कुकड़ुकू

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इस कहानी की शुरूवात झारखंड के खुटी जिले के छोटे से गांव पिटोरा टोली से होती है। इस गांव के लगभग सभी लोग खेती बाड़ी करते थे। इन्ही लोगों में एक है सिद्धार्थ यादव और दूसरा है संजय कुमार। दोनो ही बचपन से बहुत अच्छे दोस्त हैं, और वो दोनो भी खेती बाड़ी करते थे। खेती बाड़ी के साथ साथ सिद्धार्थ की एक किराने की दुकान भी है। संजय और सिद्धार्थ दोनो ही शादीशुदा थे। दोनो दोस्तों की शादी एक ही मंडप पर हुई थी। असल मे वो दोनो दोस्त कम और भाई की तरह ज्यादा थे। उनके परिवार के बीच मे भी बहुत अच्छा रिश्ता था इसलिए दोनो दोस्तों की शादी एक ही मंडप पर रखी गई। संजय की पत्नी का नाम अरूणा और सिद्धार्थ की पत्नी का नाम गीता था , दोनो दोस्तों की शादी हुए एक साल हो बीत चुका था। दोनो के घर मे जल्द ही बच्चे की किलकारियां सुनने को मिलने वाली थी।

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कुकड़ुकू - भाग 1

भाग 1 – दोस्तों इस कहानी की शुरूवात झारखंड के खुटी जिले के छोटे से गांव पिटोरा टोली से है। इस गांव के लगभग सभी लोग खेती बाड़ी करते थे। इन्ही लोगों में एक है सिद्धार्थ यादव और दूसरा है संजय कुमार। दोनो ही बचपन से बहुत अच्छे दोस्त हैं, और वो दोनो भी खेती बाड़ी करते थे। खेती बाड़ी के साथ साथ सिद्धार्थ की एक किराने की दुकान भी है। संजय और सिद्धार्थ दोनो ही शादीशुदा थे। दोनो दोस्तों की शादी एक ही मंडप पर हुई थी। असल मे वो दोनो दोस्त कम और भाई की तरह ज्यादा थे। ...Read More

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कुकड़ुकू - भाग 2

कुछ ही दिनों में स्कूल में गैदरिंग होने वाली थी। गौतम दौड़ने मे तेज था, वो हर साल दौड़ प्रतियोगिता मे अव्वल आता था। इस साल भी उसने पूरी तैयारी कर रखी थी। दूसरी तरफ भूमि ने पोएट्री कॉम्पिटिशन मे भाग लिया था। जहां गौतम दौड़ने मे तेज था, वहीं भूमि पोएट्री मे माहिर थी।जल्द ही गैदरिंग वाला दिन आ गया। बहुत से बच्चों ने अलग अलग खेलों मे भाग लिया था। गैदरिंग मे बच्चो के खेलों को देखने के लिए बच्चो के घर वालो को भी बुलाया गया था। गौतम और भूमि के मम्मी पापा भी आए हुए ...Read More

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कुकड़ुकू - भाग 3

पिछले भाग मे....स्कूल गैदरिंग मे रघु के रेस जीतने की खुशी मे उसकी मां उसके लिए बाजार से मुर्गा आई। रघु को चिकन बहुत पसंद था। लेकिन जब उसके पापा को खेत से घर आने मे देरी हुई तो रघु उनसे नाराज होकर बैठ गया। जब रघु के पापा को उसकी नाराजगी का पता चला तो उन्होंने फटाफट उसके लिए चिकन बनाना शुरू कर दिया।अब आगे.....शाम के समय सुशील के पड़ोसी जो उसके घर के पास से गुजर रहे थे , उनमे से एक महिला रघु की मम्मी शांतिको आंगन मे बैठा देख उससे पूछती है , “अरे अरूणा...! ...Read More

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कुकड़ुकू - भाग 4

रात मे खाना खाने के बाद रघु और उसके मम्मी पापा चैन की नींद सो गए। आधी रात मे बकरियों की चिल्लाने की आवाज आने लगी। आवाज सुनकर शांति और सुशील की नींद खुल गई। दोनो ने जब बाहर जाकर देखा तो कुछ जंगली कुत्ते एक बकरी को पकड़कर खींच रहे थे। सुशील ने पत्थर उठाया और कुत्तों को मारने लगा। लेकिन कुत्ते थे की वहां से भागने को तैयार ही नहीं थे। तभी सुशील का पत्थर एक कुत्ते को जा लगा। उसी समय सभी कुत्ते वहां से भाग गए।शांति और सुशील ने जब बकरी को देखा तो बकरी ...Read More

