जवान लड़का

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हर्ष एक 17 साल का सामान्य सा लड़का था, जो अभी 12वीं कक्षा में पढ़ता था। पढ़ाई में ठीक-ठाक और स्वभाव से थोड़ा शांत था, लेकिन उसकी संगत उसके स्वभाव से मेल नहीं खाती थी। हर्ष की दोस्ती कुछ ऐसे लड़कों से थी जो उससे चार-पाँच साल बड़े थे। उम्र में बड़े होने के साथ-साथ वे अनुभव में भी आगे थे, लेकिन वो अनुभव सही दिशा में नहीं थे। उनके बातचीत करने का तरीका, जीवन के प्रति दृष्टिकोण और विषय सब हर्ष के सोच से कहीं अलग थे। हर्ष के माता-पिता दोनों शिक्षा जगत से जुड़े थे — उसके पिता एक स्कूल में प्रिंसिपल थे और माँ वाइस प्रिंसिपल। वे दोनों सुबह जल्दी काम पर चले जाते और शाम तक वापस आते। इस दौरान हर्ष अकेला घर पर रहता था। शुरू में तो यह अकेलापन उसे सामान्य लगता था, लेकिन धीरे-धीरे उसका मन भटकने लगा। उसको समझ नहीं आ रही थी वह इस अकेले पन में किसके साथ अपना समय गुजरे या फिर अपनी भावनाएं बता सके। ऐसे ही अगर चलता रहा तो हर्ष को लगा अब मुझसे नहीं झेला जाएगा।

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जवान लड़का – भाग 1

हर्ष एक 17 साल का सामान्य सा लड़का था, जो अभी 12वीं कक्षा में पढ़ता था। पढ़ाई में ठीक-ठाक स्वभाव से थोड़ा शांत था, लेकिन उसकी संगत उसके स्वभाव से मेल नहीं खाती थी। हर्ष की दोस्ती कुछ ऐसे लड़कों से थी जो उससे चार-पाँच साल बड़े थे। उम्र में बड़े होने के साथ-साथ वे अनुभव में भी आगे थे, लेकिन वो अनुभव सही दिशा में नहीं थे। उनके बातचीत करने का तरीका, जीवन के प्रति दृष्टिकोण और विषय सब हर्ष के सोच से कहीं अलग थे।हर्ष के माता-पिता दोनों शिक्षा जगत से जुड़े थे — उसके पिता एक ...Read More