प्रयागराज गंगा-यमुना-सरस्वती अर्थात त्रिवेणी या संगम की पावन नगरी है। प्रयागराज को लोग "तीर्थों का राजा " (तीर्थराज) के नाम से जानते हैं। हिन्दू मान्यता के अनुसार, यहाॅं सृष्टि निर्माण कर्ता ब्रह्मा जी ने सृष्टि निर्माण कार्य पूर्णतः संपन्न होने के पश्चात प्रथम यज्ञ किया था। आसान शब्दों मे, ज्ञात धार्मिक तथ्यों के साक्ष्य के आधार पर धरती की उत्पत्ति और जीव विकास के बाद इस धरती पर यह प्रथम यज्ञ था जो स्वयं सृष्टि के सृजनकर्ता (ब्रह्मांड के निर्माता) भगवान ब्रह्मा जी द्वारा किया गया। इस प्रथम यज्ञ के प्र और याग अर्थात यज्ञ से मिलकर प्रयाग बना, शाब्दिक अर्थ प्र (विशेष) याग (यज्ञ), तात्पर्य विशेष यज्ञ से ही इसे प्रयाग कहा गया और कालांतर मे इस स्थान का नाम प्रयागराज पड़ा। ऐतिहासिक दृष्टि से भी प्रयागराज का अतीत अत्यंत महत्वपूर्ण, गौरवशाली और युगों, वेदों, पुराणों, उपनिषदों, ग्रंथो, सामाजिक संस्कृतिक व्यापारिक धार्मिक सभी जगह महिमामंडित है। भारतीय इतिहास मे प्रयागराज ने युगों के परिवर्तन और बदलते ऐतिहासिक उत्थान पतन को देखा है।
प्रयाग यात्रा - 1
प्रयागराज गंगा-यमुना-सरस्वती अर्थात त्रिवेणी या संगम की पावन नगरी है।प्रयागराज को लोग तीर्थों का राजा (तीर्थराज) नाम से जानते हैं।हिन्दू मान्यता के अनुसार, यहाॅं सृष्टि निर्माण कर्ता ब्रह्मा जी ने सृष्टि निर्माण कार्य पूर्णतः संपन्न होने के पश्चात प्रथम यज्ञ किया था।आसान शब्दों मे, ज्ञात धार्मिक तथ्यों के साक्ष्य के आधार पर धरती की उत्पत्ति और जीव विकास के बाद इस धरती पर यह प्रथम यज्ञ था जो स्वयं सृष्टि के सृजनकर्ता (ब्रह्मांड के निर्माता) भगवान ब्रह्मा जी द्वारा किया गया।इस प्रथम यज्ञ के प्र और याग अर्थात यज्ञ से मिलकर प्रयाग बना, शाब्दिक अर्थ प्र (विशेष) याग ...Read More
प्रयाग यात्रा - 2 भौगोलिक स्थिति
प्रथम भाग के अंदर आप प्रयागराज के बारे मे संक्षिप्त परिचय से अवगत हुए जो इस प्रयाग यात्रा पर से पहले जानना बेहद आवश्यक है।प्रयागराज में भगवान श्री विष्णु के बारह स्वरूप विध्यमान है, जिन्हें द्वादश माधव कहा जाता है।हिन्दू धर्मग्रन्थों में वर्णित प्रयाग स्थल पवित्रतम नदी गंगा और यमुना के संगम पर स्थित है।यहीं सरस्वती नदी गुप्त रूप से संगम में मिलती हैं, अतः ये त्रिवेणी संगम कहलाता है, जहाॅं प्रत्येक बारह वर्ष में कुम्भ मेला लगता है।प्रयाग का वर्णन तुलसीदास की रामचरित मानस और बाल्मिकी की रामायण मे भी है, यही नहीं सबसे प्राचीन एवं प्रामाणिक पुराण ...Read More