा ले गई थी।अब राजा विष्णु का तेज़ शांत पड़ चुका था, शरीर वृद्ध हो गया था, लेकिन मन की लौ अब भी धधक रही थीकिसी एक स्मृति में, जो शब्दों से नहीं… मौन से जुड़ी थी।हर पूर्णिमा को, वे एक थाली सजाते — उसमें चंपा के फूल, एक दीपक, और एक पुरानी चिट्ठी रखते।चिट्ठी अब पीली पड़ चुकी थी, किनारे घिस चुके थे…लेकिन हर बार जब वे उसे पढ़ते, ऐसा लगता मानो पहली बार पढ़ रहे हों।वो चिट्ठी राध्या ...Read More