💔 "इश्क, पागलपन, यह है जूनून" –
कभी आपने किसी को इस कदर चाहा है कि वो चाहत आपकी रूह में उतर जाए?
कभी सोचा है कि इश्क़ सिर्फ सुकून नहीं देता, कभी-कभी वो आग भी बन जाता है… ऐसी आग जो सब कुछ जला कर राख कर दे — ख्वाब, हकीकत, और खुद को भी।
यह कहानी सिर्फ दो लोगों की मोहब्बत की नहीं है।
यह कहानी है उस पागलपन की, जो इश्क़ की हदें तोड़ देता है।
यह कहानी है उस जूनून की, जो हर दर्द को भी प्यार समझ बैठता है।
जहाँ एक तरफ मोहब्बत सच्ची है, दिल से है, पर हालात और लोग इतने आसान नहीं हैं।
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कहानी की शुरुआत होती है एक मासूम सी मुस्कान से, एक अनकहे एहसास से, जहाँ दो अनजान लोग एक-दूसरे की जिंदगी में इस तरह दाखिल होते हैं जैसे वो हमेशा से वहीं थे।
पर यह कहानी परियों की नहीं है, यहाँ न हीरो को सबकुछ मिल जाता है, और ना ही हीरोइन को कोई राजकुमार।
यह कहानी उन जज़्बातों की है, जो बोलते नहीं… बस आँखों में उतर जाते हैं।
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जहाँ प्यार हो, वहाँ कसमें भी होती हैं।
पर क्या हर कसम निभाई जाती है?
जहाँ रिश्ता हो, वहाँ भरोसा भी होता है।
पर क्या हर भरोसा टूटने से बच पाता है?
इस कहानी में इश्क़ है… पर आसान नहीं है।
वो कहते हैं ना, "सच्चा प्यार वो नहीं जो बस पास रहने से हो, सच्चा प्यार तो वो है जो दूर होकर भी हर धड़कन में जिंदा रहे।"
💔कभी-कभी हालात ऐसे मोड़ पर ले आते हैं कि चाहकर भी कुछ नहीं कर सकते।
दिल चाहता है सब थाम लें, पर हाथों से सब फिसलता चला जाता है।
आपसे आपका प्यार छीन लिया जाता है — और आपको बस उसका नाम, उसकी यादें और एक अधूरा ख्वाब देकर छोड़ दिया जाता है।
पर क्या हर अधूरी कहानी अधूरी ही रहती है?
या फिर कभी ना कभी, कहीं ना कहीं, वो कहानी फिर से ज़िंदा होती है?
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"इश्क, पागलपन, यह है जूनून" एक ऐसी ही कहानी है —
जहाँ प्यार है, पर रास्ते कांटों से भरे हैं।
जहाँ रिश्ता है, पर उसे बचाना आसान नहीं।
जहाँ जूनून है, पर वो खुद को भी तकलीफ देता है।
इस कहानी के किरदार आपको हँसाएंगे भी, रुलाएंगे भी, और शायद कई बार आपकी अपनी यादें भी ताज़ा कर देंगे।
ये कहानी आपको ये सोचने पर मजबूर करेगी कि क्या वाकई कोई इंसान इतना प्यार कर सकता है कि खुद को भूल जाए?
क्या मोहब्बत इतनी मजबूत हो सकती है कि दुनिया के हर नियम से टकरा जाए?
🌹अगर आपके दिल में कभी ऐसा कोई एहसास रहा है,
अगर आपने कभी किसी को इस हद तक चाहा है कि उसकी परछाई भी आपको अपनी लगे —
तो ये कहानी आपके लिए है।
शायद इसमें कहीं आप खुद को भी देख पाएंगे…
कभी उस हीरो में, कभी उस हीरोइन में —
या शायद उस अधूरे ख्वाब में, जो आपने किसी के लिए देखा था।
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तो आइए, इस सफर की शुरुआत करें।
जहाँ हर भाग आपको एक नई सच्चाई, एक नया एहसास और एक नया सवाल देगा।
जहाँ आप हर लाइन पढ़ते हुए सोचेंगे —
"क्या यही प्यार है?"
"क्या यही पागलपन है?"
"क्या यही जूनून है?"
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"इश्क, पागलपन, यह है जूनून" — सिर्फ एक कहानी नहीं है,
ये एक ऐसा एहसास है जो शायद आपके दिल के किसी कोने को छू जाएगा।
तो मिलते हैं पहले भाग में —
जहाँ एक नजर, एक मुलाकात और एक वादा — एक तूफान की शुरुआत करते हैं।
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लेखिका — शिवांगी
🌸 शुक्रिया पढ़ने के लिए… अगला भाग जल्द आएगा।
आपका साथ मेरी सबसे बड़ी ताकत है ❤️
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