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कुकड़ुकू - भाग 5

“रघु, आज स्कूल से आने मे इतनी देर क्यों हो गई?” रघु की मां ने रघु के देरी से पहुंचने पर पूछा। “अरे मां, वो शिल्पा है ना, उसके कारण देरी हो गई। उसने मुझे आम तोड़ने के लिए रोक लिया था। जिद पकड़कर बैठी थी की आम खाना ही है, तो मुझे तोड़कर देना पड़ा।” रघु ने अपनी मां से कहा। रघु की ये बात सुनकर शांति मुस्कुराने लगी और कहा, “अरे तुझे तो पता है ना की वो कितनी जिद्दी और नटखट है। चल छोड़, जाकर खाना खा ले। मैं तेरे पापा के लिए खाना लेकर जा ...Read More

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कुकड़ुकू - भाग 6

दोपहर का समय हो रहा था। शांति, रघु, शिल्पा और जानकी भी मेले मे आ चुके थे। वो लोग और शेखर को ढूंढने लगे। कुछ ही देर बाद उन्हें शेखर की दुकान दिखाई दी। रघु ने जैसे ही देखा की उसके पापा के पास तीन मुर्गे हैं, वो भागता हुआ अपने पापा के पास गया और उन मुर्गों को देखते हुए पूछा, “पापा ये दो मुर्गे किसके हैं?” सुशील साफ देख पा रहा था की दोनो मुर्गों को देख कर रघु कितना खुश है। उसने रघु के सर पर हाथ फेरते हुए कहा, “अरे बेटा ये अपने ही मुर्गे ...Read More

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कुकड़ुकू - भाग 7

घर पर पहुंचने के बाद शिल्पा अपने गुड्डे से खेलने लगी। वो गुड्डा पाकर बहुत खुश थी। “पापा देखो, टेडी बियर कितना प्यारा है।” शिल्पा ने अपना टेडी बियर वाला गुड्डा अपने पापा को दिखा कर मुस्कुराते हुए कहा। “अरे वाह, ये तो मैने देखा ही नहीं। ये तो सच मे बहुत प्यारा है।” शिल्पा के पापा ने उसका गुड्डा देख कर मुस्कुराते हुए कहा। इसके बाद वो घर के अंदर चला गए। घर के अंदर जाकर शेखर जानकी के पास बैठ गया। “अरे जानकी, आज मेले मे क्या क्या देखा?” शेखर ने जानकी से इतना पूछा ही था ...Read More

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कुकड़ुकू - भाग 8

एक तरफ जहां बच्चों मे बहस चल रही थी, वहीं दूसरी तरफ बड़ों मे खेत खलियान की बातें चल थी। “अरे शेखर भाई...! टमाटर खेत मे टमाटर लगाए थे उसका क्या हाल है? मैं तो कल टमाटर तोड़कर बाजार ले जाने वाला हूं।” सुशील ने शेखर से पूछा। “अरे यार सुशील, मैं भी कल टमाटर तोड़कर बाजार ले जाने वाला हूं। इस बार टमाटर की खेती अच्छी हुई है, और दाम भी अच्छा मिल रहा है।” शेखर की ये बात सुनते ही सुशील कुछ सोचने लगा, फिर उसने कहा, “अरे तो शेखर भाई, कल साथ मे ही बाजार चलते ...Read More

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कुकड़ुकू - भाग 9

शेखर के घर पहुंचते देर नही हुई की शिल्पा ने उसके हाथ से सब्जी के झोले लिए और घर अंदर चली गई। अंदर जाकर उसने झोला रखा और देखने लगी की उसके पापा क्या क्या लाएं हैं। उसने देखा की झोले मे एक छोटी थैली के अंदर समोसा, कचोरी और बाकी खाने की चीजें रखी हुई हैं। उसने आव देखा ना ताव, एक प्लेट मे एक समोसा, एक कचोरी और थोड़ी सी जलेबी लेकर खाने बैठ गई। “अरे इसको देखो तो, ऐसा नहीं की पापा बाजार से आएं हैं तो उन्हें पानी वगेरा के बारे मे पूछे, ये तो ...Read More

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कुकड़ुकू - भाग 10

फुटबॉल खेलने के बाद जब रघु घर पहुंचा, तो उसकी मम्मी ने उसको देखते हुए कहा, “अरे रघु.., तू गया! चल जाकर नहा ले, पूरा पसीना पसीना हो गया है।” अपनी मां की बात सुनकर रघु नहा धोकर पढ़ाई करने बैठ गया। थोड़े दिन बाद गांव मे फुटबॉल टूर्नामेंट शुरू होने वाला था। रघु इस बात से खुश था की अब वो भी एक फुटबॉल टीम मे है। उसको लग रहा था की टूर्नामेंट तक वो थोड़ा बहुत फुटबॉल खेलना तो सिख ही जायेगा।शाम होते ही रघु मंगल के घर पर चला गया। दिलीप ने पहले से ही रघु ...Read More

