उस पार भी तू

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कुछ प्रेम कहानियाँ अधूरी रह जाती हैं... और कुछ अधूरी होकर भी अमर हो जाती हैं। यह कहानी भी उन्हीं में से एक है। ‘प्रकाश और राधिका’— दो नाम नहीं, दो आत्माएँ थीं जो एक-दूसरे की सांसों में समाई हुई थीं। उनका प्रेम कोई समझौता नहीं था, कोई समझदारी नहीं थी, वो तो बस आत्मा की आवाज़ थी— जो ना रिश्तों की परिभाषा मांगती थी, ना समाज की अनुमति। इस कहानी में ना ही हीरो कोई योद्धा है, और ना ही हीरोइन कोई परी। ये कहानी बहुत साधारण लोगों की है— लेकिन उनकी भावनाएँ इतनी असाधारण थीं, कि उन्होंने प्रेम को पुनर्परिभाषित कर दिया। यह उपन्यास सिर्फ एक प्रेम कथा नहीं है, यह एक प्रण है— कि सच्चा प्रेम भले समय से हारा हो, लेकिन काल से नहीं। यह कहानी हर उस दिल की है, जिसने कभी अपने प्रेम को सिर्फ इसलिए खो दिया क्योंकि ज़माना उसके साथ नहीं था। शब्दों के इन पन्नों में आप प्रेम की वो गहराई पाएंगे, जो आपको रुलाएगी भी, हँसाएगी भी... और शायद आपसे कहेगी—

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उस पार भी तू - 1

प्रस्तावनाकुछ प्रेम कहानियाँ अधूरी रह जाती हैं... और कुछ अधूरी होकर भी अमर हो जाती हैं।यह कहानी भी उन्हीं से एक है।‘प्रकाश और राधिका’— दो नाम नहीं, दो आत्माएँ थीं जो एक-दूसरे की सांसों में समाई हुई थीं।उनका प्रेम कोई समझौता नहीं था, कोई समझदारी नहीं थी,वो तो बस आत्मा की आवाज़ थी—जो ना रिश्तों की परिभाषा मांगती थी, ना समाज की अनुमति।इस कहानी में ना ही हीरो कोई योद्धा है, और ना ही हीरोइन कोई परी।ये कहानी बहुत साधारण लोगों की है—लेकिन उनकी भावनाएँ इतनी असाधारण थीं, कि उन्होंने प्रेम को पुनर्परिभाषित कर दिया।यह उपन्यास सिर्फ एक प्रेम ...Read More

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उस पार भी तू - 2

नायक प्रकाश का परिचयइस शहर की मिट्टी की खुशबू, यहाँ की गलियों की आवाज़ें, और यहाँ के लोगों की में जो सादगी है, वही बनारस की आत्मा है। और उसी आत्मा के बीच जन्मा है हमारा नायक, प्रकाश।गंगा नदी के किनारे की उस पुरानी और संकरी सीढ़ियों पर सूरज की पहली किरणें अपने सुनहरे जादू से गंगा के जल को चमका रही थीं। दूर-दूर तक फैली घाटों की चहल-पहल धीरे-धीरे जाग रही थी। मछुआरे अपनी नौकाओं को संभाल रहे थे, घाट पर बच्चे नहाने में मशगूल थे, और हर तरफ से सुबह की मीठी-मीठी हलचल आ रही थी।सीढ़ियाँ जिन ...Read More

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उस पार भी तू - 3

गंगा के किनारे चलते हुए, जब सूर्य की लालिमा पानी में बिखर रही होती थी, तो उस समय भी के मन में एक अनकही उदासी छुपी रहती थी। उसकी चाल में जो गंभीरता थी, वह सिर्फ बनारस की गलियों की वजह से नहीं, बल्कि एक बड़े दुःख की छाया भी थी।कुछ साल पहले, जब प्रकाश अभी किशोर था, उसके पिता का एक भयानक सड़क हादसा हुआ। उस दिन से घर में जैसे धूप की जगह साये छा गए। पिता की मुस्कान जो कभी घर की दीवारों को रोशन करती थी, अब सिर्फ यादों में बाकी रह गई।प्रकाश के पिता, ...Read More

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उस पार भी तू - 4

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय का सपनाबनारस हिंदू विश्वविद्यालय, तब भी उतना ही कठिन था जितना आज है।प्रकाश ने इंटरमीडिएट में श्रेणी से परीक्षा उत्तीर्ण की थी। साइंस विषय में उसकी विशेष रुचि थी — खासकर भौतिकी (Physics)। उसका सपना था कि वो विज्ञान में गहराई से अध्ययन करे और एक दिन शिक्षक बने — एक ऐसा शिक्षक जो सिर्फ किताबें नहीं, ज़िंदगी पढ़ाना सिखाए।फार्म भरने के लिए वो बनारस गया — हाथ में झोला, जेब में फीस की सीमित राशि, और दिल में अपने पिता का नाम।वहाँ लंबी लाइनें थीं। कोई पंखा नहीं था, केवल गर्म हवा, और छात्रों की ...Read More