अनश्वर सम्राट: कालचक्र का पुकार

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रात्रि का अंधकार धीरे-धीरे शिवधाम की घाटियों पर उतर रहा था। चांद की दूधिया रोशनी उस शांत नदी पर पड़ रही थी, जो सदियों से इस भूमि को पवित्र बनाती आई थी। यह वह जगह थी जहाँ ऋषि अत्रि ने तपस्या की थी, जहाँ माना जाता है कि स्वयं भगवान शिव कभी प्रकट हुए थे। पर आज की शिवधाम वैसी नहीं रही। अब वहाँ योगा सेंटर थे, वेलनेस रिट्रीट थे, और भक्ति भी थी — मगर सिर्फ दिखावे की। भीतर से सब कुछ खोखला था।

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अनश्वर सम्राट: कालचक्र का पुकार - 1

अध्याय 1: पुनर्जागरण की मंद शांति(भूमिलोक, शिवधाम क्षेत्र — वर्ष 2025)रात्रि का अंधकार धीरे-धीरे शिवधाम की घाटियों पर उतर था। चांद की दूधिया रोशनी उस शांत नदी पर पड़ रही थी, जो सदियों से इस भूमि को पवित्र बनाती आई थी। यह वह जगह थी जहाँ ऋषि अत्रि ने तपस्या की थी, जहाँ माना जाता है कि स्वयं भगवान शिव कभी प्रकट हुए थे।पर आज की शिवधाम वैसी नहीं रही।अब वहाँ योगा सेंटर थे, वेलनेस रिट्रीट थे, और भक्ति भी थी — मगर सिर्फ दिखावे की। भीतर से सब कुछ खोखला था।---शिवधाम आश्रम के पीछे एक पुरानी गुफा थी। ...Read More

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अनश्वर सम्राट: कालचक्र का पुकार - 2

अध्याय 2: भूतकाल की परछाइयाँ(स्थान: शिवधाम गुरुकुल – मध्य रात्रि)रात्रि के गहन मौन में जब सब सो रहे थे, भी एक आत्मा जाग रही थी। शिवधाम गुरुकुल की पश्चिम दिशा में स्थित छोटा ध्यान-कक्ष, जिसमें शायद ही कोई जाता था, आज विशेष कंपन से भरा था।आरव वर्धन, अपनी चटाई पर पद्मासन में बैठा था। उसकी पलकों के नीचे चैतन्य था, और ह्रदय में एक तूफान।“मैं वापस आ चुका हूँ… पर यह संसार अब वैसा नहीं रहा।”पाँच हज़ार वर्षों का बोझ उसकी चेतना में कहीं शांत पड़ा था, लेकिन हर नाड़ी में वह इतिहास साँस ले रहा था।उसे सब याद ...Read More