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कुकड़ुकू - भाग 11

अगले दिन रघु ने स्कूल में सबको अपने फुटबॉल टीम मे खेलने के बारे मे बता दिया। सब उसकी सुनकर बहुत खुश लग रहे थे। रघु का एक दोस्त आगे आया और कहा– “वाह यार रघु , पहले तुझे सब तेज दौड़ने की वजह से जानते थे, और अब तो तू फुटबॉल भी खेलने लगा है, अब तो और भी लोग तुझे जानने लगेंगे।” कहते हुए वो लड़का मुस्कुराने लगा। रघु भी सबको खुदके बारे मे बता कर खुश था। इतने मे शिल्पा आई और रघु का हाथ पकड़ कर एक तरफ ले गई। “ओए शिल्पा क्या कर रही ...Read More

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कुकड़ुकू - भाग 12

दिलीप ने अपनी टीम के खिलाड़ियों से तैयार होने को कहा और खुद भी तैयार होने लगा। थोड़ी देर वो सब किट अप हो गए। तभी मंच पर से कमेनटेटर ने माइक पर कहा, “दोनो टीम के कैप्टन अपनी अपनी टीम को लेकर मंच के सामने आ जाएं और टीम को लाइन अप करवा लें।” कमेंटेटर की बात सुनते ही दोनो टीम के खिलाड़ी मंच के सामने आकर एक सीधी लाइन मे खड़े हो गए। रेफरी ने सभी खिलाड़ियों को चेक किया और मैदान मे जाने के लिए कह दिया। दोनो टीम के खिलाड़ी मैदान मे जाकर वॉर्म अप ...Read More

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कुकड़ुकू - भाग 13

रघु मुझे लगा नही था की तू खेल पाएगा। पर तू आज बहुत अछा खेला। परसों फिर हमारा मैच इसलिए कल सब आराम करेंगे, पर ऐसा नहीं है की कोई मैदान मे नही आयेगा। मैदान तो सब आयेंगे पर सब बैठकर इस बारे मे बात करेंगे कि अगला मैच कैसे खेलना है ! कोई प्रैक्टिस नही करेंगे।” दिलीप ने सभी खिलाड़ियों को समझाया, उसके बाद रघु को देखते हुए बोला, “रघु...! तू और मंगल किट पहन कर आना, ज्यादा भागा दौड़ी मत करना, बस बोल टच की प्रैक्टिस करना।” “जी भईया ठीक है, हम ऐसा ही करेंगे।” रघु और ...Read More

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कुकड़ुकू - भाग 14

दिलीप ने सभी खिलाड़ियों को अपने पास बुलाकर कहा– “देखो, तुम लोगो को सारी बाते तो मैं घर पर समझा चुका हूं , और मुझे लगता है की अब कुछ समझाने की जरूरत नही, पर रघु आज तू कोशिश करना की ज्यादा से ज्यादा बोल आगे स्ट्राइकर तक पहुंचा सके। तू और मंगल, दोनो आज मिडफील्ड पर खेलोगे। तुम दोनो का काम होगा की ज्यादा से ज्यादा बोल स्ट्राइकर तक पहुंचा सको। हमें आज जितना ही है। चलो अब सब तैयार हो जाओ, और हां रघु और मंगल, तुम दोनो आज पूरा मैच खेलोगे, अगर मुझे लगा की तुम ...Read More

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कुकड़ुकू - भाग 15

दिलीप की बात सुनकर और उसका उसपर भरोसा देखकर रघु समझ गया था की अब उसको गोल करना ही दिलीप ने अपने सभी खिलाड़ियों को समझा दिया था की वो लोग रघु को ज्यादा से ज्यादा बोल पास करें। खिलाड़ी भी वही कर रहे थे, पर रघु को दो खिलाड़ी घेरकर खड़े थे। वो दोनो रघु को मौका ही नही दे रहे थे की वो गोल की तरफ बढ़ सके। बाकी खिलाड़ियों का भी रघु पर ही ध्यान था। गोल कीपर ने शॉट मारा और बोल सीधा मंगल के पास आ गिरी। मंगल ने नजर उठाई और रघु की ...Read More

