सूरज की हल्की किरणें पर्वतों की चोटियों को छूकर धीरे-धीरे गाँव की पगडंडियों तक उतरने लगी थीं। गुलमोहर गाँव की यह सुबह वैसी ही थी जैसी हर दिन होती थी—कोमल, ताज़ी, और हल्की ठंडी हवा से भरी हुई। आम के बाग़ों में से गुज़रती हवा पत्तों को हौले से हिलाती, जैसे कोई मधुर राग छेड़ रही हो। गाँव की बाहरी छोर पर, जहाँ घने वृक्षों के बीच से एक निर्मल नदी बहती थी, वहाँ एक युवती पत्थर पर बैठी अपनी डायरी में कुछ लिख रही थी। उसकी उँगलियाँ स्याही में भीगी थीं, और माथे पर कुछ उलझे हुए विचारों की छाया थी। वह आवनी थी—इस गाँव की एक सीधी-सादी, मगर ख्वाबों से भरी लड़की।
तुम ही हो मेरा जहाँ - भाग 1
"तुम ही हो मेरा जहाँ"भाग 1: पहली मुलाकातसूरज की हल्की किरणें पर्वतों की चोटियों को छूकर धीरे-धीरे गाँव की तक उतरने लगी थीं। गुलमोहर गाँव की यह सुबह वैसी ही थी जैसी हर दिन होती थी—कोमल, ताज़ी, और हल्की ठंडी हवा से भरी हुई। आम के बाग़ों में से गुज़रती हवा पत्तों को हौले से हिलाती, जैसे कोई मधुर राग छेड़ रही हो।गाँव की बाहरी छोर पर, जहाँ घने वृक्षों के बीच से एक निर्मल नदी बहती थी, वहाँ एक युवती पत्थर पर बैठी अपनी डायरी में कुछ लिख रही थी। उसकी उँगलियाँ स्याही में भीगी थीं, और माथे ...Read More
तुम ही हो मेरा जहाँ - भाग 2
"तुम ही हो मेरा जहाँ"भाग 2: वो अजनबी एहसासमंदिर की घंटियाँ गूँज रही थीं। भोर की हल्की ठंडक हवा घुली हुई थी, और सूरज की पहली किरणें गाँव की पगडंडियों को धीरे-धीरे रोशन कर रही थीं। मंदिर के पास के पेड़ों पर बैठे पक्षी चहचहा रहे थे, मानो सुबह की पवित्रता को और भी मधुर बना रहे हों।आवनी ने सिर पर ओढ़नी संभाली और आँखें मूंदकर भगवान के सामने हाथ जोड़ दिए। उसकी पलकों के पीछे कोई अनकही प्रार्थना थी, कोई ऐसा एहसास जो शब्दों में ढल नहीं पा रहा था। उसके चेहरे पर गहरी शांति थी, जैसे वह ...Read More