इश्क, पागलपन, यह है जूनून...

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कभी आपने किसी को इस कदर चाहा है कि वो चाहत आपकी रूह में उतर जाए? कभी सोचा है कि इश्क़ सिर्फ सुकून नहीं देता, कभी-कभी वो आग भी बन जाता है… ऐसी आग जो सब कुछ जला कर राख कर दे — ख्वाब, हकीकत, और खुद को भी। यह कहानी सिर्फ दो लोगों की मोहब्बत की नहीं है। यह कहानी है उस पागलपन की, जो इश्क़ की हदें तोड़ देता है। यह कहानी है उस जूनून की, जो हर दर्द को भी प्यार समझ बैठता है। जहाँ एक तरफ मोहब्बत सच्ची है, दिल से है, पर हालात और लोग इतने आसान नहीं हैं।

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इश्क, पागलपन, यह है जूनून... - प्रस्तावना

"इश्क, पागलपन, यह है जूनून" –कभी आपने किसी को इस कदर चाहा है कि वो चाहत आपकी रूह में जाए?कभी सोचा है कि इश्क़ सिर्फ सुकून नहीं देता, कभी-कभी वो आग भी बन जाता है… ऐसी आग जो सब कुछ जला कर राख कर दे — ख्वाब, हकीकत, और खुद को भी।यह कहानी सिर्फ दो लोगों की मोहब्बत की नहीं है।यह कहानी है उस पागलपन की, जो इश्क़ की हदें तोड़ देता है।यह कहानी है उस जूनून की, जो हर दर्द को भी प्यार समझ बैठता है।जहाँ एक तरफ मोहब्बत सच्ची है, दिल से है, पर हालात और ...Read More

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इश्क, पागलपन, यह है जूनून... - 1

इश्क, पागलप ,यह है जूनून" कौन हो तुम...?"लेखिका – शिवांगीरात के करीब 11 बज रहे थे।शहर अब चुप हो था।सड़कें खाली थीं और आसमान में एक अकेला चाँद चमक रहा था,जिसकी हल्की रोशनी एक छोटी-सी बालकनी से होते हुए एक कमरे में जा रही थी।उस कमरे में एक 19 साल की प्यारी-सी लड़की गहरी नींद में सो रही थी।कमरे की लाइटें बंद थीं, सिर्फ चाँदनी उसके चेहरे पर पड़ रही थी।उसका चेहरा इतना मासूम लग रहा था, जैसे कोई थकी हुई परी आसमान से उतरी हो और ज़मीन ...Read More