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कुकड़ुकू - भाग 16

“अरे रघु, मुझे दिखा तो तेरे हजार रूपये।” शिल्पा ने मजाकिया अंदाज मे रघु से कहा और मुस्कुराने लगी। की बात सुनकर बाकी सब भी हंसने लगे। फिर रघु ने शेखर और जानकी के भी पैर छूकर उनका आशीर्वाद ले लिया।“ओए रघु...! मेरे भी पैर छूकर आशीर्वाद ले।” शिल्पा ने रघु ने कहा और मुस्कुराने लगी।“अरे हां.. हां.. बिलकुल, अभी तेरे पैर छूता हूं , तू रूक।” कहते हुए रघु , शिल्पा की तरफ बढ़ने लगा, तो शिल्पा इधर उधर भागने लगी।“अरे रूक ना, कहां भाग रही है ! पैर तो छूने दे।” रघु ने शरारत भरी मुस्कुराहट के ...Read More

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कुकड़ुकू - भाग 17

देखते ही देखते शाम के सात बज गए। अब तक तो खाना बनना भी शुरू हो चुका था। जानकी शांतिखाना बना रहे थे और शिल्पा उनका हाथ बटा रही थी। सुशील और शेखर आंगन मे बैठकर बाते कर रहे थे।“अरे यार सुशील, मैने तो सोचा भी नही था की रघु इतनी जल्दी इतना अच्छा फुटबॉल खेलना सिख जायेगा, मैने तो आजतक ऐसा कोई खिलाड़ी नही देखा जो एक दो हफ्तों मे इतना अच्छा फुटबॉल खेलना सिख गया हो।” शेखर ने रघु की तारीफ करते हुए सुशील से कहा।“अरे हां यार, सोचा तो मैने भी नही था की रघु इतनी ...Read More

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कुकड़ुकू - भाग 18

अगली सुबह रघु स्कूल जाने के लिए तैयार होकर जैसे ही घर से बाहर आया तो उसने देखा की साइकिल लेकर आंगन मे खड़ी है। “अरे शिल्पा, तू सुबह सुबह यहां कैसे ! कहीं स्कूल का रास्ता तो नही भूल गई?” रघु ने मजाक करते हुए शिल्पा से कहा।“अरे मां ने तेरे लिए गाजर का हलवा भेजा है, ये ले।” कहते हुए शिल्पा ने रघु को टिफिन पकड़ा दिया।“अरे वाह, सुबह सुबह गाजर का हलवा, चाची मेरा कितना खयाल रखती है। पर यार मैं तो नाश्ता कर चुका हूं। एक काम करता हूं स्कूल ले जाता हूं , लंच ...Read More

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कुकड़ुकू - भाग 19

“यार हमे भी फुटबॉल खेलना है, तुम दोनो की बात सुनकर लगता है फुटबॉल खेलने मे बहुत मजा आता एक बच्चे ने आगे आते हुए कहा।“अरे फुटबॉल खेलना चाहते हो तो अच्छी बात है, पर एक बार मंगल का घूटना देख लो, फाइनल मेच मे इसके घुटने पर कैसी चोट लगी है वो देख लो पहले।” रघु ने कहा और मंगल को अपना घुटना दिखाने का इशारा किया।मंगल ने जब उन सबको अपने घुटने की चोट दिखाई तो आधो ने तो उसी समय फुटबॉल खेलने से मना कर दिया। उन सबको बात सुनकर रघु और मंगल एक दूसरे को ...Read More

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कुकड़ुकू - भाग 20

अचानक शिल्पा को याद आया की रघु का जन्म दिन भी तो उसी दिन है। से रघु की तरफ हुए पूछा–“मेरा तो तूने पूछ लिया, पर तेरा भी तो जन्म दिन उसी दिन है, तू क्या करने वाला है?” शिल्पा की ये बात सुनकर रघु ने कहा– “यार मुझे भी नही पता, देखते हैं पापा मम्मी क्या करते हैं।” कहते हुए रघु हलवा खाने लगा।दोनो ने हलवा खाया और फिर दोनो घर जाने लगे। अचानक से शिल्पा ने रघु को देखते हुए कहा–“रघु ले साइकिल चला।” शिल्पा की ये बात सुनकर रघु ने कहा– “अगर मैं साइकिल चलाऊंगा तो ...Read More

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कुकड़ुकू - भाग 21

झारखंड एक आदिवासी राज्य होने के कारण वहां त्योहारों या उत्सवों मे मासाहारी भोजन होना आम बात है। रघु मंगल कुछ देर तक वहीं बैठकर बाते करने लगे। “अच्छा मंगल, दिलीप भईया कहीं नजर नहीं आ रहे ! कहीं गए हुए हैं क्या?”“अरे भईया तो खेत पर कुछ काम से गए हैं। आज खेत मे थोड़ा ज्यादा काम था, इसलिए भईया, मम्मी पापा का हांथ बटाने के लिए चले गए। मैं भी जाने वाला था पर भईया ने मुझे आने से मना कर दिया और घर पर ही रूकने को कहा। तू बता, तू आज गए चराने नही गया?” ...Read More