JANVI - राख से उठती लौ - 5

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रिजल्ट का दिन"जब मंजिल मिलती है, तो वो सिर्फ सफलता नहीं होती वो हर अपमान का उत्तर बन जाती है।"पिछले कुछ हफ्ते जैसे तपस्या के अंतिम चरण थे। दिन और रात में कोई अंतर नहीं रहा था। जानवी के लिए वक्त का मतलब सिर्फ दो चीजें थीं-"प्रीलिम्स से पहले" और "इंटरव्यू से बाद"।उसका कमरा अब एक रणभूमि बन चुका था। दीवार पर देश का नक्शा टंगा था। टेबल के सामने स्टिकी नोट्स चिपका था-"ध्यान केन्द्रित करो", "कोई विकर्षण नहीं", "आप यह कर सकते हैं" Iऔर दिल में सिर्फ एक नाम "IAS JANVI" Iदरवाजा उस मंजिल काकमरे की दीवार पर टॅगी