"बजरंग विजय चालीसा" नामक ग्रँथ हनुमानजी की प्रार्थना में चालीस छन्द और लगभग 8 दोहों व सोरठा में लिखा गया है। इसके रचयिता भगवान दास थे। जिन्होंने अंत मे ग्रँथ का रचना काल इस दोहै में कहा है- होरी पूनै भौम संवत उन इस सौ साठ। चालीशा बजरंग यह पूरण भयो सुपाठ।। बाद में इसकी प्रतिलिपि तैयार करते समय तिथि और लेखक कवि का उल्लेख किया गया है- समर विजय बजरंग के कौउ बरन न पावे पार। कहें दास भगवान किमि अति मतिमन्द गंवार। (दोहा क्रमांक 8)
बजरंग विजय चालीसा- समीक्षा एवं पद्य - 1
बजरंग विजय चालीसा- समीक्षा एवं पद्य 1 "बजरंग विजय चालीसा" नामक ग्रँथ हनुमानजी की प्रार्थना में चालीस छन्द लगभग 8 दोहों व सोरठा में लिखा गया है। इसके रचयिता भगवान दास थे। जिन्होंने अंत मे ग्रँथ का रचना काल इस दोहै में कहा है- होरी पूनै भौम संवत उन इस सौ साठ। चालीशा बजरंग यह पूरण भयो सुपाठ।। बाद में इसकी प्रतिलिपि तैयार करते समय तिथि और लेखक कवि का उल्लेख किया गया है- समर विजय बजरंग के कौउ बरन न पावे पार। कहें दास भगवान किमि अति मतिमन्द गंवार। (दोहा क्रमांक 8) श्रुभग साठ की साल, ...Read More
बजरंग विजय चालीसा- समीक्षा एवं पद्य - 2
बजरंग विजय चालीसा- समीक्षा एवं पद्य 2 "बजरंग विजय चालीसा" नामक ग्रँथ हनुमानजी की प्रार्थना में चालीस और लगभग 8 दोहों व सोरठा में लिखा गया है। इसके रचयिता भगवान दास थे। जिन्होंने अंत मे ग्रँथ का रचना काल इस दोहै में कहा है- होरी पूनै भौम संवत उन इस सौ साठ। चालीशा बजरंग यह पूरण भयो सुपाठ।। बाद में इसकी प्रतिलिपि तैयार करते समय तिथि और लेखक कवि का उल्लेख किया गया है- समर विजय बजरंग के कौउ बरन न पावे पार। कहें दास भगवान किमि अति मतिमन्द गंवार। (दोहा क्रमांक 8) श्रुभग साठ की ...Read More